उत्तराखंड के इस गुफा में है आज भी मौजूद है भगवान गणेश का कटा सिर! जाने पर होता है कुछ ऐसा अहसास

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 9, 2019 12:15 PM2019-07-09T12:15:30+5:302019-07-10T08:40:27+5:30

त्रेतायुग के बाद किसी ने गुफा में जाने की कोशिश नहीं की। कहते हैं कि कलियुग में आदि शंकराचार्य ने इसकी खोज की और उसके बाद से इसे आम तीर्थयात्रियों के लिए खोल दिया गया।

why Lord Ganesha have elephant head and story of uttarakhand patal cave in bhuvaneshwar | उत्तराखंड के इस गुफा में है आज भी मौजूद है भगवान गणेश का कटा सिर! जाने पर होता है कुछ ऐसा अहसास

उत्तराखंड के पाताल गुफा में मौजूद है भगवान गणेश के कटे सिर का रहस्य

Highlightsभगवान शंकर ने क्रोध में काट दिया था श्रीगणेश का सिर, फिर लगाया हाथी के बच्चे का सिरभगवान गणेश का कटा हुआ सिर कहां गिरा, इसे लेकर कही जाती है दिलचस्प कथाउत्तराखंड के पालात गुफा में भगवान गणेश के कटे सिर के अब भी होने की है मान्यता

भगवान गणेश का सिर भगवान शंकर द्वारा क्रोध में काटे जाने और फिर उस जगह पर हाथी के बच्चे का सिर लगाने की कथा बेहद प्रचलित है। अमूमन सभी लोग इसे जानते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं भगवान गणेश के जिस सिर को शिव ने काटा, उसका क्या हुआ। भगवान गणेश का वह मानव रूपी सिर क्या अब भी मौजूद है? अगर हा! तो कहां और किस हाल में है? क्या आज हम और आप इसके पवित्र सिर के दर्शन कर सकते हैं? आखिर क्या है भगवान गणेश के कटे हुए सिर के पृथ्वी पर मौजूद होने का राज और ये कहां मौजूद है? सबसे पहले जानिए भगवान गणेश के जन्म और फिर उनके सिर के अलग हो जाने की कहानी....

भगवान गणेश का जन्म कैसे हुआ?

भगवान गणेश के जन्म से जुड़ी कई पौराणिक कथा प्रचलित हैं। इनमें सबसे प्रचलित कथा हम आपको बताने जा रहे हैं। इस कथा के अनुसार गणेश का सृजन माता पार्वती ने अपने हाथों से किया। कथा के अनुसार एक दिन माता पार्वती स्नान की तैयारी कर रही थीं। माता पार्वती ने अपने 'उबटन' से एक छोटे बालक की आकृति बनाई और उसमें प्राण डाल दिये। इस बच्चे का नाम माता पार्वती ने गणेश रखा और उसे अपने स्नान तक द्वार की रखवाली के लिए कहा ताकि कोई अंदर न आ सके। भगवान गणेश उनकी बात मान गये और मां के आदेश के अनुसार रखवाली करने लगे।

कुछ ही देर बाद भगवान शिव घर के अंदर जाने के लिए वहां पहुंचे। गणेश नहीं जानते थे कि भगवान शिव कौन हैं। इसलिए उन्होंने अंदर जाने से रोक दिया। भगवान शिव ने कई बार श्रीगणेश को मनाने की कोशिश की लेकिन गणेश टस से मस नहीं हुए। यह देख भगवान शिव को गुस्सा आ गया और उन्होंने गणेश को चेतावनी दी। 

गणेश इसके बाद भी नहीं माने। इसके बाद भगवान शिव ने त्रिशूल से गणेश पर वार किया और उनका सिर काट कैलाश से दूर गिरा दिया। माता पार्वती जब बाहर आईं तो उन्हें इस पूरे प्रकरण के बारे में पता चला और वे अपने बेटे के इस तरह मारे जाने से दुखी हो गईं। पार्वती का दुख देख भगवान शंकर ने सभी गणों को गणेश का सिर खोज कर लाने का आदेश दिया। हालांकि, जब सभी खाली हाथ लौटे तो शिव ने उन्हें आदेश दिया कि उन्हें जो भी सबसे पहले दिखे, वे उसका सिर लेकर आ जाएं।

