हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति का त्योहार बेहद खास और महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्य के राशि परिवर्तन को ही संक्रांति कहते हैं। इस तरह साल में 12 संक्रांति आते हैं। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तभी मकर संक्रांति का पर्व को मनाया जाता है। वर्तमान समय में जनवरी के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन इसे मनाया जाता है। मकर संक्रांति के साथ एक माह से चला रहा खरमास या मलमास खत्म हो जाता है और शुभ कार्य शुरू किए जाते हैं। परंपराओं के अनुसार मकर संक्रांति पर पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। साथ ही दान आदि भी किया जाता है। इस दिन तिल का महत्व काफी खास हो जाता है। तिल का दान, और इसका सेवन शुभ माना गया है। मकर संक्रांति के दिन गुजरात में अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव भी मनाया जाता है। Read More
प्रयागराज के संगम और पश्चिम बंगाल के गंगा सागर में लाखों लोगों ने डुबकी लगाई। कुंभ के बाद सबसे बड़े मेले गंगासागर में पवित्र डुबकी लगाने के लिए नागा साधुओं सहित लाखों से अधिक तीर्थयात्री कोलकाता, गंगासागर पारगमन शिविर में बाबूघाट पहुंचे। ...
लोहड़ी पर्व के दिन शाम को लकड़ी और उपले से आग जलाई जाती है और इसके चारों ओर इकट्ठा होकर गीत गाए जाते हैं। इसके बाद रेवड़ी, मूंगफली, खील, चिक्की, गुड़ की बनी चीजें आग में डालकर परिक्रमा करते हैं और आग के पास बैठकर गजक और रेवड़ी खाकर त्योहार मनाया जात ...
चावल और दाल को एक बर्तन में नमक, हल्दी और अन्य मसालों के साथ पकाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मकर संक्रांति को सादी खिचड़ी से ही क्यों मनाया जाता है? ...
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने जी-20 के ध्येयवाक्य (थीम) ‘ एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य’ पर आधारित अंतरराष्ट्रीय पतंग उत्सव, 2023 का उद्घाटन किया जिसमें 68 देशों के करीब 125 पतंगबाज हिस्सा लेंगे। ...