आधे सिर के साथ 10 साल से जिंदा है मंत्री का यह ड्राइवर, नली के जरिए गले से खिलाया जाता है खाना
By बलवंत तक्षक | Published: July 5, 2019 07:58 AM2019-07-05T07:58:02+5:302019-07-05T07:58:02+5:30
परमिंदर ने मुआवजे के लिए बीमा कंपनी, ट्रक ड्राइवर और मालिक पर मुआवजे के लिए केस दायर किया. पहले पंचकूला में बीमा ट्रिब्यूनल ने साढ़े दस लाख रुपए मुआवजा देने के आदेश दिए. परमिंदर इस मामले को लेकर पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट गए. हाईकोर्ट ने मुआवजे की राशि बढ़ाकर 21 लाख कर दी.
पंजाब में मोहाली जिले के ढकोली गांव के परमिंदर सिंह का आधा सिर नहीं है. एक सड़क हादसे में परमिंदर गंभीर रूप से जख्मी हो गया था. इस सड़क हादसे में पंजाब के तत्कालीन कैबिनेट मंत्री कैप्टन कंवलजीत सिंह की मौत हो गई थी. परिमंदर ही उस समय मंत्री की गाड़ी चला रहा था.
10 साल लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद ड्राइवर परिमंदर सिंह को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मुआवजे के तौर पर अब करीब 50 लाख रुपए मिलेंगे. बादल सरकार में नंबर दो मंत्री की हैसियत रखने वाले कैप्टन कंवलजीत सिंह की गाड़ी को वर्ष 2009 में एक ट्रक ने टक्कर मार दी थी.
इस हादसे में कैप्टन की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि ड्राइवर बुरी तरह से जख्मी हो गया गया था. दुर्घटना में उसका आधा सिर उड़ गया था. उसे खाना भी गले में नली के जरिये खिलाया जाता रहा है, लेकिन विपरीत परिस्थितियों में भी परिमंदर और उनके परिवार के लोगों ने हौसला नहीं खोया.
इलाज के दौरान उसकी 18 बार सर्जरी की गई, फिर भी दायीं तरफ से धंस गए सिर को पुराना आकार नहीं दिया जा सका. उसके शरीर का बायां हिस्सा अभी भी काम नहीं कर रहा है. तीन साल तक परिमंदर कुछ बोल भी नहीं पाया और खामोशी से कागज पर लिख कर अपनी परेशानी बयां करता रहा.
परमिंदर ने मुआवजे के लिए बीमा कंपनी, ट्रक ड्राइवर और मालिक पर मुआवजे के लिए केस दायर किया. पहले पंचकूला में बीमा ट्रिब्यूनल ने साढ़े दस लाख रुपए मुआवजा देने के आदेश दिए. परमिंदर इस मामले को लेकर पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट गए. हाईकोर्ट ने मुआवजे की राशि बढ़ाकर 21 लाख कर दी.
इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट गया. अब परमिंदर को 49 लाख 90 हजार रु पए मुआवजे के तौर पर देने के आदेश दिए गए हैं. करीब 75 फीसदी दिव्यांगता के बावजूद वे तीन बार खुद सुप्रीम कोर्ट में पेशी पर हाजिर हुए. परिवार का सहारा बनूंगा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद परमिंदर ने कहा है कि अभी तक मैं परिवार पर बोझ था, लेकिन मुआवजा मिलने के बाद परिवार का सहारा बनूंगा.