वट सावित्री व्रत 2018 (बड़मावस): अगर वट सावित्री का रख रही हैं व्रत तो प्रसाद में जरूर बनाएं ये 3 चीजें

By मेघना वर्मा | Published: May 15, 2018 09:23 AM2018-05-15T09:23:23+5:302018-05-15T09:47:50+5:30

वट सावित्री व्रत 2018/बड़मावस (Vat Savitri Vrat 2018): पूरी के साथ इस दिन मीठे पुए बनाने की परंपरा है। यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश की एक खास रेसिपी है।

Vat Savitri Vrat 2018: prasad, significance, benefits of vrat and puja vidhi | वट सावित्री व्रत 2018 (बड़मावस): अगर वट सावित्री का रख रही हैं व्रत तो प्रसाद में जरूर बनाएं ये 3 चीजें

Vat Savitri Vrat 2018| वट सावित्री व्रत 2018| बड़मावस

हिन्दु मान्यताओं में ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या को होने वाले वट सावित्री व्रत का अपना महत्व है। आज के दिन वट वृक्ष यानी बरगद का पूजन करके महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र की कामना करती हैं। इस बार ये व्रत 15 मई को है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने वाली स्त्री के पति पर आने वाल हर संकट दूर हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार वट सावित्री व्रत को में पूजन सामग्री और प्रसाद विशेष महत्व रखता है। ऐसा माना जाता है कि बिना पूजन सामग्री और प्रसाद के यह व्रत का अधूरा रह जाता है। आज हम आपको वट सावित्री व्रत में इस्तेमाल होने वाले पूजन साम्रगी और प्रसाद के बारे में बताने जा रहे हैं। जिन्हें बनाकर आप भोग भी लगा सकते हैं और उसे ग्रहण भी कर सकते हैं। 

वट सावित्री पूजन सामग्री

सत्यवान-सावित्री की मूर्ति, बांस का पंखा, लाल धागा, धूप, मिट्टी का दीपक,घी,फूल, फल (आम, लीची और अन्य फल), कपड़ा 1.25 मीटर का दो, सिंदूर, जल से भरा हुआ पात्र, रोली। 

ऐसे करें पूजा

वट सावित्री की पूजा के लिए विवाहित महिलाओं को बरगद के पेड़ के नीचे पूजा करनी होती है। सुबह स्नान करके दुल्हन की तरह सजकर एक थाली में प्रसाद जिसमे गुड़, भीगे हुए चने, आटे से बनी हुई मिठाई, कुमकुम, रोली, मोली, 5 प्रकार के फल, पान का पत्ता, धुप, घी का दीया, एक लोटे में जल और एक हाथ का पंखा लेकर बरगद पेड़ के नीचे जाएं। पेड़ की जड़ में जल चढ़ाएं, उसके बाद प्रसाद चढ़ाकर धूप, दीपक जलाएं।

उसके बाद सच्चे मन से पूजा करके अपने पति के लिए लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करें। पंखे से वट वृक्ष को हवा करें और सावित्री माँ से आशीर्वाद लें ताकि आपका पति दीर्घायु हो। इसके बाद बरगद के पेड़ के चारो ओर कच्चे धागे से या मोली को 3 बार बांधे और प्रार्थना करें। घर आकर जल से अपने पति के पैर धोएं और आशीर्वाद लें। उसके बाद अपना व्रत खोल सकते है।

खानपान की अपनी अलग है परंपरा

पुराणों की मानें तो वट में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों का वास होता है और इसके नीचे बैठकर पूजन, व्रत कथा आदि सुनने से मनोकामना पूर्ण होती है साथ ही वट वृक्ष अपनी विशालता के लिए भी प्रसिद्ध है। इस दिन खानपान की अपनी एक परंपरा है। 

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सबसे महत्वपूर्ण है भीगे चने

प्रसाद में भीगे चने का भी बेहद ज़रुरी है। इन्हें रात को भिगोया जाता है। और सुबह छानकर अलग करके पूजा की थाली में रखा जाता है। प्रसाद में पूरी,चने और पूए को बरगद के पेड़ के नीचे रखते हैं और कुछ चने को पूजा के बाद सीधे निगलने की परंपरा निभाई जाती है। बाद में बचे हुए चने की सब्जी बनाते हैं।

पूरी और पूए बनाएं

पूरी के साथ इस दिन मीठे पुए बनाने की परंपरा है। यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश की एक खास रेसिपी है।  पुए यानी की गुलगुले की रेसिपी अक्सर बड़ी उम्र की महिलाएं अपनी पीढ़ियों को सिखा देती हैं। इस रेसिपी में आटे को पानी,चीनी और मेवों के साथ अच्छी तरह से घोलकर तला जाता है। इसमे से पूरी और पुए को प्रसाद में बरगद के नीचे चढ़ाया जाता है। और कुछ को अपने आंचल में रखा जाता है और बाद में इसे प्रसाद स्वरुप खाते हैं।

आम का मुरब्बा

इस दिन आम का मुरब्बा बनाया जाता है। इसमें आम और गुड़ या चीनी का इस्तेमाल किया जाता है। कच्चे आम को उबालकर आम का मुरब्बा तैयार किया जाता है। इसे यूपी के पूर्वाचल हिस्से में गुरम्हा के नाम से भी जाना जाता है।यह कच्चे आम की मीठी चटनी के रुप में भी अपनी पहचान रखता है। पूजा के बाद विधिवत पूरी,सब्जी और आम का मुरब्बे का स्वाद लिया जाता है।

खरबूजे का विशेष महत्व

वट सावित्री व्रत में खरबूजा वो फल है जो आपके वट सावित्री की पूजा का एक सबसे ज़रुरी चीज़ है। वैसे तो गर्मियों में खरबूजे की गजब की ब्रिकी होती है लेकिन आज के दिन इसकी डिमांड काफी बढ़ चाती है। इसे चढ़ाते भी हैं और बाद में इसे खाया भी जाता है।

English summary :
Vat Savitri Vrat 2018: Vrat Prasad, significance, benefits of vrat and puja vidhi.


Web Title: Vat Savitri Vrat 2018: prasad, significance, benefits of vrat and puja vidhi

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