यूं कुदरत का नूर बरपता है पत्नीटाप और सनासर में
By सुरेश डुग्गर | Published: December 18, 2018 01:27 PM2018-12-18T13:27:16+5:302018-12-18T13:27:16+5:30
जम्मू से 108 किमी दूर पत्नीटाप का रमणीय और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थल समुद्रतल से 6400 फुट की ऊंचाई पर है। लंबे लंबे चीड़ और देवदार के पेड़ हर उस शख्स को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं जो प्रकृतिप्रेमी हैं।
चारों ओर बिछी हुई बर्फ की सफेद चादर, देवदार तथा चीड़ के पेड़ों से गिरते बर्फ के टुकड़े सच में यहां आने वालों को नई दुनिया का आभास देते हैं। जिधर नजर दौड़ाएं, बस बर्फ ही बर्फ दिखती है और उस पर दिखते हैं बर्फ की खेलों का आनंद उठाते हुए लोग, जो देश के विभिन्न भागों से आए थे। यह है पत्नीटाप का प्रसिद्ध और मनमोहक पर्यटनस्थल जहां सिर्फ गर्मियां ही नहीं बल्कि सर्दियां भी मनोहारी होती हैं।
जम्मू से 108 किमी दूर पत्नीटाप का रमणीय और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थल समुद्रतल से 6400 फुट की ऊंचाई पर है। लंबे लंबे चीड़ और देवदार के पेड़ हर उस शख्स को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं जो प्रकृतिप्रेमी हैं। साल भर इसकी खूबसूरत ढलानों पर जमी रहने वाली बर्फ भी पर्यटकों को अपनी ओर खींच लेने की शक्ति रखती है।
जम्मू पर्यटन विभाग पत्नीटाप में बर्फ के खेलों का मजा आने वाले पर्यटकों को देने के लिए अगले कुछ दिनों में ‘स्कीइंग फैस्टिवल’ आयोजित करने जा रहा है। जम्मू क्षेत्र में यह अपने किस्म का वार्षिक स्कीइंग फेस्टिवल होता है जिसमें पर्यटकों को स्कीइंग तो सिखाई ही जाती है और साथ ही पर्यटक बर्फ की खेलों का आनंद भी लूटते हैं।
जब कश्मीर में आतंकी घटनाओं ने देश-विदेश के पर्यटकों को गुलमर्ग के प्रसिद्ध पर्यटनस्थल से मुख मोड़ने पर विवश किया तो उत्तर प्रदेश व हिमाचल प्रदेश के बर्फीले क्षेत्र बर्फ की खेलों के विकल्प के रूप में उभर कर सामने आए थे। अब जम्मू क्षेत्र के ‘पहलगाम’ के रूप में जाने जाने वाला पत्नीटाप नए और महत्वपूर्ण बर्फ के पर्यटन स्थल के रूप में पूरी तरह से उभर चुका है।
पहलगाम के उपरांत पत्नीटाप को स्कीइंग स्थल के रूप में ख्याति प्राप्त करवाने में पर्यटन विभाग के जम्मू विंग का अच्छा खासा सहयोग रहा है। विभाग की मेहनत ही है कि आज पत्नीटाप में स्कींइग और पैराग्लाइडिंग करने वालों की भीड़ लगी रहती है। स्कीइंग के लिए तो पत्नीटाप की सबसे ऊंची पहाड़ी पर बनी छोटी और बड़ी स्लोपों के साथ ही पत्नीटाप के साथ लगते नथाटाप क्षेत्र को भी इस्तेमाल में लाया जा रहा है। जो आप भी खूबसूरती की एक मिसाल हैं। पर्यटन विभाग की ओर से अन्य स्लोपों की तलाश तथा उनका विकास किया जा रहा है ताकि स्कीइंग के आने वालों की भीड़ से निपटा जा सके।
आने वाले सभी लोगों को बर्फ की खेलों का आनंद उठाने का अवसर उपलब्ध नहीं हो पाता क्योंकि स्कीइंग साल में सिर्फ सर्दियों के अढ़ाई महीनों में ही होती है। हिमाचल में यह सिर्फ दो महीने होती है पर पत्नीटाप व नत्थाटाप में यह कभी-कभी 3 महीनों तक होती रहती है क्योंकि बर्फ पिघलती नहीं है।
ऐसा भी नहीं है कि स्कीइंग न कर पाने वालों को पत्नीटाप आकर निराश होना पड़ता हो बल्कि कई बर्फ पर फिसलने वाली लकड़ी की स्लेज का मजा लुटते हैं। अन्य बर्फ के पुतले बना बर्फ के अन्यखेलों में लिप्त होते हैं। यह सब कुछ साल के सिर्फ अढ़ाई महीनों के दौरान ही इसलिए होता है क्योंकि बर्फ इसी दौरान रहती है और गर्मियों में पत्नीटाप आने वाले इन नजारों तथा अनुभवों से वंचित रहते हैं।
गर्मियों में आने वालों को निराशा होती हो ऐसा भी नहीं है क्योंकि गर्मियों में पत्नीटाप आने का अपना ही अलग लुत्फ है जो कश्मीर के मुकाबले का है। ऐसा इसलिए है क्योंकि समुद्रतल से जितनी ऊंचाई पर पत्नीटाप स्थित है उससे कम ऊंचाई पर श्रीनगर शहर है।
कश्मीर का मुकाबला करने वाले इस अनछुए पर्यटनस्थल पत्नीटाप में बर्फ की खेलों का एक रोचक पहलू यह है कि इसका आनंद उठाने वालों में अधिकतर वे लोग हैं जो पत्नीटाप से करीब अढ़ाई घंटों की यात्रा की दूरी पर स्थित प्रसिद्ध तीर्थस्थल माता वैष्णो देवी की गुफा के दर्शनार्थ आते हैं। आधिकारिक रिकार्ड के अनुसार पत्नीटाप आने वाले पर्यटकों में 80 प्रतिशत वैष्णो देवी के तीर्थयात्री ही हैं।