कश्मीर के गुलमर्ग की वादियों में शूट हुई है फिल्म 'राज़ी', आप भी कीजिये इसकी सैर
By मेघना वर्मा | Published: April 12, 2018 01:44 PM2018-04-12T13:44:20+5:302018-04-12T13:44:20+5:30
गुलमर्ग से जफारत की पहाड़ियों तक का केबल कार से सफर लोगो को स्वर्गिक आनंद की अनुभूति देता है। इसमें बैठकर सैलानी पीरपंजाल पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊंची चोटी जफारत तक जाते है।
धर्मा प्रोडक्शन की फिल्म 'राज़ी' का ट्रेलर और पोस्टर लॉन्च हो गया है। जिसने आते ही सु्र्खियां बटोर ली हैं। इस वीडियो में आलिया सहमत नाम की एक ऐसी कश्मीरी लड़की का किरदार निभा रही हैं, जो देखने में भोली लेकिन वतन के लिए कुछ भी कर गुजरने वाली है। फिल्म कितनी कामयाब होती है, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन फिल्म की बेहतरीन शूटिंग लोकेशन की तारीफ अभी से की जा रही है। फिल्म के आधे से ज्यादा दृश्य कश्मीर में फिल्माए गए हैं। कश्मीर के गुलमर्ग में दर्शाए गए सीन को दर्शक बहुत पसंद कर रहे हैं। इससे पहले भी बॉलीवुड कई बेहतरीन फिल्मों की शूटिंग कश्मीर के गुलमर्ग में की गयी है। आज हम आपको गुलमार्ग के इसी खूबसूरत वादी में लेकर चलते हैं, जहां मन की शांति के साथ मिलेगा बर्फ से खेलने का रोमांचक अनुभव।
भारत-पकिस्तान बॉर्डर के पास स्थित है खूबसूरत गुलमर्ग
गुलमर्ग का अर्थ है फूलों की बगिया। हर साल लाखों पर्यटक गुलमार्ग की पहाड़ी रिसोर्ट में भ्रमण करने और खूबसूरत वादियों का आनंद उठाने आते हैं। गुलमर्ग की बर्फीली चोटी, खुले मैदान और लहराते रंग-बिरंगे फूल आप कई हिंदी फिल्मों में भी देख चुके होंगे। जम्मू-कश्मीर के बारामुला जिले स्थित गुलमर्ग एक हिल रिसोर्ट है। श्रीनगर से 57 किमी दूरी पर स्थित गुलमर्ग भारत-पाकिस्तान के बॉर्डर के पास है। 1927, अंग्रेज शासनकाल में गुलमार्ग उनके प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक था। गर्मी की छुट्टियां बिताने के लिए पर्यटक मई से सितम्बर तक इन पहाड़ी इलाकों में भ्रमण करने के लिए आते हैं।
अगर आप यहां के सुंदर नजारे देखना चाहते हैं, तो आप रोपवे में बैठकर गुलमर्ग की खूबसूरती का आनंद ले सकते हैं। रोपवे में बैठकर आप कोंगडोरी का भ्रमण कर सकते हैं। कुछ सैलानी अल्फाथर झील पर ट्रेक कर सकते हैं। जून के महीने तक इस झील में बर्फ जमी हुई रहती है एवं यह झील गुलमर्ग से 13 किमी दूर है।
गुलमर्ग में देखेने के लिए क्या है खास
वैसे तो पूरा गुलमर्ग अपने आप में खूबसूरत है लेकिन यहां कुछ ऐसे हिस्से भी हैं जिनकी सुन्दरता के चर्चे देश ही नहीं, विदेशों में भी होते हैं। यही कारण है कि हर साल देश और विदेश से सैलानी यहां खींचे चले आते हैं। यहां प्रकृति की गोद में ना सिर्फ लोग शांति का अनुभव करेंगे बल्कि यहां के कुछ हिस्सों में सैर करके आप रोमांचक अनुभव भी कर सकते हैं।
खिलनमर्ग
खिलनमर्ग गुलमर्ग के आंचल में बसी एक खुबसूरत घाटी है। यहां के हरे-भरे मैदानो में जंगली फूलो का सौंदर्य देखते ही बनता है। खिलनमर्ग से बर्फ से ढके हिमालय और कश्मीर घाटी का अद्भुत नजारा देखा जा सकता है।
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अल्पायर झील
चीड़ और देवदार के पेड़ों से घिरी यह झील जफरात चोटी के नीचे स्थित है। इस झील का पानी मध्य जून तक बर्फ बना रहता है। आप इन किनारों पर बैठकर दुनिया से दूर प्रकृति की गोद में खुद को पाएंगे, जो आपके मन और दिमाग दोनों के लिए ही अच्छा रहेगा।
निंगली नल्लाह
गुलमर्ग से 8 किलोमीटर दूर निंगली नल्लाह एक धारा है। जो जफरात चोटी से पिघली बर्फ और अल्पायर झील के पानी से बनती है। यह सफेद धारा घाटी में गिरती है और अंत में झेलम नदी में मिल जाती है। घाटी के साथ बहती यह धारा गुलमर्ग पर्यटन का एक प्रसिद्ध पिकनिक स्पॉट है।
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बाबा रेशी की दरगाह
यह मुसलमानो का एक धार्मिक स्थल है। यह दरगाह एक मशहूर मुस्लिम संत की याद में बनाई गई थी। संन्यास लेने से पहले वे कश्मीर के राजा तिमा-उल-अविदीत के दरबारी थे। यहां हर साल हजारों की संख्या में श्रृद्धालु आते हैं।
गोल्फ कोर्स
गुलमर्ग का गोल्फ कोर्स विश्व के सबसे बड़े और हरे भरे गोल्फ कोर्सो में से एक है। अंग्रेज यहां छुट्टियां बिताते थे। उन्होंने ही गोल्फ के शौकीनों के लिए 1904 में इस गोल्फ कोर्स की स्थापना की थी। आजकल इसकी देख-रेख जम्मू कश्मीर का पर्यटन विकास प्राधिकरण करता है।
स्कीइंग का मजा
गुलमर्ग देश का ही नहीं बल्कि विश्व के सर्वोत्तम स्कीइंग रिजोर्ट में से एक है। गुलमर्ग में बर्फबारी होने के बाद यहां बड़ी संख्या में पर्यटक स्कीइंग करने आते हैं। यहां पर स्कीइंग करने के लिए ढलानो पर स्कीइंग करने का अनुभव होना चाहिए। जो लोग स्कीइंग सीखना शुरू कर रहे हैं, उनके लिए भी यह सही जगह है।
रोपवे का अनुभव
गुलमर्ग से जफारत की पहाड़ियों तक का रोपवे से सफर लोगो को स्वर्गिक आनंद की अनुभूति देता है। इसमें बैठकर सैलानी पीरपंजाल पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊंची चोटी जफारत तक जाते हैं। जफारत की समुंद्र तल से ऊचांई 4390 मीटर है। इसमे प्रतिदिन पांच हजार से ज्यादा लोग सैर करते है। इसका समय सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक है।
(फोटो- Jammu & Kashmir Tourism)