विशेष ज्योतिष आकलनः राजस्थान की राजनीति में तीन ग्रह गुरु, राहु और शनि के कारण होगी उठापटक
By गुणातीत ओझा | Published: October 9, 2020 12:20 AM2020-10-09T00:20:56+5:302020-10-09T00:20:56+5:30
शुक्र-मंगल का नवमांश परिवर्तन, राहु-केतु का राशि परिवर्तन और शनि का मार्गी होना ज्योतिष में बहुत बड़ा परिवर्तन है। राहु-केतु ने 23 सितंबर को राशि परिवर्तन किया है और अब अपना प्रभाव देना शुरू कर दिया है।
शुक्र-मंगल का नवमांश परिवर्तन, राहु-केतु का राशि परिवर्तन और शनि का मार्गी होना ज्योतिष में बहुत बड़ा परिवर्तन है। राहु-केतु ने 23 सितंबर को राशि परिवर्तन किया है और अब अपना प्रभाव देना शुरू कर दिया है। मंगल 10 सितंबर को वक्री हो गया था। मंगल कुल 66 दिन वक्री रहेगा और वक्री अवस्था में ही 4 अक्टूबर को मीन राशि में प्रवेश किया था। मंगल 14 नवंबर को मार्गी होगा। गुरु शनि और राहु के कारण अशोक गहलोत को दिल्ली में बड़े पद की जिम्मेदारी मिल सकती है और सचिन पायलट को कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलने की संभावना बन रही है।
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि राहु-केतु ने 18 महीने बाद राशि परिवर्तन किया है और शनि इस समय मार्गी चाल चल रहे हैं। अशोक गहलोत के इस समय राहु की दशा चल रही है और सचिन पायलट के शनि की दशा चल रही है। इस कारण दोनों को लाभ का पद मिलेगा। ज्योतिषीय गणना के आधार पर ये स्थिति राजस्थान प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत के लिए लाभप्रद रहने वाली है। राहु इनको और आगे ऊंचाई पर लेकर जाएगा। वहीं अशोक गहलोत राजस्थान की सत्ता विश्वासपात्र को सौंपने में कामयाब रहेंगे।
अशोक गहलोत को मिल सकता है लाभ का पद
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ग्रह इस समय बहुत अच्छी स्थिति में है और लाभ स्थान में है। राहु का राशि परिवर्तन उनको और उन्नति दिलाएगा। जोधपुर में 3 मई 1951 प्रात:9:30 बजे जन्मे गहलोत का जन्म मिथुन लग्न व मीन राशि में हुआ है। गहलोत की कुंडली में 4 ग्रह स्वराशि के है। जिनमें ( मंगल / गुरु / शुक्र / राहु ) और सूर्य उच्च के हैं। इन्हीं ग्रहों के प्रबल योग ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री का पद दिलाया था। इसी कारण से ग्रहों के राशि परिवर्तन के दौरान हुई हलचल को भी अशोक गहलोत झेल गए और गतिरोध के बीच अपना ओहदा बरकरार रखा।
राहु देगा बड़े पद की जिम्मेदारी
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि कुंडली की रिसर्च के आधार पर अशोक गहलोत के ग्रह इस समय अच्छे हैं और राहु की दशा का फायदा मिलता रहेगा। अशोक गहलोत के गजकेसरी योग हैं। गहलोत के दसवें भाव में गजकेसरी योग बन रहा है। अशोक गहलोत कोई निर्णय दिल से नहीं करते हैं। साथ ही लिए गए निर्णय में परिवर्तन भी आसानी से नहीं करते हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को 12-11-2019 से राहु की दशा चल रही है जो 2037 में खत्म होगी। राहु भी इस कुंडली में स्वराशि के हैं और नवमांश में हैं।
सचिन बन सकते है कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार 7 सितंबर 1977 में दोपहर 12:00 बजे सहारनपुर में जन्मे सचिन पायलट के ग्रह इस बार प्रबल हैं और शनि की महादशा चल रही है। सचिन के आठवें भाव में गजकेसरी योग बन रहा है और सचिन के शेषनाग कालसर्प योग हैं। कालसर्प अप्रत्याशित लाभ दिलाता है इसी कारण सचिन को उसके सहयोगी और दोस्तों के कारण लाभ मिलने की उम्मीद है। सचिन पायलट की कुंडली में सूर्य के साथ बुध होने की वजह से बुधादित्य योग बन रहा है। सचिन पायलट के 2008 से 2027 तक शनि की महादशा चलेगी और दिनांक 23 अक्टूबर 2020 से 2 दिसंबर 2021 तक मंगल की अंतर्दशा चलेगी। मंगल इस समय वक्री है और मीन राशि में है।
शपथ कुंडली का प्रभाव
कांग्रेस के अशोक गहलोत ने 17 दिसंबर 2018 को दोपहर 12:08 पर मुख्यमंत्री की शपथ कुंभ लग्न में ली थी। उस समय लग्नेश शनि लाभ भाव में बैठा था। शपथ कुंडली के आधार पर आज वर्तमान समय में बुध की महादशा में चंद्र की अंतर्दशा चल रही है। यह दशा राजनीतिक बदलाव का संकेत दे रही है। राजस्थान की राशि तुला है और शपथ ग्रहण कुंभ लग्न में हुआ है। गुरु और शनि की युति जब मकर राशि में होगी।
राजनीति में ग्रह और नक्षत्र का अहम योगदान
आपको बता दें कि जन्म कुंडली में ग्रहों के फेर के कारण पहले भी सचिन पायलट मुख्यमंत्री नहीं बन पाए थे। सचिन की कुंडली में उस समय शनि की महादशा में राहु की अंतर्दशा ने उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी से दूर कर दिया था। इसके ठीक उलट ग्रहों के प्रबल योग ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री का पद दिला दिया था। नक्षत्रों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है क्योंकि राजस्थान विधानसभा चुनाव में बहुमत मिलने के बावजूद भी कांग्रेस को मुख्यमंत्री चुनने में 3 दिन लग गए थे। दिसंबर महीने में ग्रह नक्षत्रों ने चाल बदली और जिसका सीधा असर सीधे तौर पर मुख्यमंत्री पद के दावेदारों पर पड़ा था। इसका नतीजा यह हुआ कि अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बन गए और सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री पद से ही संतोष करना पड़ा।