Siddh Purush: बाबा नीब करौरी की कहानी, जिनके कैंची धाम में पहुंचे थे स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: February 6, 2023 11:14 AM2023-02-06T11:14:13+5:302023-02-06T11:24:55+5:30

बाबा नीब करौरी के बाबा के भक्तों में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, पूर्व पीएम इंदिरा गांधी, पूर्व पीएम चरण सिंह, पूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरि, गोविंद बल्लभ पंत, डॉक्टर सम्पूर्णानन्द, कवि सुमित्रा नंदन पंत सहित आईफोन बनाने वाली कम्पनी एप्पल के मालिक स्टीव जॉब्स और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग शामिल हैं।

Siddh Purush: story of Baba Neeb Karauli, whose scissors reached Steve Jobs and Mark Zuckerberg | Siddh Purush: बाबा नीब करौरी की कहानी, जिनके कैंची धाम में पहुंचे थे स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग

Siddh Purush: बाबा नीब करौरी की कहानी, जिनके कैंची धाम में पहुंचे थे स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग

Highlightsबाबा नीब करौरी बेहद साधारण तरीके से रहते थे और हमेशा कंबल धारण करते थेदेवरहा बाबा ने कहा था कि नीम करोरी जैसे संत कई युगों में धरती पर आते हैंकरपात्री महाराज ने कहा था कि संत तो कई हुए लेकिन सिद्ध संत नीब करौरी बाबा ही हुए

दिल्ली: आध्यात्मिक उर्वरा से भरपूर भारत की पावन भूमि पर कई ऐसे संत महात्मा हुए जिन्हें कई तरह की सिद्धियां प्राप्त थीं। ऐसे ही महान संतों की श्रेणी में नीब करोली बाबा का प्रमुख स्थान है। इनके जीवन और लीलाओं के बारे में जानकर हर कोई हैरान हो जाता है कि भला ऐसे भी कोई संत इस धरा पर रहे होंगे, जिनकी ख्याति न केवल देश बल्कि विदेशों तक फैली थी। बाबा नीब करौरी इतने साधारण तरीके से रहते थे कि कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि वो सिद्ध पुरुष हैं। हमेशा कंबल धारण करते थे, उनकी वेशभूषा और साधारण बोलचाल से अंदाज नहीं लगाया जा सकता था कि वो दिव्य पुरुष हैं।

बाबा के भक्तों में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, पूर्व पीएम इंदिरा गांधी, पूर्व पीएम चरण सिंह, पूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरि, बिड़ला समूह के जुगुल किशोर बिड़ला, यूपी के पहले मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत, डॉक्टर सम्पूर्णानन्द, पूर्व उपराष्ट्रपति गोपाल स्वरूप पाठक, केएम मुंशी, महाकवि सुमित्रा नंदन पंत सहित आईफोन बनाने वाली कम्पनी एप्पल के मालिक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग और हॉलीवुड की प्रसिद्ध अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स भी शामिल हैं।

सरल स्वभाव और आडम्बर से दूर रहने वाले बाबा नीब करौरी की दिव्यता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्टीव जॉब्स, मार्क जुकरबर्ग और जूलिया रॉबर्ट्स जैसे कई भक्तों को बाबा का दर्शन उनके जीवन काल में नहीं हुआ था लेकिन बावजूद उसके वो बाबा नीब करौरी से इतने प्रभावित हुए कि उनके भक्त हो गये।

नीब करौली बाबा में श्रद्धा रखने वाले उनके अनुयायी तो हनुमान जी का अवतार मानते हैं। बाबा नीब करौरी पर 'बाबा नीब करौरी के अलौकिक प्रसंग' नाम से किताब लिखने वाले बच्चन सिंह देश के विभिन्न महान संतो के हवाले से बाबा के बारे में जो बताते हैं। उसके अनुसार देवरहा बाबा ने कहा था कि नीम करोली जैसे संत कई युगों में धरती पर आते हैं। मरे व्यक्ति को प्राण लौटाने की शक्ति नीब करौरी जैसे संत के पास ही है। वहीं करपात्री महाराज कहते हैं, “संत तो कई हुए लेकिन सिद्ध संत नीब करौरी बाबा ही हुए।”

