ओडिशा के 'माउंटेनमैन' दैतारी नायक लौटाना चाहते हैं पद्मश्री, चींटी के अंडे खाकर पाल रहे हैं पेट
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: June 26, 2019 08:19 AM2019-06-26T08:19:54+5:302019-06-26T08:19:54+5:30
इस वर्ष पद्मश्री से सम्मानित हुए ओडिशा के 'माउंटेनमैन' के नाम से मशहूर दैतारी नायक के लिए अब यह सम्मान मुसीबतों का सबब बन गया है. बेहद गरीब आदिवासी दैतारी बताते हैं कि इस सम्मान की वजह से कोई उन्हें काम नहीं दे रहा है. हालात इतने बुरे हो चुके हैं कि उन्हें चींटी के अंडे खाकर गुजारा करना पड़ रहा है. मजबूरन वह अपना पद्मश्री सम्मान लौटाना चाहते हैं. माउंटेनमैन के सम्मान लौटाने की खबर सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रही है.
ओडिशा के केनोझार जिले के तालाबैतारानी गांव के रहने वाले 75 वर्षीय दैतारी नायक को कुदाल से गोनासिका पहाड़ में 3 किलोमीटर लंबी नहर खोदने के लिए मोदी सरकार ने इसी साल देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया था. मूल रूप से खेती-बाड़ी करने वाले दैतारी ने साल 2010 से 2013 के बीच पहाड़ी को कुदाल से खोद डाला था, जिससे इलाके की 100 एकड़ जमीन पर खेती होने लगी.
दैतारी नायक कहते हैं कि यह सम्मान मिलने के बाद लोग उन्हें मजदूरी का काम ही नहीं दे रहे. लोगों को लगता है कि काम सम्मान से काफी छोटा है. दैतारी कहते हैं, ''मुझे वृद्धावस्था पेंशन के रूप में हर महीने 700 रु पए मिलते हैं, लेकिन इससे परिवार का गुजारा काफी मुश्किल है. ऐसे में हमें चींटी के अंडे खाकर गुजारा करना पड़ रहा है. ''
पुराने झोंपड़े में रहने के लिए मजबूर दैतारी ने अपने पद्मश्री मेडल को बकरी के बाड़े में टांग दिया है. प्रशासन करेगा समझाने की कोशिश दैतारी नायक के इस फैसले की खबर मिलने पर केनोझार के जिला कलेक्टर आशीष ठाकरे ने कहा, ''हम उनकी समस्या सुनेंगे और सम्मान नहीं लौटाने के लिए उन्हें समझाने की कोशिश करेंगे.''