googleNewsNext

गिरफ्तार डीएसपी देविंदर सिंह पर संसद हमले के दोषी अफज़ल गुरू ने लगाए थे ये आरोप

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 15, 2020 05:41 PM2020-01-15T17:41:52+5:302020-01-15T18:40:37+5:30


दो वांटेड आतंकियों के साथ अरेस्ट वाले जम्मू कश्मीर पुलिस के डीएसपी दविंदर सिंह को शनिवार को उस वक्त गिरफ्तार किया गया  जब वो आतंकवादियों को साथ लेकर जम्मू जा रहे थे। गलत वजहों से चर्चा में देविंदर पहली बार नहीं आये हैं..इससे पहले 2001 में संसद हमले के दोष में फांसी पर चढ़ाए गए अफजल गुरु ने 2013 की अपनी एक चिट्ठी में लिखा था कि दविंदर सिंह ने ही उसे संसद हमले के सह आरोपी ‘‘मोहम्मद’’ को साथ लेकर ‘‘दिल्ली जाने और उसके लिए मकान किराए पर लेने तथा कार खरीदने को कहा था।’’ उस वक्त सिंह विशेष अभियान समूह में डीएसपी थे। आतंकवादियों को लेकर जाते हुए शनिवार को हुई उनकी गिरफ्तारी ने अफजल गुरु द्वारा उठाए गए सवालों और लगाए गए आरोप आज फिर से जिंदा हो गये हैं..न्यूज  मैगजीन कारवां के संपादक को जेल में दिए एक इंटरव्यू में अफजल गुरू ने दविंदर का पूरा किस्सा विस्तार से बताया है..आइये हम आपको दिखाते है कि अफजल गुरू ने क्या कहा था डीएसपी दविंदर सिंह के बारे में..
सवाल-आप अपने बारे में बताएंगे? इस केस से पहले के बारे में.

जवाब-(अफजल गुरू) जब मैं बड़ा हो रहा था तो कश्मीर में हालात बेहद संगीन थे. मकबूल भट्ट को फांसी दे दी गई. हालात विस्फोटक बन चुके थे. कश्मीर के लोगों ने एक बार फिर वोटों के जरिए लड़ाई लड़ने का फैसला किया. वे अमन के रास्ते कश्मीर का मसला सुलझाना चाहते थे. कश्मीर मामले के आखिरी हल के लिए कश्मीरी मुसलमानों की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टी मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट का गठन हुआ. दिल्ली में बैठे लोगों को एमयूएफ को मिल रहे समर्थन ने बेचैन कर दिया. नतीजतन, ऐसी चुनावी धांधली हुई जिसके बारे में कभी किसी ने सोचा भी न था. जिन लीडरों ने चुनाव में भाग लिया और जो भारी बहुमत से जीते उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, अपमानित किया गया और जेलों में डाल दिया गया. बस इसके बाद ही इन लीडरों ने हथियारबंद संघर्ष का बिगुल फूंक दिया. उन दिनों मैं श्रीनगर के झेलम वैली मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहा था. मैंने पढ़ाई छोड़ दी और जेकेएलएफ का मेंबर बन कर बॉर्डर पार चला गया. लेकिन जब मैंने देखा कि पाकिस्तान के सियासतदान भी इस मामले में हिंदुस्तानी सियासतदानों की तरह ही पेश आ रहे थे तो मायूस होकर चंद हफ्तों में वापस लौट आया. मैंने सुरक्षा बलों के आगे सरेंडर कर दिया. बीएसएफ ने मुझे सरेंडर आतंकी का सर्टिफिकेट भी दिया. मैंने एक नई जिंदगी शुरू की. मैं डॉक्टर तो नहीं बन पाया लेकिन दवा और सर्जिकल औजारों का एजेंट बन गया. (अफजल यह कह कर हंसने लगे.)

