नागरिकता संशोधन बिल को लेकर सोशल मीडिया पर मोदी सरकार सवालों के घेरे में, बरखा दत्त का तंज- 'गांधी होते तो भूख हड़ताल करते'
By पल्लवी कुमारी | Published: December 5, 2019 11:47 AM2019-12-05T11:47:28+5:302019-12-05T11:47:28+5:30
नागरिकता संशोधन बिल के तहत पड़ोसी देशों से शरण के लिए भारत आए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है।
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार जल्द ही संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) को पेश करने वाली है। केंद्रीय कैबिनेट में इस विधेयक को मंजूरी मिल गई है। लेकिन संसद में पेश होने के पहले ही इस बिल को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार सवालों के घेरे में आ गई है। पिछले कुछ दिनों से ट्विटर पर इसको लेकर कई तरह के हैशटैग चल रहे हैं। आज (5 दिसंबर) को नागरिकता संशोधन बिल का विरोध करने के लिए ट्विटर यूजर #Pakistan चला रहे हैं। इस बिल को लेकर ट्विटर पर कई लोगों का कहना है कि ये संविधान की भावना के विपरीत है।
#Pakistan के साथ टीवी पत्रकार बरखा दत्त का एक ट्वीट चर्चा में आ गया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि अगर आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जिंदा होते तो इस विधेयक के खिलाफ भूख हड़ताल करते। बरखा दत्त ने ट्वीट कर लिखा,'' एक धर्मनिरपेक्ष देश का नागरिकता कानून कभी भी धर्म से संचालित नहीं हो सकता है। यदि गांधी जीवित होते, तो वे इस नागरिकता कानून के खिलाफ उपवास करते। मुसलमानों को भी सताया जाता है। सोचो बलूच, शिया, रोहिंग्या के बारे में। यह बिल उस चीज के खिलाफ है जो हम हैं।''
A secular country's citizenship law can never be driven by religion. If Gandhi were alive, he would be fasting against this citizenship law. Muslims are persecuted too- think Baloch, Shias, Rohingyas. This bill is against the grain of who we are. My take https://t.co/ak7M2kSs9e
— barkha dutt (@BDUTT) December 4, 2019
इसलिए #Pakistan नागरिकता संशोधन बिल को लेकर आया ट्रेंड में
#Pakistan ट्रेंड में उस वक्त आया जब असम के मंत्री और बीजेपी नेता हिमंत बिस्वा सरमा ने इस बिल को लाए जाने के लिए अप्रत्यक्ष तौर पर पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया। एक मीडिया चैनल से बात करते हुए हिमंत ने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर किए गए धार्मिक अत्याचार की वजह से ही भारत को ये बिल लाना पड़ रहा है, जिससे उन अल्पसंख्यकों को नागरिकता देते हुए यहां की शरण दी जा सके। सरमा ने कहा, 'अगर पाकिस्तान धर्मनिरपेक्ष देश होता, तो भारत को सीएबी की जरूरत ही नहीं पड़ती। पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न का ही परिणाम है कि हमें ये करना पड़ रहा है।'
If Pakistan Was Secular, India Would Not Require Citizenship Amendment Bill: BJP's Himanta Biswa Sarma https://t.co/zJ3r5wBHMt
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) December 4, 2019
एक वैरिफाइड यूजर ने लिखा, 1947 में भारत से अलग होने के बाद विशेष रूप से मुसलमानों के लिए एक पूरा देश बना जो पाकिस्तान था। पाकिस्तान स्लामिक गणराज्य बना। लेकिन 72 सालों बाद भी पाकिस्तान भारत से और अधिक रक्त और क्षेत्र चाह रहा है। लेकिन राजनीति अतिशयोक्ति के बारे में है। इसलिए राजनेताओं और उनके लोगों को आगे बढ़ना चाहिए।
In 1947, a whole country was created out of India, exclusively for Muslims. That country became Islamic Republic of Pakistan & even after 72 years, is still seeking more blood & territory of India. But politics is about hyperbole. So the politicians & their scions must carry on. https://t.co/J2Glcr4fKD
— Aarti Tikoo Singh (@AartiTikoo) December 4, 2019
प्रियंका चतुर्वेदी ने लिखा, तो क्या अब मोदी की भेदभावपूर्ण नीतियों का आधिकारिक औचित्य पाकिस्तान है? आप भारत को एक असफल आतंकी राज्य के स्तर तक कम करना चाहते हैं?
So now the Modi’s official justification of discriminatory policies is Pakistan? You want to reduce India to the level of a failed terror state? https://t.co/tsNKxoTsIQ
— Swati Chaturvedi (@bainjal) December 5, 2019
एनडीटीवी के एडिटर अखिलेश शर्मा ने ट्वीट किया, तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों के लिए बीजेपी द्वारा जाल बिछाया गया है।
#CitizenshipAmendmentBill2019 is well thought trap laid down by the BJP for the so called secular parties. The aim is to further consolidate its Hindu votes and isolate these parties especially the Congress in North India. Only time will tell who wins this battle of ideas!!
— Akhilesh Sharma अखिलेश शर्मा (@akhileshsharma1) December 5, 2019
आइए समझते हैं आखिर नागरिकता संशोधन बिल है क्या?
नागरिकता संशोधन बिल के तहत पड़ोसी देशों से शरण के लिए भारत आए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। बता दें कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान इसी साल 8 जनवरी को यह लोकसभा में पारित हो चुका है।
नागरिकता संशोधन बिल का पूर्वोत्तर में ही क्यों होता है ज्यादा विरोध
नागरिकता संशोधन विधेयक पूरे देश में लागू किया जाएगा। लेकिन इस विधेयक का ज्यादातर भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्रों जैसे, मेघालय, मणिपुर, असम, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम में विरोध होता रहा है, क्योंकि ये राज्य बांग्लादेश की सीमा से सटे हैं।
पूर्वोत्तर क्षेत्रों के लोग का कहना है कि पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से गैर-मुसलमान अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए नियमों में ढील देती है। मेघालय, मणिपुर, असम, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम जैसे राज्य के लोगों की समस्या है कि यहां बांग्लादेश से मुसलमान और हिंदू दोनों ही बड़ी संख्या में अवैध तरीके से आकर बस जाते हैं।