सोमवार विशेष: जब सूर्य देव को झेलना पड़ा था भगवान शिव का गुस्सा, पूरी सृष्टि में छा गया था अंधकार! पढ़िए रोचक कथा
By मेघना वर्मा | Published: April 6, 2020 08:42 AM2020-04-06T08:42:46+5:302020-04-06T08:42:46+5:30
भगवान शिव की पूजा के लिए सोमवार को भक्त पूरी श्रद्धा के साथ उपासना करते हैं। भगवान शिव के खुश होने की कई कहानियां आपने शास्त्रों में सुनी होंगी मगर शिव शम्भु के रूद्र होने की कहानी भी शास्त्रों में मिलती है।
भगवान शिव, अपने भोले स्वरूप के लिए जाने जाते हैं। मान्यता है कि शिव बहुत जल्दी खुश भी हो जाते हैं और बहुत जल्दी क्रोधित भी। अपने भक्तों से अगर वो प्रसन्न हो जाएं तो उनकी हर इच्छा को पूरी कर देते हैं मगर यदि वो किसी से क्रोधित हो जाएं तो विनाश तय होता है।
भगवान शिव की पूजा के लिए सोमवार को भक्त पूरी श्रद्धा के साथ उपासना करते हैं। भगवान शिव के खुश होने की कई कहानियां आपने शास्त्रों में सुनी होंगी मगर शिव शम्भु के रूद्र होने की कहानी भी शास्त्रों में मिलती है। ब्रह्मवैवर्त पुराण की एक ऐसी ही कथा आज हम आपको बताने जा रहे हैं जिसमें भगवान सूर्य को शिव जी के कोप का शिकार होना पड़ा था।
आइए आप भी जानिए क्या है इसकी पौराणिक कथा-
जब शिव के शरण में पहुंचे माली-सुमाली
भगवान शिव के पास उनके भक्तों के अलावा, दैत्य, देवता भी चले जाएं तो उन्हें भोले अपनी शरण में ले लेते हैं। बिना किसी भेदभाव के वो हर पर अपनी कृपा करते हैं। प्राचीन कहानी के अनुसार एक बार दैत्य माली और सुमाली भी भगवान शिव के चरणों में अपनी पुकार लेकर पहुंचे। दोनों ही गंभीर शारीरिक पीड़ा में थे। सूर्य देव की अवहेलना से उन्हें इस व्याधि से मुक्ति नहीं मिल रही थी। इसलिए उन्होंने भोलेनाथ की शरण में जगह ली।
सूर्य देव पर कर दिया हमला
माली-सुमाली की बात सुनकर शिव इतने क्रोधित हुए कि उन्होंने कश्यप नंदन सूर्य पर अपने त्रिशूल से प्रहार कर दिया। संपूर्ण लोकों को प्रकाशित करने वाले सूर्य उस समय अपने घोड़ों पर विराजमान थे। ये प्रहार वो सह नहीं पाए और अपने रथ से नीचे गिर कर अचेत हो गए। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार उस समय पूरी सृष्टी में अंधकार हो गया। कहीं रोशनी नहीं बची।
जब ऋषि कश्यप ने दिया भगवान शिव को श्राप
पूरे जगत में जब अंधियारा छा गया तो सूर्य देव के पिता ऋषि कश्यप को अपने पुत्र की चिंता हुई। जब उन्हें पता चला कि भगवान शिव ने उनके पुत्र सूर्य पर हमला किया है तो उन्होंने भगवान शिव को श्राप दे दिया। उन्होंने कहा कि जिस तरह वो इस सिय अपने बेटे की हालत देखकर दुखी हो रहे हैं उस तरह भगवान शिव भी को भी अपने पुत्र की हालत देखकर दुख झेलना पड़ेगा।
भोले ने ऐसे दिया सूर्य को जीवनदान
जब भगवान शंकर का क्रोध शांत हुआ तो उन्होंने देखा कि पूरी दुनिया में अंधेरे से हाहाकार मचा है। तब उन्होंने सूर्य देव को जीवनदान दिया। उसी समय शिव को ऋषि कश्यप और उनके श्राप के बारे में पता चला। तभी उन्होंने सभी का त्याग करने का निश्चय किया।
इसे सुन ब्रह्माजी भगवान सूर्य के पास पहुंचे। उन्होंने सारा कार्यभार ब्रह्मा जी को सौंपा। उसके बाद ब्रह्मा जी, ऋषि कश्यप और भगवान शिव ने सूर्य को आशीर्वाद दिया।