गयाः बेटी की ससुराल में हत्या, मां ने शादीशुदा बेटी को दी मुखाग्नि, विष्णुपद श्मशान घाट पर सबकी आंखें नम
By एस पी सिन्हा | Published: July 2, 2022 08:36 PM2022-07-02T20:36:46+5:302022-07-02T20:37:57+5:30
दिल्ली में रहने वाली सपना चौधरी की शादी 6 साल पहले विष्णुपद थाना क्षेत्र के चांदचौरा मोहल्ले के रहने वाले हेमंत चौधरी उर्फ डब्बू चौधरी से हुई थी.
पटनाः बिहार के गया से एक दिलचस्प मामला सामने आया है. जहां एक मां ने अपनी शादीशुदा बेटी को मुखाग्नि दी है. मोक्षनगरी गया जी में जिस मां ने जन्म दिया उसी मां के द्वारा विवाहित बेटी को मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किये जाने का दृश्य को देखकर गया के विष्णुपद श्मशान घाट पर मौजूद सबकी आंखें नम हो गई.
यह देखकर पंडित भी हतप्रभ रह गए. दिल्ली में रहने वाली सावित्री देवी ने शुक्रवार की देर शाम अपनी बेटी सपना को मुखाग्नि दी. दरअसल, यह मामला ससुराल में विवाहिता की हत्या से जुड़ा है. बेटी की ससुराल वालों ने हत्या कर दी थी. उसकी 3 साल की बेटी रस्म पूरा नहीं कर सकती थी तो मां ने जिम्मेदारी ली.
बताया जा रहा है कि दिल्ली में रहने वाली सपना चौधरी की शादी 6 साल पहले विष्णुपद थाना क्षेत्र के चांदचौरा मोहल्ले के रहने वाले हेमंत चौधरी उर्फ डब्बू चौधरी से हुई थी. गुरुवार को ही सपना की मौत गई थी. पुलिस ने उसके शव को हेमंत के घर से बरामद किया था. बेटी की ससुराल वालों ने हत्या कर दी थी. सपना के गले में गहरे नीले निशान थे और बदन पर भी कई जगह चोट के निशान भी थे.
बताया जा रहा है कि पति-पत्नी के बीच एक-दूसरे की केयर ना करने और मायके वालों के हस्ताक्षेप को लेकर बीते दो वर्ष से अनबन चल रही थी. सपना की मौत के समय उसकी 3 साल की बच्ची दूसरे कमरे में सो रही थी. सपना के मारे जाने की भनक उसकी मां जो दिल्ली में रहते ही उसे लग गई. सावित्री देवी ने अपनी बेटी की हत्या का आरोप उसके ससुराल वालों पर लगाया है.
जिस पर कार्रवाई करते पुलिस ने दामाद हेमंत को गिरफ्तार कर लिया है. शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था. इस बीच दिल्ली से मृतका की मां सावित्री देवी भी गया पहुंच गईं. शव के पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने शुक्रवार को शव परिजनों को सौंपना चाहा तो मायके और ससुराल पक्ष के बीच शव को लेने और दाह संस्कार के लिए बहस शुरू हो गई.
अंत में मोहल्ले वालों के हस्तक्षेप के बाद शव, मृतका की मां को सौंप दिया गया. विधिवत तरीके से शव को श्मशान घाट लाया गया. जब मुखाग्नि देने की बात आई तो सावित्री ने आगे बढ़ कर कहा कि मुखाग्नि तो मैं ही दूंगी. यह सुनते ही वहां मौजूद ब्राह्मण व अन्य लोग एक क्षण के लिए चुप्पी साध गए.
लेकिन दूसरे पल ही सावित्री को कहा गया कि आपके और भी बच्चे हैं. उनसे मुखाग्नि दिलवा दीजिए, लेकिन सावित्री देवी नहीं मानीं. इसके बाद उन्हें बिना सिले हुए वस्त्र पहनाए गए और वैदिक रीति रिवाज से अपनी बेटी को सावित्री देवी ने मुखाग्नि दी.