इसके बाद हाथी के बच्चे का सिर लाया गया और भगवान शिव ने उसे गणेश के धड़ के ऊपर लगा दिया। साथ ही ये आशिर्वाद भी दिया कि किसी भी पूजा से पहले भगवान गणेश की समस्त संसार में पूजा की जाएगी। 

उत्तराखंड की पहाड़ियों में मौजूद है भगवान गणेश का कटा सिर

उत्तराखंड के पिथौड़ागढ़ में गंगोलिहाट से 14 किलोमीटर दूर भुवनेश्वर नाम का गांव है। इसी गांव में मौजूद पाताल गुफा के बारे में कहा जाता है कि यहां भगवान गणेश का कटा हुआ सिर मौजूद है। यहां हर साल कई श्रद्धालु यहां आते हैं लेकिन गुफा में कुछ दूर जाने के बाद ही वापस लौट जाते हैं। वहीं, जो श्रद्धालु काफी अंदर तक चले जाते हैं उनका अनुभव सुनने लायक होता है। इन श्रद्धालुओं के अनुसार गुफा में काफी अंदर जाने के बाद उसकी चट्टानों और दीवारों को छूने भर से गजब की शांति और आनंद की अनुभूति होती है।

गणेश के सिर के गुफा में होने की कैसे मिली जानकारी

इसकी भी एक रोचक कथा है जो त्रेतायुग से जुड़ी है। कथा के अनुसार सूर्य वंश के राजा ऋतुपर्णा एक बार राजा नल को छिपाने के लिए हिमालय की पहाड़ियों में कोई जगह खोज रहे थे। राजा नल को दरअसल अपनी पत्नी दमयंती से हार का सामना करना पड़ा था और वे बंधक बना लिये जाने के डर से भागे-भागे फिर रहे थे। बहरहाल, हिमालय में घूमते हुए ऋतुपर्णा एक स्वर्ण हिरण का पीछा करने लगे। वह ऐसा करते-करते थक गये और एक पेड़ के नीचे रूककर आराम करने लगे।

इतनें में राजा को नींद आ गई। उन्हें सपने में देखा कि कोई आकर उस हिरण को नहीं मारने की सलाह दे रहा है। जब राजा की नींद खुली तो उन्होंने खुद को एक गुफा के बाहर पाया। जैसे ही राजा ऋतुपर्णा ने उसमें दाखिल होने की कोशिश की, उन्होंने देखा कि शेषनाग इसकी रखवाली कर रहे हैं। शेषनाग ने ही हालांकि, राजा ऋतुपर्णा को रास्ता दिखाया और अंदर ले गये। गुफा के बहुत अंदर जाने के बाद राजा ने देखा कि भगवान शिव और सभी देवतागण भगवान गणेश के कटे हुए सिर की रखवाली कर रहे हैं।

भगवान गणेश के कटे हुए सिर का क्या कर सकते हैं दर्शन?

त्रेतायुग के बाद किसी ने गुफा में जाने की कोशिश नहीं की। कहते हैं कि कलियुग में आदि शंकराचार्य ने इसकी खोज की और उसके बाद से इसे आम तीर्थयात्रियों के लिए खोल दिया गया। हालांकि, आज भी तीर्थयात्रियों को गुफा में केवल कुछ दूर तक ही जाने की इजाजत है। 

ऐसा कहते हैं कि गुफा में आज भी भगवान गणेश का कटा सिर मौजूद है और इस गुफा से एक गुप्त रास्ता कैलाश पर्वत तक भी जाता है। यह रास्ता इतना संकरा है कि वहां ऑक्सिजन की मौजूदगी बेहद कम है। ऐसे में आम इंसान या किसी जीव के लिए गुफा की गहराई में जाकर जिंदा रहना मुश्किल है। ऐसी भी मान्यता है कि महाभारत में स्वर्ग जाने के रास्ते के दौरान पांडवों ने इस गुफ के सामने रूककर भगवान गणेश का भी आशीर्वाद लिया था।

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