सोमवती अमावस्या: इस बार दिवाली पर पड़ रही यह विशेष तिथि, महिलाओं की होंगी सभी मनोकामनाएं पूरी
By रोहित कुमार पोरवाल | Published: October 25, 2019 05:31 PM2019-10-25T17:31:11+5:302019-10-25T17:31:11+5:30
पंचांग के अनुसार इस बार अमावस्या तिथि रविवार 12:23 बजे शुरू होकर सोमवार सुबह 09:08 बजे तक है। इसलिए इस बार सोमवार का महत्व बढ़ गया है। इसलिए इस बार साधकों और व्रतधारियों के लिए यह पर्व बहुत की शुभ है।
इस बार की सोमवती अमावस्या दो पावन तिथियोंं का मिलन है इसलिए इसका महत्व अलग है। एक दिवाली और दूसरी खुद सोमवती अमावस्या। आइये इसको सरल तरीके से समझते हैं।
दीपावली शब्द संस्कृत भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है। दीप यानी दिया या दीपक और आवली यानी पक्ति या श्रृंखला। सरल तरीके से समझे तो दीपावली मतलब दीपकों की श्रृंखला है। उत्तर भारत में इसे दिवाली भी कहते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को यह त्योहार मनाया जाता है। इस बार की यह अमावस्या रविवार 27 से शुरू होकर सोमवार 28 अक्टूबर तक है।
हिंदी पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष की अमावस्या जब सोमवार को पड़ती है तो इसे सोमवती अमावस्या कहते हैं।
पंचांग के अनुसार इस बार अमावस्या तिथि रविवार 12:23 बजे शुरू होकर सोमवार सुबह 09:08 बजे तक है। इसलिए इस बार सोमवार का महत्व बढ़ गया है। इसलिए इस बार साधकों और व्रतधारियों के लिए यह पर्व बहुत की शुभ है।
भारत में महिलाएं यह व्रत अपनी संतान लंबी आयु के लिए रखती हैं। दिवाली पूजा से इंसान सभी तरह की दरिद्रता से मुक्त होता है। इसलिए इस बार सोमवती अमावस्या को व्रत रखने से महिलाओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी, ऐसी उम्मीद की जा सकती है।
सोमवती अमावस्या को अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत भी कहा गया है। पीपल के पेड़ को अश्वत्थ और परिक्रमा करने को प्रदक्षिणा कहा जाता है लेकिन पीपल के पेड़ सुलभ न हो तो तुलसी के पौधे की पूजा करनी चाहिए। भौतिक विज्ञान की दृष्टि से पीपल और तुलसी दोनों 24 घंटे ऑक्सीजन देते हैं। तुलसी को औषधीय पौधा भी कहा जाता है।
शास्त्रीय विधान के अनुसार, सोमवती अमावस्या को पीपल या तुलसी की परिक्रमा करते हुए भगवान की पूजा करनी चाहिए। कहा जाता है कि पीपल के पेड़ में समस्त देवी-देवताओं का वास होता है और तुलसी भगवान विष्णु के अति प्रिय है।
इस दिन जरूरतमंदों को अपनी क्षमतानुसार दान देना चाहिए। सोमवती अमावस्या के दिन स्नान करते हुए भी ईश्वर का ध्यान करना चाहिए। इसलिए भारत में इस दिन लोग नदियों का भी रुख करते हैं।
सोमवती अमावस्या को मौनी अमावस्या भी कहते हैं। मौन व्रत रखने से मन शांत होता है। मन शांत होने से व्यक्ति आध्यात्मिक उन्नति में विकास करता है।
किवदंतियों के अनुसार, सोमवती अमावस्या को मौन व्रत रखने और दान करने से हजार गायों के दान करने के समान पुण्य मिलता है।