Vivah Panchmi 2019: आज ही के दिन हुई थी माता जानकी और भगवान श्रीराम की शादी, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि
By मेघना वर्मा | Published: December 1, 2019 07:06 AM2019-12-01T07:06:27+5:302019-12-01T07:06:27+5:30
धार्मिक नजरिए से विवाह पंचमी का काफी महत्व होता है मगर इस दिन को विवाह के लिए शुभ नहीं माना जाता है। भारत समेत नेपाल के कुछ इलाकों में इस दिन शादी करने को निषेध माना जाता है।
देश भर में आज विवाह पंचमी मनाई जा रही है। माना जाता है कि विवाह पंचमी के दिन भी भगवान राम और माता सीता की शादी हुई थी। भगवान राम को पूजने की प्रथा सदियों से चली आ रही है। लोगों की आस्था भगवान राम और सीता के प्रति ज्यादा दिखती है। भगवान राम और सीता के विवाह के दिन देशभर में विवाह पंचमी मनाई जाती है। माना जाता है कि मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को भगवान राम और माता सीता की शादी हुई थी।
धार्मिक नजरिए से विवाह पंचमी का काफी महत्व होता है मगर इस दिन को विवाह के लिए शुभ नहीं माना जाता है। भारत समेत नेपाल के कुछ इलाकों में इस दिन शादी करने को निषेध माना जाता है। इस दिन लोग रामायण के बालकांड का पाठ करते हैं।माना जाता है कि शादी के बाद भगवान राम और सीता शादी दोनों का जीवन ही कष्टों से बीता। इसीलिए इस तिथि पर शादी निषेध माना जाता है।
राजा जनक ने लिया था निर्णय
माना जाता है कि सीता माता के पिता राजा जनक ने ये फैसला लिया था कि जो भी शिव का धनुष जिसे पिनाक कहते हैं उठा पाएगा उसी से सीता का विवाह होगा। सीता स्वयंवर में कई राजकुमार आए थे। जिनमें से अयोध्या के राजकुमार राम भी थे। मर्हषि वशिष्ठ ने भगवान राम को शिव के धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने को कहा था।
विवाह पंचमी की तिथि और शुभ मुहूर्त
विवाह पंचमी की तिथि: 1 दिसंबर 2019
पंचमी तिथि प्रारंभ: 30 नवंबर 2019 को शाम 6 बजकर 5 मिनट से
पंचमी तिथि समाप्त: 1 दिसंबर 2019 को शाम 7 बजकर 13 मिनट तक
विवाह पंचमी की पूजा विधि
1. विवाह पंचमी के दिन भगवान श्री राम और माता सीता का विवाह संपन्न कराया जाता है।
2. इस दिन सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
3. इसके बाद राम विवाह की तैयारियां करें।
4. अब पूजा स्थान पर भगवान राम और माता सीता की मूर्ति या चित्र की स्थापित करें।
5. अब भगवान राम को पीले व मां सीता को लाल वस्त्र पहनाएं।
6. अब रामायण के बाल कांड का पाठ करते हुए विवाह प्रसंग का पाठ करें।
7. इसके बाद ॐ जानकीवल्लभाय नमः का जाप करें।
8. फिर भगवान राम और मां सीता का गठबंधन करें।
9. अब राम-सीता की जोड़ी की आरती उतारें।
10. अब भगवान को भोग लगाएं और पूरे घर में प्रसाद बांटकर आप भी ग्रहण करें।