बाढ़ से बेहालः उत्तर बिहार के लोग पानी के बीच अनूठे तरह से करते हैं अंतिम संस्कार, नाव सहारा

By एस पी सिन्हा | Published: July 21, 2021 06:45 PM2021-07-21T18:45:32+5:302021-07-21T18:46:39+5:30

बाढ़ के कारण जीवित इंसानों से अधिक शवों की दुर्दशा हो रही है. शव जलाने के लिए लोगों को दो गज सूखी जमीन तक नहीं मिल रही.

floods North Bihar People perform body dead baot support cremation river patna see pics | बाढ़ से बेहालः उत्तर बिहार के लोग पानी के बीच अनूठे तरह से करते हैं अंतिम संस्कार, नाव सहारा

जुर्ग को अंतिम संस्कार के लिए लेकर जाने के लिए कोई रास्ता नहीं था, क्योंकि पूरा गांव पानी से भरा हुआ था.

Highlightsशहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के श्मसान घाट बाढ़ के पानी में डूब गए हैं.अंतिम संस्कार में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. बाढ़ से घिरे महिसौत गांव में 90 साल के बुजुर्ग की मौत हो गई.

पटनाः बिहार में हर साल बाढ़ की विभिषिका के बीच रहना लोगों की नियति बन चुकी है. शादी जैसे पवित्र बंधन जैसे लेकर अब अंतिम संस्कार भी बाढ़ के पानी के बीच किया जाने लगा है.

दरअसल, दरभंगा जिले में कमला, कोसी, बागमती तथा अधवारा समूह की नदियों में आये उफान के कारण आम लोगों की परेशानी बढ़ी हुई है. ऐसे में बाढ़ के कारण जीवित इंसानों से अधिक शवों की दुर्दशा हो रही है. शव जलाने के लिए लोगों को दो गज सूखी जमीन तक नहीं मिल रही.

शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के श्मसान घाट बाढ़ के पानी में डूब गए हैं, जिससे अंतिम संस्कार में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इसी कड़ी में दरभंगा जिले के कुशेश्वरस्थान में एक शव को नाव पर सवार कुछ लोगों के द्वारा अंतिम संस्कार की विधि को पूरा करते एक तस्वीर वायरल हुआ है. बताया जाता है कि बाढ़ से घिरे महिसौत गांव में 90 साल के बुजुर्ग की मौत हो गई.

परेशानी यह थी कि बुजुर्ग को अंतिम संस्कार के लिए लेकर जाने के लिए कोई रास्ता नहीं था, क्योंकि पूरा गांव पानी से भरा हुआ था. ऐसे में गांव वालों ने एक जुगाड़ का सहारा लेना शुरू किया और बाढ़ के पानी में ही बुजुर्ग का अंतिम संस्कार कराया गया. इसमें लोगों ने पानी के बीच चारो तरफ बांस गाड़ दिया और उसपर बांस का चचरी बनाकर अनाज रखने की कोठी को रखा.

वहीं, कोठी के नीचले हिस्से को भी ढंक दिया गया. ताकि आग मचान में न लगे. इसके बाद उसमें लकड़ियां और गोईठा डाली गई और उसके बीच शव को रखा गया. वहीं मृतक का बेटा नाव से ही शव की परिक्रमा कर विधि पूरी की.

नाव से ही पंडित ने अंतिम संस्कार के सारे मंत्र पढे़ और मुखाग्नि की प्रक्रिया पूरी की गई. उसके बाद नाव पर चढे़-चढे़ ही शव को अग्नि के हवाले कर दिया गया. यहां के लोगों का कहना है कि हर साल की स्थिति है. तीन से चार माह यह गांव पानी से भर जाता है. ऐसे में हल साल सैकड़ों दाह-संस्कार की प्रक्रिया इसी तरह से संपन्न किया जाता है. 

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