स्वामी दयानंद जयंती 2018: ये हैं स्वामी जी के प्रेरणादायक 15 अनमोल विचार

By धीरज पाल | Published: February 12, 2018 12:19 PM2018-02-12T12:19:57+5:302018-02-12T12:25:13+5:30

स्वामी दयानन्द सरस्वती जी ने कहा था कि "जिसने गर्व किया, उसका पतन अवश्य हुआ है।"

Swami Dayanand Saraswati 2018 famous 15 quotes and thoughts | स्वामी दयानंद जयंती 2018: ये हैं स्वामी जी के प्रेरणादायक 15 अनमोल विचार

स्वामी दयानंद जयंती 2018: ये हैं स्वामी जी के प्रेरणादायक 15 अनमोल विचार

आर्य समाज के संस्थापक और आधुनिक भारत के महान चिंतक, समाज-सुधारक व देशभक्त कहे जाने वाले स्वामी दयानंद सरस्वती जी का जन्म 12 फरवरी 1824 ई. को गुजरात में फाल्गुन कृष्ण दशमी तिथि को हुआ था। उन्होंने 1874 में एक महान आर्य सुधारक संगठन- आर्य समाज की स्थापना की। वे एक चिंतक के साथ-साथ एक महान संन्यासी भी थे। 

बचपन से ही स्वामी दयानंद सरस्वती को संस्कृत, वेद, शास्त्रों व अन्य धार्मिक पुस्तकों में रूचि थी। इनके बचपन का नाम मूलशंकर था। स्वामी जी समय-समय पर अपने अनुयायियों को जिंदगी और इंसानियत के बारे में हमेशा से सीख देते आ रहे हैं। इनका जीवन एक संघर्ष और प्रेरणाओं से परिपूर्ण था। ऐसे में 12 फरवरी को स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती है। इस मौके उनकी 15 अनमोल विचार जो हमारे जीवन को हमेशा से मार्गदर्शित कर रहे हैं। 

1. "ये 'शरीर' 'नश्वर' है, हमे इस शरीर के जरीए सिर्फ एक मौका मिला है, खुद को साबित करने का कि, 'मनुष्यता' और 'आत्मविवेक' क्या है।" 

2. "वेदों मे वर्णीत सार का पान करनेवाले ही ये जान सकते हैं कि  'जिन्दगी' का मूल बिन्दु क्या है।" 

3. "क्रोध का भोजन 'विवेक' है, अतः इससे बचके रहना चाहिए। क्योकी 'विवेक' नष्ट हो जाने पर, सब कुछ नष्ट हो जाता है।" 

4." 'अहंकार' एक मनुष्य के अन्दर वो स्थित लाती है, जब वह 'आत्मबल' और 'आत्मज्ञान' को खो देता है।" 

5."'मानव' जीवन मे 'तृष्णा' और 'लालसा' है, और ये दुखः के मूल कारण है।" 

6. "'क्षमा' करना सबके बस की बात नहीं, क्योंकी ये मनुष्य को बहुत बङा बना देता है।"

7. "'काम' मनुष्य के 'विवेक' को भरमा कर उसे पतन के मार्ग पर ले जाता है।"

8. "लोभ वो अवगुण है, जो दिन प्रति दिन तब तक बढता ही जाता है, जब तक मनुष्य का विनाश ना कर दे।"

9. "मोह एक अत्यंन्त विस्मित जाल है, जो बाहर से अति सुन्दर और अन्दर से अत्यंन्त कष्टकारी है; जो इसमे फँसा वो पुरी तरह उलझ ही गया।" 

10. "ईष्या से मनुष्य को हमेशा दूर रहना चाहिए। क्योकि ये 'मनुष्य' को अन्दर ही अन्दर जलाती रहती है और पथ से भटकाकर पथ भ्रष्ट कर देती है।"

11. "मद 'मनुष्य की वो स्थिति या दिशा' है, जिसमे वह अपने 'मूल कर्तव्य' से भटक कर 'विनाश' की ओर चला जाता है।" 

12. "संस्कार ही 'मानव' के 'आचरण' का नीव होता है, जितने गहरे 'संस्कार' होते हैं, उतना ही  'अडिग' मनुष्य अपने 'कर्तव्य' पर, अपने 'धर्म' पर, 'सत्य' पर और 'न्याय' पर होता है।"

13. "अगर 'मनुष्य' का मन 'शाँन्त' है, 'चित्त' प्रसन्न है, ह्रदय 'हर्षित' है, तो निश्चय ही ये अच्छे कर्मो का 'फल' है।"

14. "जिस 'मनुष्य' मे 'संतुष्टि' के 'अंकुर' फुट गये हों, वो 'संसार' के 'सुखी' मनुष्यों मे गिना जाता है।"

15. "यश और 'कीर्ति' ऐसी 'विभूतियाँ' है, जो मनुष्य को 'संसार' के माया जाल से निकलने मे सबसे बङे 'अवरोधक' होते है।"

Web Title: Swami Dayanand Saraswati 2018 famous 15 quotes and thoughts

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