लेकिन ऐसा एक भी दिन नहीं था जब राष्ट्रीय रायफल और एसटीएफ के लोगों ने मुझे नहीं सताया हो. कश्मीर में कहीं भी आतंकी हमला होता तो ये लोग आम शहरियों को घेर लेते और खूब टॉर्चर करते. मेरे जैसे हथियार डाल चुके आतंकियों के लिए तो यह और भी बुरा होता. हम लोगों को गिरफ्तार कर लिया जाता और झूठे मामलों में फंसा देने की धमकी दी जाती. फिर भारी रिश्वत देने के बाद हम लोगों को छोड़ा जाता. मैंने बार बार रिश्वत दी है. 22 राष्ट्रीय रायफल के मेजर राम मोहन रॉय ने मेरे प्राइवेट पार्ट में बिजली के झटके दिए. मुझसे सैंकड़ों बार कैंपों और टॉयलेटों की सफाई कराई गई. एक बार एसटीएफ के हुमहामा यातनागृह से आजाद होने के लिए मेरे पास जो कुछ भी था मैंने सुरक्षा में तैनात जवानों के हवाले कर दिया. डीएसपी विनय गुप्ता और डीएसपी दविन्दर सिंह की देखरेख में टॉर्चर किया जाता था. इंस्पेक्टर शांति सिंह उनका टॉर्चर एक्सपर्ट था. एक बार उसने तीन घंटों तक मुझे बिजली के झटके दिए. जब मैं एक लाख रुपए रिश्वत देने के लिए तैयार हुआ तब कहीं मुझे छोड़ा गया. मेरी बीवी ने अपने गहने बेच दिए और जब वह भी कम पड़े तो मेरा स्कूटर बेचना पड़ा.

मैं मानसिक और जिस्मानी तौर पर टूट चुका था. मेरी हालत इतनी खराब थी कि छह महीनों तक घर से बाहर नहीं निकल सका. मैं अपनी बीवी के साथ सो भी नहीं सकता था क्योंकि मेरे प्राइवेट पार्ट में करेंट लगाया गया था. मर्दानगी हासिल करने के लिए मुझे इलाज कराना पड़ा.

Q-आपके मामले पर बात करते हैं. किन परिस्थितियों में आप संसद पर हुए हमले के आरोपी बने?
 
A-एसटीएफ कैंप में रहने के बाद आपको पता होता है कि या तो आपको चुपचाप एसटीएफ का कहना मानना होगा नहीं तो आप या आपके परिवार वालों को सताया जाएगा. ऐसे में जब डीएसपी दविन्दर सिंह ने मुझे एक छोटा सा काम करने को कहा तो मैं न कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाया. जी हां, उन्होंने इसे “एक छोटा सा काम” ही कहा था. दविन्दर ने मुझे एक आदमी को दिल्ली लेकर जाने और उसके लिए किराए का मकान ढूंढने को कहा था. मैं उस आदमी से पहली बार मिला था. क्योंकि उसे कश्मीरी नहीं आती थी इसलिए मैं कह सकता हूं कि वह बाहरी आदमी था. उसने अपना नाम मोहम्मद बताया. (पुलिस का कहना है कि जिन 5 लोगों ने संसद में हमला किया उनका लीडर मोहम्मद था. उस हमले में सुरक्षा बलों ने इन पांचों को मार दिया था.)

जब हम दोनों दिल्ली में थे तब दविन्दर हम दोनों को बार बार फोन करते थे. मैंने इस बात पर भी गौर किया कि मोहम्मद दिल्ली के कई लोगों से मिलने जाता था. कार खरीदने के बाद उसने मुझसे कहा कि उसे मेरी जरूरत नहीं है और मैं घर जा सकता हूं. जाते वक्त उसने मुझे तोहफे में 35 हजार रुपए दिए. मैं ईद के लिए कश्मीर आ गया.

मैं श्रीनगर बस अड्डे से सोपोर के लिए निकलने ही वाला था कि मुझे गिरफ्तार कर लिया गया और परिमपोरा पुलिस स्टेश लाया गया. उन लोगों ने मेरा टॉर्चर किया और फिर एसटीएफ के मुख्यालय ले गए और वहां से दिल्ली लेकर आए.

 

टॅग्स :संसदजम्मू कश्मीरक्राइम न्यूज हिंदीदेविंदर सिंहParliamentjammu kashmircrime news hindiDevendra Singh