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लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मज़दूरों की दर्द भरी कहानी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 15, 2020 07:50 PM2020-04-15T19:50:36+5:302020-04-15T19:50:36+5:30

लॉकडाउन अब 3 मई तक रहेगा. इस एलान को सुनते ही बदहवास हजारों प्रवासी कामगार कल मुंबई के बांद्रा में बस अड्डे स्टेशन पर जमा हो गए. सरकार से कह रहे थे खाना नहीं बस घर भेज दो. सारी बचत खत्म हो गयी है. फिलहाल लाठी-डंड और नाउम्मीदी मिली हैं. सरकार को हालात काबू में करना था वो कर लिया गया. ट्रेन चलने की खबरें फैलाने वाला पुलिस के कब्जे में है. इस खबर से तुरंत अलर्ट हुए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल प्रवासी मजदूरों के सामने प्रकट हुए और संदेश दिया कि अफवाहों के चक्कर में मत आएं . कोई डीटीसी बस आपको कहीं नहीं ले जाएगी. आप यहीं रहे मैं हूं ना. ये संदेश रात को दिया गया और अगली सुबह एक तस्वीर देखने को मिली जिसने सारे इंतजामों की पोल खोल दी. पहले आप इन तस्वीरों को निहार लें. ये तस्वीरें आपकी दिल्ली की ही है. लॉकडाउन में सड़कें, बसें ट्रेन सब बंद है. ये मजदूर कहीं नहीं जा सकते. महीनों का राशन भी जमा नहीं कर सकते. तो यहीं यमुना के तीर जमें हैं, जिंदगी के फिर चलने के इंतज़ार में. यमुना पर बने एक पुल के नीचे, अधिकतर दिहाड़ी मजदूर हैं, बताते हैं कि ये यहां हफ्तों से हैं. दयनीय हालत में हैं, नजदीक के गुरुद्वारे से एक वक्त की रोटी मिल जाती है. कभी इसी पुल पर दिल्ली फर्राटे भरा करती थी, आज इसी पुल के नीचे ये मजदूर एक वक्त की रोटी पर दिन-रातें काटने को मजबूर हैं. एक टीवी पत्रकार अरविंद गुनासेकर ने ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की तो सोशल मीडिया कुछ कराह उठी. सीएम केजरीवाल और उनकी सरकार के मंत्री दिलीप पांडे ने कहा कि थैंक यू आपने ध्यान दिला दिया. हम जल्दी ही कुछ करेंगे. 
 

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