Vivah Panchmi 2019: भारत नहीं बल्कि इस देश में हुआ था माता सीता और श्रीराम का जन्म, विवाह मंडप है मौजूद
By मेघना वर्मा | Published: November 29, 2019 09:57 AM2019-11-29T09:57:27+5:302019-11-29T09:57:27+5:30
जनकपुर में वो स्थान भी है जहां राम और सीता माता का विवाह संपन्न हुआ था। विवाह पंचमी के दिन यहां लोग आकर राम-जानकी का आशीर्वाद लेते हैं।
अयोध्या के राजा राम और राजा जनक की पुत्री सीता के विवाह दिवस को विवाह पंचमी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को भगवान राम और माता सीता की शादी हुई थी। इस साल विवाह पंचमी का ये त्योहार एक दिसंबर को पड़ रहा है। देश भर के हर हिस्सों में यह पर्व बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। मगर क्या आप जानते हैं कि माता सीता और श्रीराम की शादी कहां हुई थी। आइए हम बताते हैं आपको।
राम-जानकी का विवाह जनकपुर में हुआ था। जो वर्तमान समय में नेपाल में स्थित है। यहां हर साल धूम-धाम से राम और जानकी का विवाहोत्सव मनाया जाता है। बताया जाता है कि भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या से हर साल राम की बारात जनकपुर के लिए रवाना होती है।
जानकी मंदिर है खास
पौराणिक कथा कि मानें तो जनकपुरी में रात और सीता का विवाह हुआ था। इसी जगह पर अब जानकी मंदिर का निर्माण करवा दिया गया है। इसे हिन्दू धर्म के लोग सबसे बड़ा तीर्थ स्थल भी मानते हैं। दुनिया भर से लोग इस मंदिर के दर्शन करने के लिए यहां आते हैं। इस मंदिर के भव्य निर्माण की तारीफ हर कोई करता है।
राम विवाह मंडप भी है मौजूद
जनकपुर में वो स्थान भी है जहां राम और सीता माता का विवाह संपन्न हुआ था। विवाह पंचमी के दिन यहां लोग आकर राम-जानकी का आशीर्वाद लेते हैं। इस जगह को राम विवाह मंडप के नाम से भी जाना जाता है। वहीं ये मंडप प्राचीन काल की वास्तु कला का बेहतरीन नमूना है।
विवाह पंचमी पर क्यों नहीं होती शादी
लोककथाओं की मानें तो विवाह पंचमी के दिन राम सीता का विवाह हुआ था। जो इस साल 1 दिसंबर को पड़ रहा है। मगर शादी के बाद भगवान राम और सीता माता का जीवन कष्टों से भरा रहा। यही कारण है कि मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष को शादी के लिए अनुचित बताया जाता है।
राजा जनक ने लिया था निर्णय
माना जाता है कि सीता माता के पिता राजा जनक ने ये फैसला लिया था कि जो भी शिव का धनुष जिसे पिनाक कहते हैं उठा पाएगा उसी से सीता का विवाह होगा। सीता स्वयंवर में कई राजकुमार आए थे। जिनमें से अयोध्या के राजकुमार राम भी थे। मर्हषि वशिष्ठ ने भगवान राम को शिव के धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने को कहा।