Ghaziabad: जब मुझे मां कहा... मेरी आंखों में आंसू आ गए?, 1993 में अगवा, 7  साल का राजू 31 साल बाद परिवार से मिला तो हर कोई रोने लगा, देखें भावुक वीडियो

By सतीश कुमार सिंह | Published: November 29, 2024 11:25 AM2024-11-29T11:25:05+5:302024-11-29T11:26:38+5:30

जब उसने मुझे मां कहा तो मेरी आंखों से आंसू निकल गए। गाजियाबाद जिले में वर्ष 1993 में अगवा किया गया सात साल का राजू 31 साल बाद अपने परिवार से मिला।

Ghaziabad When he called me mother bhim singh raju I was moved to tears woman reunited kidnapped son raju 7 years old after 30 years see video watch | Ghaziabad: जब मुझे मां कहा... मेरी आंखों में आंसू आ गए?, 1993 में अगवा, 7  साल का राजू 31 साल बाद परिवार से मिला तो हर कोई रोने लगा, देखें भावुक वीडियो

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Highlightsमैंने पुलिसकर्मियों को अपने बेटे के शरीर पर लगे निशानों के बारे में बताया।इस बार कुछ अलग ही होने वाला था। मां को अपना बेटा मिला।अंक कभी मेल नहीं खाते थे और मैं निराश होकर लौटती थीं।

गाजियाबादः मां का दर्द कौन जान सकता है। जिसने 9 माह तक बच्चे को गर्भ में रखा है। यदि मां का लाडला गुम हो और 30 साल बाद मिले तो उस दर्द को मां ही समझ सकती है। जब 58 वर्षीय लीलावती को गाजियाबाद के खोड़ा पुलिस स्टेशन से एक संदेश प्राप्त हुआ। मैसेज आया कि उसना बेटा मिल गया है। तो वह बहुत उत्साहित नहीं थीं। पिछले 31 वर्षों में उन्हें पुलिस से सात से अधिक ऐसे कॉल आए, लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी। वह कहती हैं, उनका बेटा भीम सिंह (राजू) नौ साल का था, जब दिनदहाड़े अपहरण कर लिया गया था। वह याद करती हैं कि मैंने सोचा था कि यह वही दोहराया जाएगा जो पहले कई बार हुआ था। पुलिस एक आदमी को मेरे सामने लाएगी और मुझसे पहचानेगी कि क्या वह मेरा बेटा है। जब भी उन्होंने मुझे फोन किया।

 

मैंने उन्हें (पुलिसकर्मियों को) अपने बेटे के शरीर पर लगे निशानों के बारे में बताया। अंक कभी मेल नहीं खाते थे और मैं निराश होकर लौटती थीं। इस बार कुछ अलग ही होने वाला था। मां को अपना बेटा मिला। जब उसने मुझे मां कहा तो मेरी आंखों से आंसू निकल गए। गाजियाबाद जिले में वर्ष 1993 में अगवा किया गया सात साल का राजू 31 साल बाद अपने परिवार से मिला।

फिरौती की रकम देने में असमर्थ होने पर उसके परिवार ने उसे मजबूरन भाग्य के भरोसे छोड़ दिया था मगर तीन दशक के बाद उसे सही-सलामत अपने बीच पाकर परिवार बेहद खुश है। दिल्ली बिजली बोर्ड से सेवानिवृत्त हुए तुला राम के लिए अपने बेटे राजू से 31 साल बाद पुनर्मिलन बेहद खुशी का क्षण था।


साहिबाबाद क्षेत्र के रहने वाले तुला राम ने बृहस्पतिवार को बताया कि उनके बेटे राजू का सितंबर 1993 को साहिबाबाद के दीनबंधु पब्लिक स्कूल से घर लौटते समय अपहरण कर लिया गया था। एक टेंपो में सवार तीन लोगों ने उसे अगवा किया था। उस वक्त राजू की उम्र सात साल थी। उन्होंने बताया कि मामले में साहिबाबाद थाने में मुकदमा दर्ज किया गया।

काफी खोजबीन के बाद भी पुलिस राजू को बरामद नहीं कर पाई। इसी दौरान उन्हें एक पत्र मिला था जिसमें राजू को छोड़ने के एवज में आठ लाख रुपए की फिरौती मांगी गयी थी। रकम दे पाने में असमर्थ होने पर तुला राम ने मामले को भाग्य के भरोसे छोड़ दिया और जांच ठंडे बस्ते में चली गई।

तुला राम ने कहा, ‘‘इस दौरान हम इस बात को लेकर अनिश्चितता में रहे कि हमारा बेटा जीवित है भी या नहीं, लेकिन 27 नवंबर को हमारे लिये मायूसी बहुत बड़ी खुशी में बदल गयी। राजू हमारे पास वापस आ गया। वह अब 38 साल का हो चुका है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘शुरुआत में मुझे यह मानने में हिचकिचाहट हुई कि क्या वह वाकई हमारा राजू ही है।


मैं उसे घर ले गया और उसकी मां और बहनों ने उसकी छाती पर एक तिल और खोपड़ी में एक गड्ढे से उसकी पहचान की। आखिरकार 31 साल बाद हमारा खोया हुआ राजू हमें वापस मिल गया।’’ राजू ने अपने साथ हुए दर्दनाक वाकये के बारे में बताते हुए कहा कि अपहरण के बाद उसे एक ट्रक ड्राइवर को सौंप दिया गया, जो उसे राजस्थान के जैसलमेर ले गया।

उन्होंने कहा, ‘‘अपहरणकर्ताओं ने मुझे बंजर इलाके के बीच में स्थित एक कमरे में रखा, जहां मुझे भेड़-बकरियों को चराने के लिए मजबूर किया जाता था। हर रात मुझे लोहे की बेड़ियों से जकड़ कर कमरे में बंद कर दिया जाता था।’’ राजू ने कहा, ‘‘मुझे एक दिन में दो बार भोजन के रूप में केवल एक रोटी और थोड़ी चाय दी जाती थी।

गंभीर शारीरिक यातनाओं का सामना करने के बावजूद मैंने उम्मीद नहीं छोड़ी और हर दिन प्रार्थना करता रहा। मुझे लगता था कि एक दिन मैं अपने परिवार से दोबारा जरूर मिलूंगा। मुझे इसकी उम्मीद तब जागी जब दिल्ली के एक सिख व्यापारी ने मुझ पर जुल्म होते देखा और मेरी मदद की।’’

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि एक सिख व्यापारी राजू को अपने ट्रक पर अपने साथ ले आया और दिल्ली पहुंचने के बाद उसे गाजियाबाद सीमा पर छोड़ दिया। उसने राजू को एक पत्र भी दिया जिसमें लिखा था कि राजू नोएडा का रहने वाला है और 1993 में उसका अपहरण कर लिया गया था। उन्होंने बताया कि इसके बाद राजू गाजियाबाद के खोड़ा थाने पहुंचा था।

जहां अधिकारियों ने उसके लिए भोजन और आश्रय की व्यवस्था की। तीन दिन की गहन तलाश के बाद पुलिस ने आखिरकार राजू के परिवार को खोज निकाला। सहायक पुलिस आयुक्त रजनीश उपाध्याय ने बताया कि सभी आवश्यक कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद पुलिस ने राजू को उसके परिवार से मिला दिया। 

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