Utpanna Ekadashi 2019: भगवान विष्णु की इस महा-आरती के बिना अधूरी है उत्पन्ना एकादशी की पूजा, पढ़ें यहां
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 22, 2019 09:50 AM2019-11-22T09:50:12+5:302019-11-22T09:52:34+5:30
बताया जाता है कि उत्पन्ना एकादशी को ही भगवान विष्णु ने मुरी नामक राक्षस का वध किया था। जिसकी खुशी में हर साल उत्पन्ना एकादशी मनाई जाती है।
देश भर में आज उत्पन्ना एकादशी माना जा रहा है। हिन्दू धर्म में एकादशी का व्रत सबसे ज्यादा महत्व बताया जाता है। कहते हैं एकादशी का व्रत रखने से श्रीहरि प्रसन्न हो जाते हैं।
मार्गशीर्ष महीने की कृष्ण पक्ष में आने वाली उत्पन्ना एकादशी को भी काफी महत्तपूर्ण बताया गया है। इस एकादशी को भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन जो जातक मन से भगवान विष्णु की पूजा कर लेता है उसके सारे पाप कट जाते हैं। सिर्फ यही नहीं इस दिन भगवान विष्णु की आरती गाने का भी विशेष महत्व है। आइए हम आपको बताते हैं भगवान विष्णु की आरती।
उत्पन्ना एकादशी का शुभ मुहूर्त
उत्पन्ना एकादशी तिथि- 22 नवंबर
एकादशी तिथि प्रारंभ - 09:01 AM से
एकादशी तिथि समाप्त - 06:24 AM तक
भगवान विष्णु जी की आरती...
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय...॥
उत्पन्ना एकादशी का महत्व
बताया जाता है कि उत्पन्ना एकादशी को ही भगवान विष्णु ने मुरी नामक राक्षस का वध किया था। जिसकी खुशी में हर साल उत्पन्ना एकादशी मनाई जाती है। खास बात ये है कि उत्तर भारत में उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष महीने में पड़ती है। जबकि कर्नाटक, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में यर एकादशी कार्तिक मास में मनाई जाती है।