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मृतक के Preserved Sperm पर पिता का नहीं पत्नी का अधिकार, Calcutta High Court ने दिया अहम फैसला

By गुणातीत ओझा | Published: January 24, 2021 09:51 PM2021-01-24T21:51:23+5:302021-01-24T21:52:12+5:30

कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने एक पेचीदा मामले में गंभीर फैसला सुनाया है। कोर्ट द्वारा ऐसे फैसले अमूमन कम ही सुनने को मिलते हैं। कोर्ट ने पिता द्वारा अपने मृत बेटे के जमा किए हुए स्पर्म (Preserved Sperm) पर पेश की दावेदारी को ठुकरा दिया।

मरने के बाद 'स्पर्म' का मालिक कौन?

कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने एक पेचीदा मामले में गंभीर फैसला सुनाया है। कोर्ट द्वारा ऐसे फैसले अमूमन कम ही सुनने को मिलते हैं। कोर्ट ने पिता द्वारा अपने मृत बेटे के जमा किए हुए स्पर्म (Preserved Sperm) पर पेश की दावेदारी को ठुकरा दिया। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए यह कहा कि मृतक के अलावा सिर्फ उसकी पत्नी के पास इसे प्राप्त करने का अधिकार है। न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास अपने बेटे के संरक्षित शुक्राणु यानि स्पर्म को पाने का कोई मैलिक अधिकार नहीं है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उनके बेटे की विधवा को इस मामले में 'नो ऑब्जेक्शन' देने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए या कम से कम उसके अनुरोध का जवाब देना चाहिए। अदालत ने हालांकि वकील के इस अनुरोध को खारिज कर दिया।

कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के एक अस्पताल में रखे गए स्पर्म मृतक के हैं और वह मृत्यु तक वैवाहिक संबंध में थे, इसलिए मृतक के अलावा सिर्फ उनकी पत्नी के पास इसका अधिकार है। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि उनका बेटा थैलेसीमिया का मरीज था और भविष्य में उपयोग के लिए अपने स्पर्म को दिल्ली के अस्पताल में सुरक्षित रखा था। वकील के अनुसार, याचिकाकर्ता, अपने बेटे के निधन के बाद, अस्पताल के पास मौजूद उसके बेटे के स्पर्म पाने के लिए संपर्क किया। अस्पताल ने उन्हें सूचित किया कि इसके लिए मृतक की पत्नी से अनुमति की आवश्यकता होगी, और विवाह का प्रमाण देना होगा।

2009 में पहली बार हुई थी दिवंगत पति के स्पर्म से संतान सुख की प्राप्ति

भारत में वर्ष 2009 में दिवंगत पति की के स्पर्म से पहली बार किसी भारतीय महिला को संतान सुख प्राप्त हुआ है। पति की मौत के दो साल बाद पूजा नाम की एक महिला गर्भवती हुई और उसने कोलकाता के एक अस्पताल में बेटे को जन्म दिया था। पूजा ने अपने दिवंगत पति राजीव के स्पर्म की मदद से गर्भ धारण किया था। नि:संतान दंपति ने 2003 कृत्रिम गर्भाधान के लिए प्रयास शुरू किए थे। इससे पहले पूजा मां बन पाती, 2006 में राजीव की मौत हो गई।

दो साल बाद पूजा को पता चला कि उसके पति के स्पर्म अस्पताल के स्पर्म बैंक में सुरक्षित हैं। पूजा ने डॉक्टर से संपर्क किया और फिर वकीलों से भी कानूनी मशवरा लिया। इसके बाद डॉ. वैद्यनाथ चक्रवर्ती ने पूजा का इलाज शुरू किया और वह गर्भवती हो गई। मां बनने के बाद पूजा ने कहा था, ‘मैं चिल्लाकर पूरी दुनिया को बताना चाहती हूं कि मेरे पति लौट आए हैं।’

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