हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति का त्योहार बेहद खास और महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्य के राशि परिवर्तन को ही संक्रांति कहते हैं। इस तरह साल में 12 संक्रांति आते हैं। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तभी मकर संक्रांति का पर्व को मनाया जाता है। वर्तमान समय में जनवरी के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन इसे मनाया जाता है। मकर संक्रांति के साथ एक माह से चला रहा खरमास या मलमास खत्म हो जाता है और शुभ कार्य शुरू किए जाते हैं। परंपराओं के अनुसार मकर संक्रांति पर पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। साथ ही दान आदि भी किया जाता है। इस दिन तिल का महत्व काफी खास हो जाता है। तिल का दान, और इसका सेवन शुभ माना गया है। मकर संक्रांति के दिन गुजरात में अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव भी मनाया जाता है। Read More
ज्योतिषीय गणना के मुताबिक इस साल मकर संक्रांति पर शुक्रवार और रोहिणी नक्षत्र का खास संयोग बन रहा है। इस दिन रोहिणी नक्षत्र शाम 8 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र में रोहिणी नक्षत्र को बहुत ही शुभ माना जाता है। ...
। यह पर्व प्रति वर्ष मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व मनाया जाता है और इस साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस साल 13 जनवरी, गुरुवार को लोहड़ी पर्व मनाया जाएगा। ...
नव वर्ष 2022 का पहला महीना व्रत त्योहार की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस महीने मकर संक्रांति (जो धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पर्व है) और लोहड़ी पर्व मनाया जाएगा। ...
कोरोना महामारी के चलते दही-चूड़ा परंपरा नहीं निभाई, लेकिन राजद नेता तेज प्रताप यादव अपनी मां राबड़ी देवी से आशीर्वाद लेने के बाद लोगों को दही-चूड़ा बांटते नजर आए. ...
मकर संक्रांति का पर्व ऊर्जा के स्रोत सूर्य की आराधना का मौका है. सूर्य के धनु से मकर राशि में प्रवेश के दिन ये पर्व मनाया जाता है. पूरे भार में इस दिन अलग-अलग नामों से कई पर्व मनाए जाते हैं. ...