जानिए कब है वट सावित्री व्रत, सुहागिन महिलाओं को इससे मिलते हैं ये लाभ

By गुलनीत कौर | Published: May 28, 2019 04:28 PM2019-05-28T16:28:48+5:302019-05-28T16:46:05+5:30

वट सावित्री व्रत एक हिन्दू पर्व है जो केवल सुहागिन महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। यह व्रत सिहागिनें अपने पति की दीर्घायु के लिए करती हैं। इस व्रत में कुछ सुहागिनें फलाहार का सेवना करती हैं तो कुछ निर्जल उपवास भी करती हैं।

Vat Savitri Vrat 2019: Date, significance, importance, puja time, puja vidhi, vrat vidhi, benefits of doing this vrat, do's and don'ts of vrat | जानिए कब है वट सावित्री व्रत, सुहागिन महिलाओं को इससे मिलते हैं ये लाभ

जानिए कब है वट सावित्री व्रत, सुहागिन महिलाओं को इससे मिलते हैं ये लाभ

हिन्दू धर्म में ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को भगवान शनि देव का जन्मोत्सव मनाया जाता है। जिसे शास्त्रों में शनि जयंती के नाम से जानते हैं। इस अवसर पर शनि देव को प्रसन्न करने के लिए पूजा-पाठ, व्रत एवं उपाय किए जाते हैं। मगर शनि पूजा के अलावा इस तिथि को ही वट सावित्री व्रत भी किया जाता है। इस वर्ष वट सवित्रित व्रत 3 जून को है। यह व्रत केवल सिहागिन महिलाओं द्वारा ही किया जाता है। 

वट सावित्री व्रत क्या है? (What is Vat Savitri Vrat)

वट सावित्री व्रत एक हिन्दू पर्व है जो केवल सुहागिन महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। यह व्रत सिहागिनें अपने पति की दीर्घायु के लिए करती हैं। इस व्रत में कुछ सुहागिनें फलाहार का सेवना करती हैं तो कुछ निर्जल उपवास भी करती हैं। व्रत सुबह से शाम तक चलता है। शाम के समय वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा करने पर ही व्रत को पूर्ण माना जाता है।

वट सावित्री व्रत तिथि, महत्व (Vat Savitri Vrat 2019 date, significance)

इस वर्ष वट सावित्री व्रत 3 जून 2019 दिन सोमवार को है। 2 जून दिन रविवार की शाम 4 बजकर 39 मिनट पर ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि प्रारंभ हो जाएगी जो कि अगले दिन 3 जून की दोपहर 3 बजकर 31 मिनट तक चलेगी। सुबह सूर्योदय के बाद सुहागिनें व्रत का संकल्प लेंगी और शाम होने तक नियमों का पालन करते हुए व्रत पूरा किया जाएगा।

वट सावित्री व्रत विधि, पूजा विधि (Vat Savitri Vrat vidhi, puja vidhi)

वट सावित्री व्रत को फलाहार का सेवन करते हुए किया जा सकता है। मगर इच्छा हो तो सुहागिन निर्जल उपवास भी कर सकती है। शाम के समय वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार पीपल के पेड़ की तरह ही वट के वृक्ष में भी ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों का वास होता है। सुहागिने वट की पूजा करती हैं। उसकी जड़ों में जल अर्पित करते हैं और रक्षा सूत्र हाथ में लेकर परिक्रमा करते हुए वृक्ष के तने पर लपेटती हैं। पूजा के बाद ही व्रत पूरा होता है।

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वट सावित्री व्रत के लाभ (Benefits of Vat Savitri Vrat)

- शास्त्रीय मान्यतानुसार वट सावित्री का व्रत करने से सुहागिन महिला को देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है
- पूर्ण विधि विधान से यह व्रत पूरा करने से पति की आयु लंबी होती है
- मान्यता है कि यह व्रत पति-पत्नी में प्रेम भी बढ़ाता है, वैवाहिक जीवन में सुखों को लाने वाला होता है

English summary :
In the Hindu religion, the birth anniversary of Lord Shani is celebrated on the date of Amavasya of Krishna Paksha of Jyeshtha Mass. On this occasion, worship, fasting and meditation are done to please Shani dev. Apart from Shani jayanti, Vat Savitri fast is also done on this date.


Web Title: Vat Savitri Vrat 2019: Date, significance, importance, puja time, puja vidhi, vrat vidhi, benefits of doing this vrat, do's and don'ts of vrat

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