फ्री कॉल और डेटा जल्द हो सकता है खत्म, TRAI लागू करेगा ये नियम

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 13, 2019 03:22 PM2019-12-13T15:22:10+5:302019-12-13T15:22:10+5:30

TRAI कॉल और डेटा के लिए कम से कम शुल्क दर तय करने की उद्योग की मांग पर विचार कर सकता है। दूरसंचार नियामक पूर्व में न्यूनतम शुल्क दर या शुल्क दर की सीमा तय करने के लिए हस्तक्षेप से इनकार करता रहा है।

Telecom Regulatory Authority of India may fix minimum tariff for voice call and data | फ्री कॉल और डेटा जल्द हो सकता है खत्म, TRAI लागू करेगा ये नियम

फ्री कॉल और डेटा जल्द हो सकता है खत्म, TRAI लागू करेगा ये नियम

Highlightsजियो ने देश में सस्ते डेटा और फ्री कॉलिंग की सेवा शुरू की थीTRAI कॉल और डेटा के लिए कम से कम शुल्क दर तय करने की मांग पर विचार कर सकता है

देश में जल्द ही सस्ते कॉल और डेटा का दौर खत्म होते नजर आ रहा है। इस बात का इशारा भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने किया है। TRAI कॉल और डेटा के लिए कम से कम शुल्क दर तय करने की उद्योग की मांग पर विचार कर सकता है।

इससे दूरसंचार उद्योग की वहनीयता सुनिश्चित हो सकेगी। दूरसंचार नियामक पूर्व में न्यूनतम शुल्क दर या शुल्क दर की सीमा तय करने के लिए हस्तक्षेप से इनकार करता रहा है। ट्राई के रुख में यह बदलाव भारती एयरटेल के प्रमुख सुनील मित्तल की दूरसंचार सचिव से मुलाकात के बाद आया है।

मित्तल ने दूरसंचार सचिव से डेटा के लिए न्यूनतम शुल्क या न्यूनतम दर तय करने की मांग की है।

16 साल तक रहें नियत्रित

ट्राई के चेयरमैन आर एस शर्मा ने एवीआईए इंडिया वीडियो-360 के कार्यक्रम में कहा कि दूरसंचार शुल्क पिछले 16 साल से कठिन परिस्थितियों में भी नियंत्रण में रहे हैं और यह बेहतर तरीके से काम करते रहे हैं। और अब नियामक उद्योग की न्यूनतम शुल्क तय करने की मांग पर गौर कर रहा है।

मुकेश अंबानी के रिलायंस जियो की ओर से फ्री वॉयस कॉल और सस्ते डेटा की पेशकश से उद्योग में काफी अफरातफरी रही। उसके बाद अन्य कंपनियों को भी शुल्क दरें कम करनी पड़ीं।

ट्राई के चेयरमैन ने कहा, ने कहा, "दूरसंचार कंपनियों ने हाल में हमें एक साथ लिखा है कि हम उनका नियमन करें। यह पहली बार है। पूर्व में 2012 में मुझे याद है कि उन्होंने शुल्कों के नियमन के टूाई के प्रयास का कड़ा विरोध किया था। उनका कहना था कि शुल्क दरें उनके लिए छोड़ दी जानी चाहिए।"

उन्होंने कहा कि नियामक तीन सिद्धान्तों उपभोक्ता संरक्षण, निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा और उद्योग की वृद्धि पर काम करता है। शर्मा ने कहा कि ट्राई ने पूर्व में दूरसंचार कंपनियों को दरें तय करने की अनुमति दी है और आपरेटरों द्वारा हस्तक्षेप के लिए कहे जाने पर ही दखल दिया है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आया प्रस्ताव

शर्मा ने बताया कि दूरसंचार कंपनियों ने 2017 में नियामक को न्यूनतम मूल्य तय करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उस समय यह निष्कर्ष निकला था कि यह एक खराब विचार है। 

उच्चतम न्यायालय के 24 अक्टूबर के फैसले में दूरसंचार कंपनियों के सांविधिक बकाये की गणना में गैर दूरसंचार राजस्व को भी शामिल करने के सरकार के कदम को उचित ठहराये जाने के बाद यह प्रस्ताव फिर आया है। इस फैसले के बाद भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और अन्य दूरसंचार कंपनियों को पिछले बकाया का 1.47 लाख करोड़ रुपये चुकाना है।

मित्तल ने बुधवार को दूरसंचार सचिव अंशु प्रकाश से मुलाकात के बाद कहा था कि न्यूनतम शुल्क तय करना काफी महत्वपूर्ण होगा। मित्तल का कहना है कि शुल्क दरों को बढ़ाने और उद्योग को व्यवहार्य बनाने की जरूरत है। शर्मा ने कहा कि 2017 में भी दूरसंचार कंपनियों से विचार विमर्श किया गया था।

उस समय सभी दूरसंचार कंपनियां इस निष्कर्ष पर पहुंची थीं कि यह एक खराब विचार है और इसमें नियामकीय हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।

Web Title: Telecom Regulatory Authority of India may fix minimum tariff for voice call and data

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