मंगलवारः हनुमान जी का व्रत करने जा रहे हैं, तो जान लें ये जरूरी बातें
By गुणातीत ओझा | Published: June 16, 2020 12:18 PM2020-06-16T12:18:38+5:302020-06-16T12:18:38+5:30
हनुमान भक्त मंगलवार और शनिवार का व्रत बजरंगबली के लिए रह सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगलवार का व्रत उन्हें करना चाहिए जिनकी कुंडली में मंगल ग्रह निर्बल हो और जिसके चलते वह शुभ फल नहीं दे रहा हो।
Hanuman Ji Vrat Pooja: शास्त्रों के मुताबिक हिन्दू धर्म में मंगलवार को व्रत रखने से भगवान हनुमान खुश होते हैं और भक्तों की सारी मनोकामना पूरी करते हैं। मान्यता है कि विधि विधान से व्रत रखने वाले भक्त सभी तरह के भय और चिंताओं से मुक्त हो जाते हैं। शास्त्रों में लिखा है कि मंगलवार और शनिवार का व्रत बजरंगबली के लिए कोई भी रख सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगलवार का व्रत उन्हें करना चाहिए जिनकी कुंडली में मंगल ग्रह निर्बल हो और जिसके चलते वह शुभ फल नहीं दे रहा हो।
मंगलवार व्रत से लाभ
मंगलवार को हनुमान जी का व्रत रखने से कुंडली का मंगल ग्रह शुभ फल देने लगता है। व्रत से हनुमान जी की कृपा मिलती है। यह व्रत सम्मान, बल, साहस और पुरुषार्थ को बढ़ाता है। संतान प्राप्ति के लिए भी यह व्रत बहुत लाभकारी है। इस व्रत के फलस्वरूप पापों से मुक्ति मिलती है। जो यह व्रत करते हैं उन पर भूत-प्रेत, काली शक्तियों का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता।
व्रत की विधि
यह व्रत कम से कम लगातार 21 मंगलवार तक किया जाना चाहिए। व्रत वाले दिन सूर्योदय से पहले स्नान के बाद घर के ईशान कोण में किसी एकांत में बैठकर हनुमानजी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इस दिन लाल कपड़े पहनें और हाथ में पानी ले कर व्रत का संकल्प करें। हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर के सामने घी का दीपक जलाएं और भगवान पर फूल माला चढ़ाएं।
फिर रुई में चमेली का तेल लेकर बजरंगबली के सामने रख दें या मूर्ति पर तेल के हलके छीटे दे दें। इसके बाद मंगलवार व्रत कथा पढ़ें। हनुमान चालीसा और सुंदर कांड का पाठ करने से भी हनुमान जी प्रसन्न होते हैं। फिर आरती करके सभी को व्रत का प्रसाद बांटकर, खुद ग्रहण करें। दिन में सिर्फ एक पहर फलाहार का सेवन करें। अपने आचार-विचार शुद्ध रखें। शाम को हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर आरती करें।
मंगलवार व्रत उद्यापन
21 मंगलवार के व्रत होने के बाद 22वें मंगलवार को विधि-विधान से हनुमान जी का पूजन करके उन्हें चोला चढ़ाएं। फिर 21 ब्राह्मणों को बुलाकर उन्हें भोजन कराएं और क्षमतानुसार दान–दक्षिणा दें।