महंगा हो सकता है मोबाइल में टीवी का मजा, हॉटस्टार, सोनी, एयरटेल टीवी जैसे ऐप्स पर ट्राई लगाएगा लगाम!
By रजनीश | Published: May 20, 2019 07:55 PM2019-05-20T19:55:03+5:302019-05-20T19:55:03+5:30
ऐप के जरिए दिखाए जाने वाले चैनल पर अभी कोई रेगुलेशन नहीं है। कई मामलों में यह फ्री में दिखाया जाता है। एक सीनियर अधिकारी के अनुसार टीवी प्रोग्राम का लाइसेंस रजिस्टर्ड ब्रॉडकास्टर्स को दिया जाता है। फिर ये ब्रॉडकास्टर्स लाइसेंसिंग फ्रेमवर्क के तहत कॉन्टेंट को केबल ऑपरेटर्स या सेटेलाइट प्लेयर को देते हैं।
टेलिकॉम सेक्टर की रेग्युलेटरी बॉडी ट्राई हॉटस्टार, एयरटेल टीवी और सोनी लिव जैसे ओवर दी टॉप (ओटीटी) ऐप्स को टीवी चैनलों की तरह एक लाइसेंस फ्रेमवर्क के तहत लाने पर विचार कर रहा है। ट्राई ने हाल ही में टीवी चैनलों को सस्ता करने के लिए नया टैरिफ प्लान लागू किया था। अब उसका फोकस ऐप के जरिए दिखाए जाने वाले टीवी चैनल पर है।
ऐप के जरिए दिखाए जाने वाले चैनल पर अभी कोई रेगुलेशन नहीं है। कई मामलों में यह फ्री में दिखाया जाता है। एक सीनियर अधिकारी के अनुसार टीवी प्रोग्राम का लाइसेंस रजिस्टर्ड ब्रॉडकास्टर्स को दिया जाता है। फिर ये ब्रॉडकास्टर्स लाइसेंसिंग फ्रेमवर्क के तहत कॉन्टेंट को केबल ऑपरेटर्स या सेटेलाइट प्लेयर को देते हैं।
थर्ड पार्टी ऐप द्वारा बिना कैरिज चार्ज और लाइसेंस फीस के चैनल दिखाए जाने पर असमानता दिखती है। सीनियर अधिकारी का कहना है या तो दोनों को लाइसेंस व्यवस्था के अंदर लाया जाना चाहिए या किसी को भी नहीं।
भारत में ब्रॉडकास्टिंग लाइसेंस 10 साल के लिए दिया जाता है। लाइसेंस लेने वाले को केबल टीवी ऐक्ट के तहत प्रोग्रामिंग और ऐडवर्टाइजिंग कानून का पालन करना होता है। चैनलों को सूचना और प्रसारण मंत्रालय की गाइडलाइंस के मुताबिक काम करना पड़ता है। जबकि ऐप्स की देखरेख आईटी एक्ट के तहत की जाती है, लेकिन इनका कोई लाइसेंस नहीं है।
विडियो स्ट्रीमिंग सर्विस एमएक्स प्लेयर के सीईओ करण बेदी का कहना है, 'ओटीटी प्लेटफॉर्म्स दर्शकों के लिए टीवी देखने का केवल एक अतिरिक्त माध्यम है। टीवी चैनलों को पहले से रेग्युलेट किया जा रहा है। किसी अतिरिक्त लाइसेंसिंग फ्रेमवर्क की कोई जरूरत नहीं है।' एमएक्स प्लेयर का स्वामित्व टाइम्स इंटरनेट के पास है, जो द टाइम्स ग्रुप का हिस्सा है और ईटी का प्रकाशन करता है।
स्टार इंडिया ने ऑन पेपर कहा कि 'टेलिकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया ऐक्ट (1997) के तहत ट्राई के पास ओटीटी के इंटरनेट इकोसिस्टम को रेग्युलेट करने की अथॉरिटी नहीं है। इसे इंफॉर्मेशन टेक्नॉलजी ऐक्ट (2000) के तहत गवर्न और रेग्युलेट किया जाता है।'
स्टार इंडिया ने यह भी कहा, 'इंटरनेट कंपनियां कॉम्पिटिशन ऐक्ट, कन्ज्यूमर प्रोटेक्शन ऐक्ट, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऐक्ट आदि के अधीन हैं। यह लेजिस्लेटिव फ्रेमवर्क ओटीटी के लिए मार्केट में बिजनस करने के कमर्शल और टेक्निकल पैरामीटर्स और लीगल बाउंडरी तय करता है। डीटीएच कंपनियों और केबल ऑपरेटर्स ने ट्राई से टीवी और ऐप पर एक ही समय पर दिखाए जा रहे प्रोग्राम्स के खिलाफ कदम उठाने के लिए कहा है। उनका मानना है कि यह लाइसेंस के नियमों का उल्लंघन है।
जुलाई-अगस्त में लेकर आएगी ड्राफ्ट
ट्राई जुलाई-अगस्त के बीच एक ड्राफ्ट लेकर के आएगी, जिस पर लोगों से सुझाव मांगे जाएंगे। हालांकि मोबाइल ऐप चलाने वाली कंपनियों का कहना है कि ट्राई को ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है। ऐसे ऐप्स आईटी एक्ट के अंदर आते हैं। इससे इन कंपनियों पर काफी नकारात्मक असर पड़ेगा।
आम आदमी पर पड़ेगा असर
अगर ट्राई इन मोबाइल ऐप्स को भी लाइसेंस की सीमा में लाता है, तो फिर लोग फ्री में कोई भी चैनल नहीं देख पाएंगे। प्रत्येक ऐप के लिए आपको पैसा देना होगा, जो कि काफी महंगा हो जाएगा। ट्राई द्वारा पहले ही टीवी देखना महंगा कर दिया है। ट्राई के इस नए कदम से लोग मोबाइल पर टीवी देखना बंद कर देंगे। अभी बड़े शहरों में लोग अपने पसंदीदा कार्यक्रमों को मोबाइल ऐप पर देखना पसंद करते हैं।