वट सावित्री व्रत 2018 (बड़मावस): सुहागिनें करती हैं व्रत, चढ़ता है 'चने' का प्रसाद, जानें पूजा विधि

By गुलनीत कौर | Published: May 15, 2018 09:10 AM2018-05-15T09:10:00+5:302018-05-15T09:23:10+5:30

Vat Savitri Vrat 2018: पौराणिक कथा के अनुसार सावित्री नामक सुहागिन महिला ने अपने पति के प्राणों की रक्षा के लिए यह व्रत रखा था।

Vat Savitri Vrat 2018: Importance, significance, benefits of vat savitri vrat, know puja vidhi | वट सावित्री व्रत 2018 (बड़मावस): सुहागिनें करती हैं व्रत, चढ़ता है 'चने' का प्रसाद, जानें पूजा विधि

Vat Savitri Vrat 2018| वट सावित्री व्रत 2018|बड़मावस

ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को सुहागिन महिलाएं अपने पति के लिए व्रत करती हैं। इस व्रत को 'वट सावित्री व्रत' के नाम से जाना जाता है। इस साल से व्रत 15 मई को है। सभी शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए इस व्रत को रखती हैं।

वट सावित्री व्रत की पौराणिक कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार सावित्री नामक सुहागिन महिला ने अपने पति के प्राणों की रक्षा के लिए यह व्रत रखा था। सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राणों की भीख मांगी थी। कथा के मुताबिक मृत्यु के देवता यमराज जब सत्यवान के प्राण हरण करने आए तो सावित्री भी उनके पीछे-पीछे चलने लगी।

सावित्री की परेशानी देखते हुए यमराज ने उन्हें तीन वरदान मांगने को कहा। सावित्री ने पहले वरदान के रूप में सौ पुत्रों की मन होने का वरदान मांगा। सावित्री के ऐसा कहते ही यमराज ने उन्हें पलक झपकते वरदान दे दिया। तत्पश्चात् सावित्री ने कहा कि वे एक पतिव्रता पत्नी हैं और बिना अपने पति के सौ पुत्रों को प्राप्त नहीं कर सकती हैं। मजबूर होकर यमराज को सत्यवान के प्राण त्यागने पड़े। 

पौराणिक कथा के अनुसार यमराज के वरदान देने के बाद सावित्री ने अपने पति के मुंह में चने का एक दाना रखकर फूंक दिया और सत्यवान जीवित हो उठा। यही कारण है कि वट सावित्री के व्रत में चने का प्रसाद अवश्य बनाया जाता है। इसे भोग लगाने के बाद परिवार में बांटा भी जाता है।

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वट सावित्री व्रत की पूजा

इस व्रत के लिए सुहागिन महिलाएं सावित्री, सत्यवान और भैंसे पर विराजमान यमराज की मिट्टी की प्रतिमाएं स्वयं अपने हाथों से बनाती हैं। इन प्रतिमाओं को वट वृक्ष के नीचे स्थापित किया जाता है। जल, मौली, रोली, कच्चा सूट, भोगिया हुआ चना, फूल, धूप-अगरबत्ती, आदि चीजों को पूजन सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इन सभी वस्तुओं के प्रयोग से उपरोक्त प्रतिमाओं की पूजा की जाती है।

अंत में एक हाथ में जल और दूसरे हाथ में कच्चा धागा लेकर वट वृक्ष की तीन परिक्रमा की जाती है। परिक्रमा करते हुए जल को वृक्ष के निचले भाग पर गिराया जाता है और कच्चा धागा वृक्ष पर लपेटा जाता है। परिक्रमा सम्पूर्ण करने के बाद भीगे हुए चने से पानी को अलग कर दिया जाता है। सावित्री, सत्यवान और यमराज की प्रतिमा के आगे चने और कुछ रुपये अर्पित किए जाते हैं। अंत में सुहागिन महिलाएं अपनी सास का आशीर्वाद लेकर पूजा संपन्न करती हैं।

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English summary :
Vat Savitri Vrat 2018: Know Vat Savitri Vrat 2018's Importance, it's significance on Married Women, benefits of this vrat and puja vidhi


Web Title: Vat Savitri Vrat 2018: Importance, significance, benefits of vat savitri vrat, know puja vidhi

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