क्या सच में थी कामधेनु गाय? इस कामधेनु मंत्र से होती है मन की हर इच्छा पूरी
By गुलनीत कौर | Published: December 12, 2018 04:40 PM2018-12-12T16:40:07+5:302018-12-12T16:40:07+5:30
पुराणों में दर्ज एक कथा के अनुसार जिस समय देवताओं और राक्षसों द्वारा क्षीर सागर का मंथन किया गया, तब उसमें से कामधेनु गाय की उत्पत्ति हुई थी। कहा जाता है कि इस एक गाय में समस्त देवताओं का वास था। कामधेनु गाय के प्रकट होते ही सभी देवताओं ने उसे प्रणाम किया।
हिन्दू धर्म में गाय को पूजनीय माना जाता है। इसे पशु ना कहकर देवों के स्थान पर बिठाया जाता है। हिन्दू पुराणों में कामधेनु गाय का जिक्र मिलता है। पुराणों के अनुसार यह एक दैविक गाय थीं जिसमें अनेकों चमत्कारी शक्तियां थीं। कहा जाता है कि यह गाय जिस भी किसी के पास होती वह दुनिया का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बन जाता। इसलिए इस गाय को पाने के लिए हमेशा ही झगड़े होते थे। मगर क्या वाकई कामधेनु गाय थी? या फिर यह महज एक पौराणिक कहानी है जिसका कोई अस्तित्व नहीं?
कौन थी कामधेनु गाय?
पुराणों में दर्ज एक कथा के अनुसार जिस समय क्षीर सागर का देवताओं और राक्षसों द्वारा मंथन किया गया, तब उस सागर में से अनेकों मूल्यवान वस्तुएं प्रकट हुईं। पवित्र अमृत के अलावा मां लक्ष्मी की उत्पत्ति भी इसी समुद्र मंथन के दौरान हुई थी। क्षीर सागर से प्राप्त हुईं 14 मूल्यवान वस्तुओं में से एक कामधेनु गाय भी थी। कहा जाता है कि इस एक गाय में समस्त देवताओं का वास था। कामधेनु गाय के प्रकट होते ही सभी देवताओं ने उसे प्रणाम किया।
कामधेनु गाय की कथा
कामधेनु गाय के संदर्भ में पुराणों में अनेकों कथाएं हैं लेकिन इनमें से दो कथाएं सबसे अधिक प्रचलित हैं। कहा जाता है कि कामधेनु गाय को हर कोई पाना चाहता था। क्योंकि यह गाय जिसके भी पास होती वह सबसे शक्तिशाली बन जाता। यह गाय सबसे पहले ऋषि वशिष्ठ के पास थी। उनसे इस गाय को पाने के लिए कई लोगों ने युद्ध किया। एक बार ऋषि विश्वामित्र भी क्रोध में आकर ऋषि वशिष्ठ ने कामधेनु गाय को पाने के लिए उनके आश्रम पहुंच गए। किन्तु अंत में वे हारकर वापस लौट गए।
भगवान परशुराम ने कामधेनु गाय के लिए किया राक्षस का वध
अन्य कथा के अनुसार एक बार कामधेनु गाय भगवान परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि के पास थी। राजा सहस्त्रार्जुन को जब इस बारे में खबर मिली तो वह ऋषि जमदग्नि के आश्रम पहुंच गया और कामधेनु गाय को पाने के लिए आश्रम पर आक्रमण कर दिया। राजा ने ऋषि जमदग्नि का आश्रम ध्वस्त कर दिया। यह देख कामधेनु गाय स्वर्ग की ओर चली गई। जिस वजह से राजा सहस्त्रार्जुन को खाली हाथ ही लौटना पड़ा। जब भगवान परशुराम को सारी सच्चाई मालूम हुई तो उन्होंने राजा सहस्त्रार्जुन का वध कर दिया।
कामधेनु गाय में 33 कोटि देवता का वास
पौराणिक कथाओं के अनुसार पवित्र कामधेनु गाय में 33 कोटि देवी-देवता समाए हैं। यहां कोटि का मतलब करोड़ नहीं बल्कि 'प्रकार' होता है। अर्थात् कामधेनु गाय में 33 प्रकार के देवी-देवता निवास करते हैं। इनमें 12 आदित्य, 8 वसु, 11 रुद्र और 2 अश्विन कुमार देवी-देवता हैं।
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कामधेनु गाय का महत्व
पुराणों और धर्म शास्त्रों में कामधेनु गाय को देवताओं के उपाधि प्राप्त है। मान्यतानुसार केवल कामधेनु गाय की उपासना से सभी देवी-देवता प्रसन्न होते हैं। अगर आप भी सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद चाहते हैं तो रोजाना प्रातः स्नान करके गौ माता पर पवित्र गंगा जल का छिड़काव करें। इसके बाद अक्षत और पुष्प से उनकी पूजा करें। प्रसाद का भोग लगाएं। ऐसा करते समय निम्न मन्त्र का निरंतर जाप करें, गौ माता का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे:
ॐ सर्वदेवमये देवि लोकानां शुभनन्दिनि।
मातर्ममाभिषितं सफलं कुरु नन्दिनि।।