सीएम योगी ने अयोध्या में भगवान राम की 7 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया, जानिए इस मूर्ति के बारे में खास बातें
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 7, 2019 03:07 PM2019-06-07T15:07:36+5:302019-06-07T15:07:36+5:30
भगवान राम की यह मूर्ति देखने में काफी आकर्षक है और पूरी तरह से लकड़ी से बनी हुई है। इसे कर्नाटक के कावेरी कर्नाटक स्टेट आर्ट्स और क्राफ्ट इंपोरियम से करीब 35 लाख में खरीदा गया है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को अयोध्या में भगवान राम की 7 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया। भगवान श्रीराम की ये प्रतिमा लकड़ी की बनी हुई है। इसको बनाने में तीन साल से अधिक का समय लगा है। इसे अयोध्या शोध संस्थान के शिल्प संग्रहालय में स्थापित किया जाएगा।
भगवान राम की यह मूर्ति देखने में काफी आकर्षक है और पूरी तरह से लकड़ी से बनी हुई है। इसे कर्नाटक के कावेरी कर्नाटक स्टेट आर्ट्स और क्राफ्ट इंपोरियम से करीब 35 लाख में खरीदा गया है। इस पूरी मूर्ति को लकड़ी के एक ही टुकड़े से बनाया गया है और इसे काष्ठ कला बेहतरीन कृति मानी जा रही है।
'कोदंड राम': दक्षिण भारत में है इसका विशेष महत्व
भगवान राम के इस स्वरूप 'कोदंड राम' को उनके पांच स्वरूपों में से एक माना जाता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार भगवान राम के जीवन को पांच चरणों में देखा जाता है। ये हैं- बाल राम, राजा राम, दुल्हा राम, वनवासी राम और कोदंड राम। देश के विभिन्न क्षेत्रों में इन अलग-अलग स्वरूपों की विशेष पूजा की जाती है।
उत्तर भारत में भगवान श्रीराम के पहले दो चरणों को विशेष महत्व दिया जाता है जबकि बिहार के मिथिला क्षेत्र में 'दुल्हा राम' को पूजा जाता है। इस क्षेत्र में राम और सीता कई मंदिरों में साथ नजर आते हैं और राम के हाथ में धनुष या हथियार नहीं होते। इसके बाद 'बनवासी राम' का विशेष महत्व है। इसमें राम, माता सीता और लक्ष्मण एक साथ नजर आते हैं। यह राम के जीवन का वह काल है, जब वे 14 साल के लिए वन में गये थे। इस स्वरूप को मुख्य तौर पर मध्य प्रदेश और मध्य भारत से जुड़े दूसरे क्षेत्रों में खूब पूजा जाता है।
इसके बाद कोदंड राम का स्वरूप है जिसका दक्षिण भारत में विशेष महत्व है। यह भगवान राम के जीवनकाल का वह अंश है जब रावण ने माता सीता का हरण कर लिया था और वह युद्ध के लिए जाते हैं। इस स्वरूप में राम धनुष और बाणों के साथ अकेले नजर आते हैं।
अयोध्या शोध संस्थान के बारे
अयोध्या शोध संस्थान को 1986 में स्थापित किया गया था। यह सरकार के फंड पर बनाया गया म्यूजियम है, जहां हिंदू धर्मग्रंथ रामायण और भगवान राम से जुड़ी कलाकृ्तियां रखी गई हैं। अयोध्य को भगवान राम का जन्म स्थान भी माना जाता है। ऐसे में इस जगह का पौराणिक तौर पर भी विशेष महत्व है। अयोध्या शोध संस्थान के शिल्प संग्रहालय में भगवान राम और उनके जीवन से जुड़ी 2500 कलाकृतियां हैं। हालांकि, 'कोदंड राम' का ऐसा स्वरूप इससे पहले नहीं था।