'मुस्लिम मित्रों से जिज्ञासा है- क्या उनके घरों में पूजा की जा सकती है?', वरिष्ठ पत्रकार ने ट्वीट कर पूछा सवाल
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 18, 2021 12:36 PM2021-11-18T12:36:42+5:302021-11-18T12:36:42+5:30
गुरुग्राम में सार्वजनिक जगहों पर नमाज पढ़े जाने के विवाद के बीच गुरुद्वारों ने अपना हाथ आगे बढ़ाया है मुस्लिमों को जुमे की नमाज के लिए अपना परिसर मुहैया कराने की बात कही। कुछ हिंदू युवक भी आगे आए हैं।
नई दिल्ली: गुरुग्राम में कुछ स्थानों पर नमाज पढ़ने का विवाद पिछले कई समय से सुर्खियों में हैं। इसे लेकर राजनीति भी जारी है। इस बीच कुछ गुरुद्वारों और हिंदू युवकों के आगे आकर मुस्लिमों के लिए नमाज पढ़ने की जगह मुहैया कराने की बात ने मामले को सौहार्दपूर्ण मोड़ दे दिया है। गुरुद्वारों ने मुस्लिमों को जुमे की नमाज पढ़ने के लिए अपना परिसर देने का फैसला किया है। इस फैसले की तारीफ भी हो रही है।
इस बीच वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने ट्वीट कर पूछा है कि क्या मुस्लिम भी ऐसे ही अपने घरों में पूजा की इजाजत दे सकते हैं। उन्होंने ट्वीट किया, 'कई मंदिरों में प्रवेश-व्यवहार-कार्य/अकार्य के नियम होते हैं। चर्चों में भी होंगे। मस्जिदों में भी। पहले ही लिखा, हर धर्म परंपरा में पूजा पद्धति-पूजा स्थलों के आंतरिक नियम होते हैं। अतः उन्हें छोड़ें। पर अपने मुस्लिम मित्रों से जिज्ञासा है- क्या उनके घरों में पूजा की जा सकती है?'
कई मंदिरों में प्रवेश-व्यवहार-कार्य/अकार्य के नियम होते हैं। चर्चों में भी होंगे। मस्जिदों में भी। पहले ही लिखा, हर धर्म परंपरा में पूजा पद्धति-पूजा स्थलों के आंतरिक नियम होते हैं। अतः उन्हें छोड़ें। पर अपने मुस्लिम मित्रों से जिज्ञासा है- क्या उनके घरों में पूजा की जा सकती है?
— राहुल देव Rahul Dev (@rahuldev2) November 17, 2021
राहुल देव के ट्वीट पर कुछ जवाब भी आए। एक यूजर ने लिखा, 'हिंदू धर्म में किसी भी पूजा पद्धति का निषेध नहीं है। लेकिन इस्लाम में इसके विपरीत मूर्ति पूजा का निषेध है। ऐसे में आपके सवाल का जवाब है 'नहीं'।'
हिंदू धर्म में किसी भी पूजा पद्धति का निषेध नहीं है। लेकिन इस्लाम में इसके विपरीत मूर्ति पूजा का निषेध है।
— Prabhakar Kr Mishra (@PMishra_Journo) November 18, 2021
ऐसे में आपके सवाल का जवाब है 'नहीं'।
वहीं, एक यूजर ने कहा, 'जब तक हम 'इस' बनाम 'उस' में चीजों को देखते रहेंगे, तब तक हम खुद बेहतर इंसान नहीं बनेंगे।' यूजर ने साथ ही एक न्यूज रिपोर्ट भी साझा की जिसमें केरल के मस्जिद में हिदू शादी की बात कही गई है।
सर, जब तक हम 'इस' बनाम 'उस' में चीजों को देखते रहेंगे, तब तक हम ख़ुद बेहतर इंसान नहीं बनेंगे।
— ढाईआखर ڈھائی آکھر (@dhaiakhar) November 18, 2021
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आजाद अहमद नाम के एक यूजर ने लिखा कि वह नोएडा में रहतहा है और किसी को अगर उसके घर में पूजा करनी है तो वह इसके लिए तैयार है।
Main Noida main rehta hu, agar kisi ko bhi mere ghar main pooja karne se sukh ki anoobhuti hoti hai ya unko lagta hai ki wo mandir nahi ja sakte wo kabhi bhi mere ghar main aake pooja kar sakte hain
— Aejaz Ahmad (@bharakijaan) November 18, 2021
Jee, @rahuldev2 Ji Aap humare ghar me aake aapke liye pooja kar sakte ho. Mai jab padhti thi to mai aur mere friends ek hi room me pooja karte aur Namaz padhte the.
— Dr Khan Farhana (@DrKhanFarhana1) November 18, 2021
गुरुग्राम में नमाज विवाद पर राहुल देव ने किए और भी ट्वीट
राहुल देव ने कुछ और भी ट्वीट इस विषय पर किए। उन्होंने लिखा, 'अगर खुले में सार्वजनिक जगहों पर सामूहिक साप्ताहिक नमाज़ से आवाजाही में दिक्कत हो रही थी, ट्रैफिक की समस्या आ रही थी तो इसे सुलझाना प्रशासन का काम है। धार्मिक संगठनों की इसमें कोई भूमिका नहीं बनती। प्रशासन ध्यान न दे तो नागरिक संगठन इसे उठा सकते हैं। जनप्रतिनिधि उठा सकते हैं।'
साथ ही राहुल देव ने लिखा, 'मस्जिदों में पूजा, गुरुग्रंथ साहिब का पाठ, ईसाई प्रार्थना हो सकती है या नहीं मैं नहीं जानता। हो सके तो बहुत अच्छा होगा। लेकिन यह मुस्लिम धर्मगुरुओं के तय करने के चीज है। लेकिन मंदिर ईश्वर के किसी भी रूप की अर्चना के लिए खुले रहें तो मेरे लिए एक हिंदू के रूप में गर्व की बात होगी।'
मस्जिदों में पूजा, गुरुग्रंथ साहिब का पाठ, ईसाई प्रार्थना हो सकती है या नहीं मैं नहीं जानता। हो सके तो बहुत अच्छा होगा। लेकिन यह मुस्लिम धर्मगुरुओं के तय करने के चीज़ है। लेकिन मंदिर ईश्वर के किसी भी रूप की अर्चना के लिए खुले रहें तो मेरे लिए एक हिंदू के रूप में गर्व की बात होगी।
— राहुल देव Rahul Dev (@rahuldev2) November 17, 2021
राहुल देव ने एक और ट्वीट कर लिखा, 'मैं गुरुग्राम में ही रहता हूँ लेकिन जहाँ नमाज हो रही थी या विरोध हो रहा था उन जगहों से काफ़ी दूर। पास होता तो निश्चय ही अपना घर नमाज के लिए खोलता। मेरे घर में नमाज़ होगी तो वह पवित्र ही होगा। जिन कारणों-तरीकों से विरोध हो रहा था वे गहरी पीड़ा दे रहे थे।'