...तो इसलिए हर स्टेशन के बोर्ड पर लिखा जाता है समुद्र तल से उसकी ऊंचाई
By मेघना वर्मा | Published: September 22, 2018 08:49 AM2018-09-22T08:49:33+5:302018-09-22T08:49:33+5:30
ट्रेन के ऊपर लगे बिजली के तारों को एक समान ऊंचाई देने में भी इससे मदद मिलती है।
भारतीय रेल में सफर करना मतलब इंजन की सीटी, चहलकदमी करता जंक्शन और चाय की प्याली। स्टेशन चाहे बड़ा हो या छोटा ट्रेन की आवाज सुनते ही मन में खुशी से झूम उठता है। स्टेशन चाहे कोई भी हो इन सारी चीजों के अलावा एक और सामान्य सी चीज जो देखने को मिलती है वो है पीले रंग के बोर्ड पर लगा हुआ उस स्टेशन का नाम। अगर कभी गौर किया हो तो इन्हीं पीले रंग के बोर्ड पर स्टेशन के नाम के अलावा उस स्टेशन की समुद्र तल से कितनी ऊंचाई है ये भी लिखा होता है। क्या आपने सोचा है उसका क्या मतलब होता है। आज हम आपको बोर्ड लिखे इसी शब्दों का मतलब बताने जा रहे हैं और साथ ही बताएंगे कि क्या है इसको लिखने का मकसद।
समान ऊंचाई से नापने के लिए दिया गया माप
हम सब जानते हैं दुनिया गोल है। ऐसे में दुनिया को किसी समान ऊंचाई से नापने के लिए एक माप की जरूरत थी। चूंकी एक समान तल की बात करें तो समुद्र का नाम उसमें सबसे पहले आता है। यही कारण है कि समुद्र को समतल मानकर वैज्ञानिकों ने देश के हर शहर, गांव और कस्बे को उसकी ऊंचाई से मापना शुरू कर दिया।
गार्ड और ड्राइवर के लिए
अब आप ये सोच रहे होंगे कि इन मापों का क्या काम लेकिन काम है जनाब। इन मापों का काम भले आम यात्रियों के लिए ना हो लेकिन ट्रेन चलाने वाले ड्राइवर और गार्ड के लिए इन चीजों का खास महत्व है। जब गाड़ी समुद्र तल से 100 मीटर ऊंची पहाड़ी से 300 मीटर ऊंची किसी एरिया पर जाती है तो ड्राइवर को पता रहता है कि इंजन को कैसे और किस तरह चलाना है। इस तरह इसका उल्टा भी मान्य होता है। जैसे कोई गाड़ी अगर 300 मीटर की ऊंचाई से 100 मीटर की ऊंचाई पर आती है तो ड्राइवर को पता रहता है कि उसे किस स्पीड पर गाड़ी चलानी है।
बिजली के तारों को मिलती है समान ऊंचाई
ट्रेन के साथ ही ऊसके ऊपर लगे बिजली के तारों को लगाने में भी ये ऊंचाई का माप काम आता है। इसी को ध्यान में रखकर प्रत्येक ट्रेन के हिसाब से बिजली के तारों को लगाया जाता है। तो अगली बार जब कभी स्टेशन बोर्ड पर आपको स्टेशन की समुद्र तल से उसकी ऊंचाई दिखे तो उसे बेमतलब का मत समझिएगा।