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'शिवसेना' बनाम 'शिवसेना बाला साहब': असली टक्कर तो अब होगी

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: June 25, 2022 05:36 PM2022-06-25T17:36:33+5:302022-06-25T17:38:21+5:30

एकनाथ शिंदे वो नाम, जिसने अपने प्रभाव से महाराष्ट्र की राजनीति में ऐसा भूचाल ला दिया। जिससे डोल रही है उद्धव ठाकरे की गद्दी। महाराष्ट्र के करीब 3000 किलोमीटर दूर बैठकर शिदें ने बाला साहेब ठाकरे के नाम पर उनके बेटे उद्धव ठाकरे को ही सत्ता से लगभग बेदखल कर दिया है।

असम से हो रही महाराष्ट्र की राजनीति में एक नई खबर ये आ रही है कि गुवाहाटी के होटल में बैठकर शिंदे ने ऐलान कर दिया है कि उनकी पार्टी का नाम 'शिवसेना बाला साहेब' होगा। यानी पिता के नाम पर पुत्र को सत्ता से च्युत करने के बाद एकनाथ शिंदे ठाकरे को एक और बड़ी चोट देने की तैयारी में हैं।

उद्धव ठाकरे द्वारा बागी विधायकों की विधानसभा सदस्यता खत्म किये जाने संबंधी डिप्टी स्पीकर को लिखे पत्र के बाद बागी शिदे ने और भी सख्त तेवर अख्तियार कर लिया है। बगावती गुट के नेता शिंदे ने नई पार्टी का ऐलान करके महा विकास अघाड़ी सरकार को साफ बता दिया है कि अब वो चंद दिनों की मेहमान हैं। 

शिवसेना के बागी नेता दीपक केसरकर ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि हमारे समूह को 'शिवसेना बालासाहेब' कहा जाएगा। हम किसी भी पार्टी में विलय नहीं करेंगे।''

अब बड़ा सवाल उठता है कि अगर शिंदे गुट के पास कुल सदस्यों की संख्या के एक तिहाई सदस्य मौजूद हैं तो क्या असल में शिवसेना पार्टी उनकी हुई और अगर ऐसा हुआ तो शिवसेना के चुनाव चिन्ह 'तीर-धनुष' पर किसका अधिकार होगा। क्या शिंदे गुट इसके लिए चुनाव आयोग में जाएगा और अगर जाएगा तो चूंकि बहुमत शिंदे गुट के पास है तो क्या इलेक्शन कमीशन उन्हें चुनाव 'तीर-धनुष' के प्रयोग के इस्तेमाल करने की इजाजत देगा या फिर दिंवगत राम विलास पासवान की पार्टी लोकजन शक्ति की तरह शिवसेना का चुनाव चिन्ह भी फ्रीज कर लेती है।   

इस बीच शिंदे समूह की बगावत को फेल करने के लिए उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने भी कार्यकारी बैठक बुलाई है, जिसमें मौजूदा घटनाक्रम पर चर्चा हो रही है। आपको याद होगा कि बीते शुक्रवार को उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने शिवसेना जिलाध्यक्षों की बैठक में कहा था कि शिवसैनिक इस लड़ाई में सड़कों पर उतरने के लिए तैयार रहें। आदित्य ठाकरे ने कहा ता कि शिवसैनिकों को फिर अपने पुराने तेवर में आना होगा और इसके लिए सभी जिलाध्यक्ष एक्टिव हो जाएं। 

ठाकरे परिवार इस लड़ाई को किसी भी कीमत पर जीतना चाहता है क्योंकि ठकरे परिवार यह लड़ाई हार जाता है तो महाराष्ट्र में उसके वजूद को भारी धक्का लगने की संभावना व्यक्त की जा रही है। माना जा रहा है कि इसी कारण अब शिवसैनिकों का रूख भी बागी विधायकों के प्रति हिंसक होता जा रहा है और उसी का परिणाम है कि बागी विधायकों के कार्यालयों में तोड़फोड़ की सूचनाएं भी सामने आ रही हैं। 

बगावत के कारण हो रही हिंसा के बारे में अब तक जो जानकारी सामने आयी है, उसके मुताबिक शिवसैनिकों ने पुणे में बागी विधायक तानाजी सावंत के कार्यालय में तोड़फोड़ की और कई बागी विधायकों के पोस्टर पर काली पोतने और उन्हें फाड़ने का मामला भी सामने आया है। 

शिवसैनिकों के उग्र होते तेवर को देखते हुए पुणे पुलिस अलर्ट मोड पर है। बताया जा रहा है कि पुणे के सभी पुलिस थानों को शहर में शिवसेना नेताओं से संबंधित कार्यालयों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया है।

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