बच्चन सिंह द्वारा लिखित किताब के अनुसार बाबा नीब करौरी का जन्म साल 1900 के लगभग उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले स्थित अकबरपुर गांव में हुआ था। संपन्न ब्राह्मण दुर्गा प्रसाद शर्मा के घर जन्मे बाबा नीब करौरी के बचपन का नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। परिवार ने 11 वर्ष की अल्पायु में ही इनका विवाह कर दिया लेकिन बाबा का मन पारिवारिक जीवन में नहीं रमा और कुछ ही समय बाद उन्होंने घर छोड़ दिया।

17 वर्ष की अवस्था में अकबरपुर से निकल कर बाबा सीधे गुजरात पहुंचे। वहां उन्होंने 9 वर्ष बिताया और एक वैष्णव मठ में दीक्षा ली। उसके बाद भारत में कई स्थानों पर भ्रमण करते हुए बाबा नीब करौरी वापस यूपी के फिरोजाबाद स्थित नीब करौरी गांव में पहुंचे। यहां पर बाबा ने जमीन के भीरत बनी गुफा में साधना की, जिसके कारण उनका नाम नीब करौरी पड़ा।

कहते हैं कि कुछ ही समय में बाबा की प्रसिद्धी उनके गांव अकबरपुर जा पहुंची। जब पिता दुर्गा प्रसाद शर्मा को पता चला कि उनके बेटे लक्ष्मीनारायण शर्मा नीब करौरी गांव में हैं तो वह उन्हें लेने के लिए पहुंचे और गृहस्थ आश्रम का पालन करने की आज्ञा दी। पिता की आज्ञा का पालन करते हुए बाबा ने गृहस्थ आश्रम की स्वीकार किया।

गृहस्थ आश्रम में बाबा को दो पुत्र और एक पुत्री हुई। बाबा ने दोनों बेटों का नाम अनेग सिंह शर्मा और धर्म नारायण शर्मा रखा वहीं बेटी का नाम उन्होंने गिरजा रखा। गृहस्थ आश्रम में भी बाबा धर्म और आत्याधात्म के रास्ते पर चलते रहे। यही कारण था कि बाबा का मन गृहस्थ आश्रम में नहीं रमा और साल 1958 में बाबा नीब करौली ने फिर से अकबरपुर का त्याग कर दिया और इस बार वो भ्रमण करते हुए सीधे पहुंचे नैनीताल के करीब कैंची ग्राम में।

बाबा को पहाड़ी वादियों और देवदार के विशाल वृक्षों से घीरे कैंची गांव का प्राकृतिक वातावरण इस तरह से भाया कि उन्होंने इसी स्थान पर 15 जून सन 1964 को अपना आश्रम स्थापित किया, जो आज भी उनकी दिव्य अनुभूति को बिखेर रहा है। कैंची में बाबा द्वारा स्थापित देवी देवताओं के पांच विशाल मंदिर हैं। जिनमें से एक हनुमान जी का भव्य मंदिर भी है। मान्यता है कि कैंची धाम में आने वाला बाबा नीब करौरी का कोई भी भक्त कभी खाली हाथ नहीं जाता है।

बच्चन सिंह अपनी किताब 'बाबा नीब करौरी के अलौकिक प्रसंग' में लिखते हैं कि 70 के शुरूआती दशक में बाबा नीब करौरी ने अपने देह त्याग का संकेत देना शुरू कर दिया था। बाबा अक्सर एक कॉपी में नियमतः राम-राम लिखा करते थे। मृत्यु के कुछ दिन पूर्व उन्होंने वह कॉपी आश्रम की प्रमुख श्रीमां को दे दी और कहा "अब इसमें तुम राम राम लिखना"।

बाबा 9 सितंबर 1973 को कैंची धाम से आगरा के लिए निकले। 10 सितंबर 1973 को जैसे ही बाबा ट्रेन से मथुरा स्टेशन पंहुचे, वो बेहोश हो गए। साथ चल रहे भक्त उन्हें फौरन रामकृष्ण मिशन अस्पताल ले गये। जहां 10 सितंबर 1973 की रात्रि में नश्वर शरीर त्याग दिया। बाबा ने जिस रात देह त्यागी वो अनन्त चतुर्दशी की रात थी।

Web Title: Siddh Purush: story of Baba Neeb Karauli, whose scissors reached Steve Jobs and Mark Zuckerberg

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