Tulsi Vivah 2024 : तुलसी विवाह कल, इस विधि से करें माता तुलसी और भगवान शालिग्राम की शादी, जानें मुहूर्त, नियम, पूजा सामग्री सहित संपूर्ण अनुष्ठान
By रुस्तम राणा | Published: November 12, 2024 06:43 AM2024-11-12T06:43:48+5:302024-11-12T06:43:48+5:30
Tulsi Vivah 2024 Date: इस साल तुलसी विवाह का आयोजन 13 नवंबर 2024, किया जाएगा। इसमें तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम से विधि-विधान से करवाया जाता है जो भगवान विष्णु के अवतार हैं। वहीं तुलसी का पौधा मां लक्ष्मी का प्रतीक स्वरूप माना जाता है।
Tulsi Vivah 2024 Date: तुलसी विवाह का त्यौहार एक महत्वपूर्ण हिंदू अनुष्ठान है जो भगवान विष्णु या उनके अवतार भगवान कृष्ण के पवित्र तुलसी के पौधे के साथ मिलन का जश्न मनाता है जिसे तुलसी के रूप में जाना जाता है। तुलसी विवाह का आयोजन प्रति वर्ष कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन भी किया जाता है। इससे एक दिन पूर्व यानी देव उठनी एकादशी (12 नवंबर 2024) के दिन भगवान विष्णु जी चार माह की अपनी निद्रासन से जागते हैं और सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं। इस साल तुलसी विवाह का आयोजन 13 नवंबर 2024, किया जाएगा। इसमें तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम से विधि-विधान से करवाया जाता है जो भगवान विष्णु के अवतार हैं। वहीं तुलसी का पौधा मां लक्ष्मी का प्रतीक स्वरूप माना जाता है। तुलसी विवाह को कन्यादान के बराबर माना जाता है।
तुलसी विवाह के लिए शुभ मुहूर्त
द्वादशी तिथि प्रारंभ - 12 नवंबर 2024, मंगलवार को शाम 4:02 बजे
द्वादशी तिथि समाप्त - 13 नवंबर 2024, बुधवार को दोपहर 1:01 बजे
तुलसी पूजन की विधि
सूर्योदय से पहले उठकर दैनिक कार्य कर साफ वस्त्र धारण करें।
तुलसी के पौधे को लाल चुनरी ओढ़ाएं।
इसके बाद तुलसी का श्रृंगार करें।
तत्पश्चात शालिग्राम को स्थापित करें।
विधिवत पंडित जी से उनका विवाह करवाएं।
तुलसी विवाह के बाद तुलसी और शालिग्राम की सात परिक्रमा करें।
और अंत में तुलसी जी की आरती गाएं।
पूजन सामग्री
श्रृंगार का पूरा सामान, धूप, चंदन अगरबत्ती, चंदन, मौली, चुनरी, पूजा में मूली, शकरकंद, सिंघाड़ा, आंवला, बेर, मूली, सीताफल, मंडप हेतु गन्ना, अमरुद और अन्य ऋतु फल चढाएं जाते हैं।
तुलसी विवाह का पौराणिक महत्व
कहा जाता है कि एक बार माता तुलसी ने भगवान विष्णु को नाराज होकर श्राप दे दिया था कि तुम काला पत्थर बन जाओगे। इसी श्राप की मुक्ति के लिए भगवान ने शालीग्राम पत्थर के रूप में अवतार लिया और तुलसी से विवाह कर लिया। वहीं तुलसी को माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। हालांकि कई लोग तुलसी विवाह एकादशी को करते है तो कहीं द्वादशी के दिन तुलसी विवाह होता है। माना जाता है कि जो कोई भक्त देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का अनुष्ठान विधि-विधान से करता है उसे कन्यादान के बराबर पुण्यफल प्राप्त होता है।