चंद्रयान-2 से जुड़ा इसरो ने फिर किया नया खुलासा, तस्वीर जारी कर कहा- जानतें हैं चांद पर ये काला दाग क्यों है?
By पल्लवी कुमारी | Published: October 23, 2019 01:37 PM2019-10-23T13:37:12+5:302019-10-23T13:37:12+5:30
7 सितंबर 2019 को चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में 'सॉफ्ट लैंडिंग' के प्रयास के अंतिम क्षणों में लैंडर 'विक्रम' का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था। जिसकी वजह से 'चंद्रयान-2' का 'सॉफ्ट लैंडिंग' नहीं हो पाया था।
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) चंद्रयान-2 को लेकर अभी नए खुलासे करता रहता है। इसरो का दावा है कि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर हर दिन चांद के चक्कर लगा रहा है और वहां से चांद की तस्वीरें भी इसरो को भेज रहा है। 22 अक्टूबर को भी इसरो ने चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के द्वारा भेजी गई एक तस्वीर जारी की। जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। तस्वीर को जारी कर इसरो ने लिखा,''ऑर्बिटर DF-SAR द्वारा भेजी गई तस्वीरों से हमें पता चला है कि चांद की सतह पर काला दाग क्यों होता है और उसकी सतह पर इतने गड्ढे क्यों होते। आप भी देखिए इसकी शुरुआती तस्वीरें।''
ये तस्वीरें चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे डुअल फ्रिक्वेंसी सिंथेटिक एपर्चर राडार (DF-SAR) ने भेजा है। ये चांद के चारों ओर परिक्रमा कर रहा है। इसरो के मुताबिक, ''एक सिंथेटिक अपर्चर रडार की जगह (इस बार) हमारे पास दो फ्रीक्वेंसी रडार हैं। इस तरह इसमें अनेक नयी क्षमताएं हैं। वास्तव में यह बेहतर परिणाम हासिल करने में हमारी मदद करेगा। इसके अलावा हमारे पास अत्यंत उच्च गुणवत्ता वाले कैमरे तथा दीर्घ स्पेक्ट्रल रेंज है।'' इसी वजह से ऑर्बिटर लगातार तस्वीर जारी कर रहा है।
इसरो के मुताबिक ऑर्बिटर द्वारा भेजी गई तस्वीरें से वह ये पता कर चुके हैं कि चांद पर काले दाग क्यों होते हैं?,कहां-कहां चांद गड्ढे हैं।
#ISRO#Chandrayaan2’s DF-SAR is designed to produce greater details about the morphology and ejecta materials of impact craters on the lunar surface. Have a look of initial images and observations made by DF-SAR
— ISRO (@isro) October 22, 2019
For more details please visit: https://t.co/1j7SBcXIplpic.twitter.com/SEHukoYJMV
इसरो ने बताया चांद पर काले धब्बे क्यों है?
DF-SAR से पृथ्वी के इसरो सेंटर्स पर भेजी गई तस्वीरों से पता चलता है कि यह उपकरण चांद की सतह के ऊपर और सतह के नीचे की तस्वीरें भी आसानी से जारी कर सकता है। ऑर्बिटर
DF-SAR की भेजी गई तस्वीरों से पता चला है कि चांद की सतह पर जो काले दाग दिखाई देते हैं, असल में वह चांद के गड्ढे की परछाइयां ही है। असल में चांद के गड्ढे और उनकी परछाइयां ही चांद की सतह पर काले धब्बे से दिखाई पड़ते हैं।
ऑर्बिटर लगभग सात साल तक कर सकता काम
यान का ऑर्बिटर एकदम ठीक है और चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है। इसका कार्यकाल एक साल निर्धारित था, लेकिन अब इसरो ने कहा है कि पर्याप्त मात्रा में ईंधन होने के चलते ऑर्बिटर लगभग सात साल तक काम कर सकता है।
चांद पर नहीं हो पाया था 'सॉफ्ट लैंडिंग'
इसरो के महत्वाकांक्षी दूसरे चंद्र मिशन के तहत 'चंद्रयान-2' ने गत 22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी थी। यान ने पृथ्वी और चंद्रमा की कक्षा सहित सभी चरणों को सफलतापूर्वक पूरा किया। हालांकि, गत 7 सितंबर 2019 को चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में 'सॉफ्ट लैंडिंग' के प्रयास के अंतिम क्षणों में लैंडर 'विक्रम' का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था।