सलाम: सरहद पर शहीद हुआ पति, पत्नी ने दिया जुड़वा बच्चों को जन्म, कहा- ये भी बनेंगे सैनिक...
By राजेन्द्र सिंह गुसाईं | Published: January 9, 2019 03:42 PM2019-01-09T15:42:26+5:302019-01-09T15:42:26+5:30
"उस दिन को कभी नहीं भूल सकती, जब पति को तिरंगे में लपेटकर लाया गया था। उनकी शहादत से लेकर अब तक इसी आस में गुजारे कि उनके अंश को सेना में भेजूं।"
किसी ने खूब ही कहा है...
छाती उस मां की भी फटी होगी,
दुनिया उस बाप की भी लूटी होगी,
जिसका बेटा शहीद हो गया यहां।
चरणों को जब उसने छुआ होगा,
दर्द उस पत्नी को भी हुआ होगा,
जिसका पति शहीद हो गया यहां।
24 दिसंबर 2017 को जम्मू-कश्मीर के तंगधार सेक्टर में पाकिस्तान से लड़ते हुए गणपत कड़वासरा शहीद हो गए। पति की शहादत की खबर जब घर पहुंची, उस वक्त पत्नी रूपी 1 महीने की गर्भवती थीं। शव तिरंगे में लपेटकर जोधपुर के खुडियाला गांव लाया गया। सभी को अपने इस सपूत पर गर्व था, लेकिन रूपी का दर्द शायद ही कोई जान सकता था।
पति के चले जाने से रूपी टूटी नहीं। 8 महीने बाद जब जुड़वा बच्चों को जन्म दिया, तो ऐसी बात कह दी, जिसने पूरे परिवार का गौरव और बड़ा दिया। रूपी ने एक बेटे और एक बेटी को जन्म दिया और कहा, "मुझे बस इनके बड़े होने के इंतजार है। दोनों को सेना में ही भेजूंगी।"
एक तस्वीर काफी वायरल हुई, जिसमें रूपी दोनों बच्चों के साथ शहीद पति गणपतराम की तस्वीर लिए हुए हैं। रूपी कहती हैं, "उस दिन को कभी नहीं भूल सकती, जब पति को तिरंगे में लपेटकर लाया गया था। उनकी शहादत से लेकर अब तक इसी आस में गुजारे कि उनके अंश को सेना में भेजूं। आठ महीनों का समय 8 सालों के बराबर था। ईश्वर ने मेरी प्रार्थना सुनी और निशानी के रूप में दो बच्चे दिए।"
शहीद गणपतराम की मां बीरोदेवी का कहना है कि, "मेरा बेटा बाल रूप में एक बार फिर वापस आ गया।" वहीं पिता पूनाराम ने कहा, "देश ने मेरे बेटे को अपनी सेवा में लिया, लेकिन भगवान ने मुझे उस बेटे के साथ बेटी भी देकर झोली भर दी।"