‘सांप्रदायिक’ हैशटैग पर रोक लगाने वाली याचिका खारिज, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- वह किसी को फोन और सोशल मीडिया पर गलत कहने से नहीं रोक सकती

By भाषा | Published: April 30, 2020 07:54 PM2020-04-30T19:54:56+5:302020-04-30T19:54:56+5:30

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेने और राहत के लिये तेलंगाना हाईकोर्ट जाने की छूट देने का अनुरोध किया है। अनुरोध स्वीकार किया जाता है।

Supreme Court refuses to entertain plea against communal hashtags trending on Twitter | ‘सांप्रदायिक’ हैशटैग पर रोक लगाने वाली याचिका खारिज, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- वह किसी को फोन और सोशल मीडिया पर गलत कहने से नहीं रोक सकती

प्रतीकात्मक फोटो

Highlightsऐजाजुद्दीन ने अपनी याचिका में ट्विटर पर गैर कानूनी तरीके से चल रहे ‘इस्लामिककोरोनावायरसजिहाद, जमात, ‘कोरोनाजिहाद’, ‘निजामुद्दीनइडियट्स’ और ‘तबलीगीजमातवायरस’ जैसे हैशटैग पर रोक लगाने का कैबिनेट सचिव, गृह मंत्रालय, तेलंगाना के पुलिस महानिदेशक और पुलिस आयुक्इस याचिका पर संक्षिप्त सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि वह किसी भी व्यक्ति को फोन या सोशल मीडिया पर कुछ गलत कहने से नहीं रोक सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने भारत में कोरोना वायरस के प्रसार को इस्लाम से जोड़ते हुये ट्विटर पर चल रहे ‘सांप्रदायिक’ हैशटैग को रोकने के लिये केंद्र और तेलंगाना पुलिस प्रमुख को निर्देश देने के लिये दायर याचिका पर विचार करने से गुरुवार को इंकार कर दिया। यह याचिका हैदराबाद स्थित एक वकील ने दायर की थी। 

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से वकील खाजा ऐजाजुद्दीन की याचिका पर सुनवाई की और कहा कि राहत के लिये उन्हें तेलंगाना उच्च न्यायालय जाना चाहिए। 

ऐजाजुद्दीन ने अपनी याचिका में ट्विटर पर गैर कानूनी तरीके से चल रहे ‘इस्लामिककोरोनावायरसजिहाद, जमात, ‘कोरोनाजिहाद’, ‘निजामुद्दीनइडियट्स’ और ‘तबलीगीजमातवायरस’ जैसे हैशटैग पर रोक लगाने का कैबिनेट सचिव, गृह मंत्रालय, तेलंगाना के पुलिस महानिदेशक और पुलिस आयुक्त को निर्देश देने का अनुरोध किया था। 

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेने और राहत के लिये तेलंगाना हाईकोर्ट जाने की छूट देने का अनुरोध किया है। अनुरोध स्वीकार किया जाता है। तद्नुसार, याचिका खारिज की जाती है क्योंकि इसे उपरोक्त छूट के साथ वापस ले लिया गया है। 

इस याचिका पर संक्षिप्त सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि वह किसी भी व्यक्ति को फोन या सोशल मीडिया पर कुछ गलत कहने से नहीं रोक सकती है। इस वकील का कहना था कि वह किसी चीज को रोकने के लिये निर्देश का अनुरोध नहीं कर रहे हैं बल्कि ट्विटर को यह हैशटैग हटाने का निर्देश देने का अनुरोध कर रहे हैं।

Web Title: Supreme Court refuses to entertain plea against communal hashtags trending on Twitter

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