Utpanna Ekadashi Vrat Paran: उत्पन्ना एकादशी के व्रत पारण के समय ध्यान में रखें ये 5 बातें, तीसरा वाला है सबसे जरूरी
By मेघना वर्मा | Published: November 23, 2019 07:20 AM2019-11-23T07:20:59+5:302019-11-23T07:20:59+5:30
बताया जाता है कि उत्पन्ना एकादशी को ही भगवान विष्णु ने मुरी नामक राक्षस का वध किया था। जिसकी खुशी में हर साल उत्पन्ना एकादशी मनाई जाती है।
देश भर में 22 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी मनाई गई है। लोगों ने पूरे विधि-विधान से इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की है। हिन्दू धर्म में एकादशी का व्रत सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बताया जाता है। कहते हैं एकादशी का व्रत रखने से श्रीहरि प्रसन्न हो जाते हैं।
मार्गशीर्ष महीने की कृष्ण पक्ष में आने वाली उत्पन्ना एकादशी को भी काफी महत्तपूर्ण बताया गया है। इस एकादशी को भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन जो जातक मन से भगवान विष्णु की पूजा कर लेता है उसके सारे पाप कट जाते हैं। सिर्फ यही नहीं इस व्रत के साथ इसके पारण के भी अपने नियम हैं।
अगर आपने भी उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखा था तो आप भी नीचे दिए गए नियमानुसार अपने व्रत का पारण कर सकते हैं।
1. तुलसी का प्रयोग जरूर करें
भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय होता है। इसीलिए भगवान विष्णु के उत्पन्ना एकादशी के बाद पारण करते समय तुलसी का इस्तेमाल जरूर करें। सिर्फ अध्यात्मक रूप से ही नहीं स्वास्थ्य के रुप से भी तुलसी का बेहद महत्व है।
2. आंवला भी अनमोल
आंवले के पेड़ पर विष्णु भगवान का निवास होता है। इस कारण हिन्दू धर्म में आवंले को अलग महत्व दिया गया है। उत्पन्ना एकादशी के पारण के समय आप आवंले का प्रयोग भी कर सकते हैं।
3. चावल खाकर करें पारण
उत्पन्ना एकादशी का पारण आप चावल खाकर भी कर सकते हैं। एकादशी के दिन चावल खाने की मनाही होती है। मगर इसके बाद जब आप पारण करें तो चावल खाकर इसका पारण कर सकते हैं।
4. सेम के कई गुण
इस सीजन सेम की फलियां खाना बेहद अच्छा माना जाता है। इसके अपने ही गुण होते हैं। आप इस देवोत्थान एकादशी के पारण सेम की फलियों से कर सकते हैं।
5. ना करें प्याज-लहसुन का उपयोग
भूलकर भी देवोत्थान एकादशी के पारण को प्याज-लहसुन वाले खाद्य पद्वार्थ से ना करें। इसके साथ ही बैंगन, मूली, साग और मसूर की दाल का सेवन भी ना करें।
उत्पन्ना एकादशी का महत्व
बताया जाता है कि उत्पन्ना एकादशी को ही भगवान विष्णु ने मुरी नामक राक्षस का वध किया था। जिसकी खुशी में हर साल उत्पन्ना एकादशी मनाई जाती है। खास बात ये है कि उत्तर भारत में उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष महीने में पड़ती है। जबकि कर्नाटक, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में यर एकादशी कार्तिक मास में मनाई जाती है।