मंगलवार विशेषः इन अवस्थाओं में नहीं करनी चाहिए हनुमानजी की पूजा, जान लें ये जरूरी बातें
By गुणातीत ओझा | Published: September 8, 2020 12:31 PM2020-09-08T12:31:36+5:302020-09-08T12:31:36+5:30
हनुमान जी के पराक्रम की असंख्य गाथाएं प्रचलित हैं। इन्होंने जिस तरह से राम के साथ सुग्रीव की मैत्री कराई और फिर वानरों की मदद से राक्षसों का मर्दन किया, वह अत्यन्त प्रसिद्ध है।
हनुमान जी के पराक्रम की असंख्य गाथाएं प्रचलित हैं। इन्होंने जिस तरह से राम के साथ सुग्रीव की मैत्री कराई और फिर वानरों की मदद से राक्षसों का मर्दन किया, वह अत्यन्त प्रसिद्ध है। ज्योतिषीयों के सटीक गणना के अनुसार हनुमान जी का जन्म 58 हजार 112 वर्ष पहले तथा लोकमान्यता के अनुसार त्रेतायुग के अंतिम चरण में चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सुबह 6.03 बजे भारत देश में आज के झारखंड राज्य के गुमला जिले के आंजन नाम के छोटे से पहाड़ी गाँव के एक गुफा में हुआ था। इन्हें बजरंगबली के रूप में जाना जाता है क्योंकि इनका शरीर एक वज्र की तरह था। वे पवन-पुत्र के रूप में जाने जाते हैं। वायु अथवा पवन (हवा के देवता) ने हनुमान को पालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
मारुत (संस्कृत: मरुत्) का अर्थ हवा है। नंदन का अर्थ बेटा है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार हनुमान "मारुति" अर्थात "मारुत-नंदन" (हवा का बेटा) हैं। हनुमानजी की पूजा से हर समस्या का समाधान संभव है क्योंकि इन्हें ही कलयुग का जीवंत देवता माना गया है। हनुमानजी की पूजा करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए, नहीं तो इसका अशुभ परिणाम भी देखने को मिल सकता है। यहां जानिये शास्त्रों के अनुसार किन अवस्थाओं में हनुमानजी की पूजा नहीं करनी चाहिए। निषेध अवस्थाओं में हनुमानजी की पूजा करन से इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
अस्वच्छ कपड़ों में
कुछ लोग स्नान के तुरंत बाद ही टॉवेल लपेटकर या इनरवियर में हनुमानजी की पूजा कर लेते हैं। ये हनुमानजी की पूजा का गलत तरीका है। हनुमानजी की पूजा करते समय शुद्धता का पूरा ख्याल रखना चाहिए। गंदे कपड़ों में भी हनुमानजी की पूजा नहीं करनी चाहिए।
पीरियड्स के दौरान
महिलाएं जब रजस्वला अवस्था में हों तो उन्हें हनुमानजी सहित अन्य देवी-देवताओं की पूजा भी नहीं करनी चाहिए। यहां तक कि उनकी छाया भी हनुमानजी की प्रतिमा या चित्र पर नहीं पड़नी चाहिए। अगर ऐसा संभव न हो तो रजस्वला अवस्था के दौरान घर के मंदिर पर परदा डाल देना चाहिए।
बिना स्नान किए
हनुमानजी सहित अन्य देवी-देवताओं की पूजा बिना स्नान किए नहीं करना चाहिए। धर्म ग्रंथों में भी सुबह स्नान करने के बाद ही देवताओं की पूजा करने का विधान है। बिना स्नान किए हनुमानजी की प्रतिमा को स्पर्श भी नहीं करना चाहिए। इसके नकारात्मक परिणाम भविष्य में देखने को मिल सकते हैं।
शवयात्रा से आने के बाद
शवयात्रा से आने के बाद बिना शुद्ध हुए यानी बिना नहाए किसी भी देवी- देवता को स्पर्श नहीं करना चाहिए। यही नियम है। हनुमानजी की पूजा में भी इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
अशुद्ध अवस्था में
कई लोग अशुद्ध अवस्था में भी हनुमानजी की पूजा कर लेते हैं जो कि बिल्कुल गलत है। अशुद्ध अवस्था से मतलब है यदि आप दिन भर काम करने के बाद घर आए हों तो आप अशुद्ध हैं क्योंकि पूरे दिन आप जितने लोगों से मिले, उनके बारे में आप नहीं जानते। इसलिए शाम को घर आकर पहले स्नान करने के बाद ही हनुमानजी की पूजा करनी चाहिए।
खाने के बाद बिना पानी पिए
कुछ भी खाने के बाद पानी जरूर पीना चाहिए या कुल्ला करना चाहिए। इससे मुख की शुद्धि होती है। खाने के बाद झूठे मुंह हनुमानजी सहित किसी भी देवी-देवता की पूजा करना निषेध माना गया है। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए।