Tripura Bhairavi Jayanti 2019: आज है त्रिपुरा भैरवी जयंती, कीजिए इन 3 मंत्रों का जाप होगी हर इच्छा पूरी
By मेघना वर्मा | Published: December 12, 2019 09:43 AM2019-12-12T09:43:48+5:302019-12-12T09:43:48+5:30
त्रिपुर का अर्थु तीनों लोकों और भैरवी का संबध काल भैरव से है। मान्यता है कि त्रिपुर भैरवी का अवतार देवी काली ने दुष्टों से रक्षा के लिए लिया था।
हिन्दू पंचाग के अनुसार हर साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि को त्रिपुर भैरवी जयंती मनाई जाती है। इस साल यह जयंती 12 दिसंबर को पड़ रही है। इस दिन मां काली के स्वरूप माता त्रिपुरी भैरवी की पूजा की जाती है। मान्यता ये भी है कि इस दिन माता काली की पूजा करने से लोगों के अंदर का अहंकार और घमंड दूर हो जाता है।
माता त्रिपुर भैरवी को देवी काली का स्वरूप माना जाता है। यह महाविद्या की छठी शक्ति मानी जाती हैं। त्रिपुर का अर्थु तीनों लोकों और भैरवी का संबध काल भैरव से है। मान्यता है कि त्रिपुर भैरवी का अवतार देवी काली ने दुष्टों से रक्षा के लिए लिया था। भयानक स्वरूप वाले उग्र स्वभाव के काल भैरव के साथ मिलकर उन्होंने दुष्टों का विनाश किया था।
ऐसा है देवी त्रिपुर भैरवी का स्वरूप
माता त्रिपुर भैरवी का स्वरूप मां काली से काफी मिलता-जुलता बताया जाता है। मां की चार भुजाएं, तीन नयन बताए जाते हैं। साथ ही उनके बाल खुले हुए हैं। इनका दूसरा नाम षोडसी भी है। त्रिपुर भैरवी को रुद्र भैरवी, चैतन्य भैरवी, नित्य भैरवी, भद्र भैरवी आदि नामों से भी जाना जाता है।
त्रिपुर भैरवी की उत्पत्ति की कथा
लोक कथाओं के अनुसार एक बार माता काली की इच्छा हुई की वह दोबारा अपना गौर वर्ण प्राप्त कर लें। इसके लिए वह अपने स्थान से अंतर्धान हो गईं। वहीं माता काली को अपने पास न देखकर भगवान शिव चिंतित हो जाते हैं। तब वे देवऋषि नारद जी से उनके विषय में पूछने लगे। नारद जी ने कहा कि माता के दर्शन सुमेरु के उत्तर में हो सकता है।
शिवजी की आज्ञा से नारद जी सुमेरु के उत्तर में मां काली को खोजने लगे। जब वो मां के पास पहुंचते हैं तो उनके समक्ष शिवजी के विवाह का प्रस्ताव रखा। इससे मां काली नाराज हो गईं और उनके शरीर से षोडशी विग्रह प्रकट हो गया। उससे छाए विग्रह से त्रिपुर भैरवी प्रकट हुईं।
करें इन मंत्रों का जाप
मां त्रिपुर भैरवी की पूजा करने से अनेको-अनेक संकट से निजात पाया जा सकता है। आप भी माता को मनाने के लिए आप इन तीन मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
‘ह्नीं भैरवी क्लौं ह्नीं स्वाहा:’
“ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः”
ॐ ह्रीं सर्वैश्वर्याकारिणी देव्यै नमो नम: