30 साल तक एक महिला ऐसे बनी रही पुरूष, मर्दों की तरह रखती थी छोटे बाल पहनती थी लूंगी-शर्ट, आखिर क्यों? वजह जान कर आप भी हो जाएंगे हैरान
By आजाद खान | Published: May 14, 2022 11:39 AM2022-05-14T11:39:11+5:302022-05-14T11:44:27+5:30
30 साल पहले जब पेचियाम्माल ने काम करना चाहा तो उत्पीड़ना का सामना करना पड़ा था, ऐसे में वह तंग आकर पुरूष का वेश बना लिया था ताकि वह अपनी बेटी को सही से पाल सके।
चेन्नई: तमिलनाडु के थूथुकुडी जिले में एक महीले के 30 साल तक पुरूष बनने की खबर सामने आई है। बताया जा रहा है कि महिला ने खुद को पुरूष के वेश इतने सालों तक अपने आप को
इसलिए छुपाकर रखा था ताकि वह अपने छोटी सी बच्ची को पाल-पोषण कर सके। इसके चलते पिछसे 30 सालों में महिला को बहुत सी मुसिबतों का भी सामना करना पड़ा था। जानकारी के मुताबिक, 30 साल पहले थूथुकुडी के कटुनायक्कनपट्टी गांव की रहने वाली 20 वर्षीय पेचियाम्माल की शादी एक शख्स से हुई। शादी के 15 दिन बाद उसके पति की मौत हो गई थी जिसके बाद उसे एक बेटी हुई थी। पति के मौत के बाद पेचियाम्माल के सामने बेटी के पालन-पोषण की चिंता सताने लगी थी।
क्यों पेचियाम्माल बनी मुथु
घर का खर्चा और बेटी के पालन-पोषण के लिए पेचियाम्माल ने काम करना शुरू किया जहां उसे हर रोज उत्पीड़न को सहना पड़ रहा था। इससे परेशान होकर उसने एक दिन पुरूष बनने की ठान ली ताकि वह बिना किसी उत्पीड़न के वह काम कर पाए जिससे अपनी बेटी का पालन-पोषण कर पाए। पेचियाम्माल दूसरी शादी नहीं करना चाहती थी और उसका एक ही उद्देशय था कि वह कैसे भी करके अपने बेटी को पालेगी। इसके लिए उसने अपनी चाल-ढाल को पुरूषों जैसा किया और अपने कपड़ों के साथ अपना नाम भी पुरूषों जैसा मुथु रखा था।
बेटी के लिए मां ने बनाया पुरूषों का वेश
पेचियाम्माल मर्दों जैसे अपने बाल कटवाए और लूंगी और शर्ट पहनकर छोटे-मोटे जगहों पर काम करने लगी थी। उसने बाताया कि वह इस वेश में चेन्नई और थूथुकुडी में कई काम किए हैं। उसने
होटलों और चाय की दुकानों भी काम किया है। वह पेंटर और 100 दिन के काम को भी किया है। पेचियाम्माल के काम को देखते हुए जहां भी वह काम करती थी लोग उन्हें ‘अन्नाची’ कहते थे जो एक पुरुषों को दी जाने वाली पारंपरिक नाम होते हैं। उनके परोट्टा और चाय की दुकानों पर काम करने के लिए लोग उन्हें ‘मुथु मास्टर’ के नाम से भी बुलाते थे।
बसों में भी पुरूषों वाली सीट पर बैठती थी
पेचियाम्माल ने बताया कि उसने अपनी सारे दस्तावेज मुथु की पहचान पर बनवाया है। उसके आधार, वोटर आईडी और बैंक के खातों में मुथु ही नाम है। पेचियाम्माल के अनुसार, वह बस में भी पुरूषों वाली सीट पर ही बैठती थी जबकि राज्य सरकार ने बसों में महिलाओं के सफर को फ्री कर दिया था। उसके पुरूष होने के कारण वह कई योजनाओं से अपात्र है और उनका कहना है कि अगर उन्हें पेंशन मिलता है तो वह पूरे जवीन एक मर्द की तरह ही अपना जीवन बिताना चाहती है। आपको बता दें कि पेचियाम्माल ने अपनी बेटी षणमुगसुंदरी का पालन पोषण कर उसकी शादी कर दी है। उसकी बेटी की भी यही इच्छा है कि उसकी मां को पेंशन मिले।