Shiv Ke Avtar: भगवान शिव के इस अवतार की कभी नहीं होती पूजा, जानिए क्या है इसकी वजह
By मेघना वर्मा | Published: November 15, 2019 12:52 PM2019-11-15T12:52:21+5:302019-11-15T12:52:21+5:30
शिव जी के कुछ अवतार तंत्रमार्गी है तो कुछ दक्षिणमार्गी। जिनमें से सिर्फ एक को छोड़कर लगभग सभी अवतारों की पूजा अलग-अलग रूप में की जाती है।
देवो में देव महादेव की पूजा, हिन्दू धर्म में सबसे ज्यादा की जाती है। मुश्किलों से उबरना हो या किसी मन की शांति पानी हो लोग महादेव की ही शरण में जाते हैं। कोई उन्हें शिवलिंग रुप को पूजता है तो कोई नटराज के रुप की पर क्या आप जानते हैं कि महादेव का एक ऐसा रूप भी है जिसकी पूजा नहीं की जाती।
जी हां शिव महापुराण में भगवान शिव के कई अवतार मिलते हैं। भगवान शिव ने कुल 19 अवतार लिए थे। जिनका उल्लेख शास्त्रों में मिलता है। इन अवतारों में शिव के अंशावतार भी हुए हैं। वहीं शिव जी के कुछ अवतार तंत्रमार्गी है तो कुछ दक्षिणमार्गी। जिनमें से सिर्फ एक को छोड़कर लगभग सभी अवतारों की पूजा अलग-अलग रूप में की जाती है।
भगवान शिव-महादेव के अवतार
1. पिल्लाद अवतार
2. नंदी अवतार
3. वीरभद्र अवतार
4. भैरव अवतार
5. अश्वत्थामा अवतार
6. शरभावतार
7. गृहपति अवतार
8. ऋषि दुर्वासा
9. हुनमान
10. वृषभ अवतार
11. यतिनाथ अवतार
12. कृष्णदर्शन अवतार
13. अवधूत अवतार
14. भिक्षुवर्य अवतार
15. सुरेश्वर अवतार
16. किरात अवतार
17. सुनटनर्तक अवतार
18. ब्रह्मचारी अवतार
19. यक्ष अवतार
नहीं होती इस अवतार की पूजा
कौरव और पांडव के गुरु द्रोणाचार्या के पुत्र, अश्वत्थामा थे। जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। द्रोणाचार्या के कठोर तप के बाद उनको संतान की प्राप्ति हुई थी। अश्वत्थामा एक महान, ताकतवर और अत्याधिक क्रोधी योद्धा था। आगे चलकर अश्वत्थामा महाभारत के युद्ध के महत्वपूर्ण किरदार बने जिन्होंने कौरवों की ओर से इस युद्ध में भाग लिया था।
बीच युद्ध में अर्जुन, ब्रह्मास्त्र के प्रयोग को फेरना अच्छी तरीके से जानते थे। मगर अश्वत्थामा इसे नहीं जानता था। उन्होंने यह ब्रह्मास्त्र अभिमन्यु की गर्भवती पत्नी उत्तरा की ओर चला दिया। ब्रह्मास्त्र की वजह से उत्तरा की मृत्यु हो गई।
इस अपराध के श्राप में भगवान कृष्ण ने अश्वत्थामा को श्राप दिया था कि सृष्टि के अंत तक इस धरती पर अकेला भटकता रहेगा। ऐसा माना जाता है कि आज भी अश्वत्थामा पृथ्वी पर भटक रहा है। यही वजह है कि देश में कहीं भी शिव के इस रूप की उपासना नहीं होती।