Solar Eclipse 2019: सूर्य ग्रहण क्या पृथ्वी की तरह दूसरे ग्रहों पर भी लगता है? धर्मों में क्या है ग्रहण को लेकर मान्यता, जानिए
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 2, 2019 10:27 AM2019-07-02T10:27:46+5:302019-07-02T10:27:46+5:30
कई प्रचीन सभ्यताएं सूर्य ग्रहण को किसी दैत्य या बड़े जानवर के द्वारा सूर्य को निगलने के तौर पर देखती हैं। चीन की लोक कथाओं के अनुसार सूर्य ग्रहण तब लगता है जब कोई ड्रैगन सूरज को खा लेता है।
Solar Eclipse 2019: सूर्य ग्रहण एक ओर जहां दुनिया भर के वैज्ञानिकों और विशेष तौर पर खगोल शास्त्रियों के लिए दिलचस्पी का विषय होता है वहीं, दुनिया भर के धर्म और संस्कृति में इसे लेकर कई तरह की मान्यताएं भी मौजूद हैं।
सूर्य ग्रहण को लेकर हिंदू धर्म की मान्यताओं और पौराणिक कहानियों को ज्यादातर लोग जानते हैं। हिंदू मान्यताओं में सूर्य और चंद्र ग्रहण का कारण राहु-केतु को बताया गया है। कथा के अनुसार ग्रहण के दौरान राम-केतु नाम के दानव जब सूर्य को ग्रस लते है तो ग्रहण लगता है। आईए, हम आपको बताते हैं कि दुनिया भर की संस्कृति और अन्य धर्मों में सूर्य ग्रहण को लेकर क्या मान्यता है और पृथ्वी के अलावा क्या दूसरे ग्रहों पर भी सूर्य ग्रहण लगता है?
Solar Eclipse: दूसरे ग्रहों पर भी लगता है सूर्य ग्रहण?
यह एक मिथक है कि केवल पृथ्वी ही वह ग्रह है जहां पूर्ण सूर्य ग्रहण लगता है। हालांकि, ये जरूर है कि हमारे सौर मंडल में पृथ्वी ही वो ग्रह है जिसकी सतह से आप ऐसी खगोलीय घटना को देख सकते हैं। बुध और शुक्र ग्रह के पास कोई चंद्रमा (उपग्रह) नहीं है, इसलिए इन ग्रहों पर ग्रहण नहीं लगते हैं। मंगल ग्रह के दो चांद है लेकिन वे इतने छोटे हैं कि वे सूरज को पूरी तरह से नहीं ढक सकते।
वैसे, बृहस्पति सहित शनि, अरुण और वरुण के पास बड़े चंद्रमा हैं लेकिन ये सभी ग्रह गैसों से भरे हुए हैं। ऐसे में इनके भी सतह पर खड़े होकर पूर्ण ग्रहण को नहीं देखा जा सकता। ऐसे में पृथ्वी ही एकमात्र ऐसी जगह है जहां से आप पूर्ण ग्रहण देख सकते हैं।
Solar Eclipse: दुनिया के विभिन्न धर्मों और संस्कृति में क्या है सूर्य ग्रहण को लेकर मान्यता?
कई प्रचीन सभ्यताएं सूर्य ग्रहण को किसी दैत्य या बड़े जानवर के द्वारा सूर्य को निगलने के तौर पर देखती हैं। चीन की लोक कथाओं के अनुसार सूर्य ग्रहण तब लगता है जब कोई बड़ा काला कुत्ता या फिर ड्रैगन सूरज को खा लेता है। ऐसे ही वियतनाम में एक बड़े मेढ़क के ग्रहण के दौरान सूर्य को निगल जाने की मान्यता है। उत्तरी अमेरिकी की चॉकटो जनजाति किसी बड़ी छिपकली द्वारा सूर्य को खा जाने की मान्यता को तरजीह देता है।
ऐसी ही ईसाई धर्म में ग्रहण को गॉड की शक्ति और कयामत से जोड़ कर देखने की मान्यता है। मायन सभ्यता में ये मान्यता थी कि कोई भी सूर्य ग्रहण जो एक दिन से ज्यादा का समय ले रहा हो वह दुनिया के अंत का इशारा करता है। इस दिन मरे हुए व्यक्तियों की आत्माएं जाग जाएंगी और धरती पर मौजूद सभी को खा जाएंगी।
इस्लाम में ग्रहण को अल्लाह की शक्ति का पर्याय बताया गया है। इसे आने वाले कयामत के दिन को याद दिलाने वाला भी बताया गया है। ग्रहण के दौरान इस्लाम में अल्लाह को याद करने और विशेष दुआ सलत अल-कुसुफ पढ़ने की बात कही गई है।