हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति का त्योहार बेहद खास और महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्य के राशि परिवर्तन को ही संक्रांति कहते हैं। इस तरह साल में 12 संक्रांति आते हैं। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तभी मकर संक्रांति का पर्व को मनाया जाता है। वर्तमान समय में जनवरी के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन इसे मनाया जाता है। मकर संक्रांति के साथ एक माह से चला रहा खरमास या मलमास खत्म हो जाता है और शुभ कार्य शुरू किए जाते हैं। परंपराओं के अनुसार मकर संक्रांति पर पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। साथ ही दान आदि भी किया जाता है। इस दिन तिल का महत्व काफी खास हो जाता है। तिल का दान, और इसका सेवन शुभ माना गया है। मकर संक्रांति के दिन गुजरात में अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव भी मनाया जाता है। Read More
नव वर्ष 2022 का पहला महीना व्रत त्योहार की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस महीने मकर संक्रांति (जो धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पर्व है) और लोहड़ी पर्व मनाया जाएगा। ...
कोरोना महामारी के चलते दही-चूड़ा परंपरा नहीं निभाई, लेकिन राजद नेता तेज प्रताप यादव अपनी मां राबड़ी देवी से आशीर्वाद लेने के बाद लोगों को दही-चूड़ा बांटते नजर आए. ...
Makar Sankranti: मकर संक्रांति के मौके पर दान का महत्व काफी ज्यादा है। इस दिन सूर्य देव की उपासना की जाती है। इसके बाद ब्राह्मण और जरूरमंदों को दान देने की परंपरा है। ज्योतिष के अनुसार राशि के अनुसार दान से विशेष फल मिलता है। ...
मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान, सूर्य देव को जल चढ़ाने और दान करने का महत्व विशेष है। भगवान सूर्य को जल अर्पित करते हुए 'ऊं सूर्याय नम:' मंत्र का भी जाप करना चाहिए। ...
15 दिसंबर को अगहन संक्रांति की स्थापना कर 14 जनवरी को मकर संक्रांति के साथ झारखंड में टुसू पर्व मनाया जाता है. पश्चिम बंगाल व ओडिशा में भी यह पर्व मनाया जाता है. ...