Shattila Ekadashi: आज षट्तिला एकादशी व्रत, इसे करने से मिलता है बैकुंठ धाम में स्थान, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 20, 2020 07:13 AM2020-01-20T07:13:05+5:302020-01-20T07:13:05+5:30

Shattila Ekadashi: आज षट्तिला एकादशी व्रत है। एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। पद्म पुराण के अनुसार षट्तिला एकादशी व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Shattila ekadashi 2020 vrat katha, puja vidhi and shubh muhurat, paran muhurat and significance | Shattila Ekadashi: आज षट्तिला एकादशी व्रत, इसे करने से मिलता है बैकुंठ धाम में स्थान, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

आज षट्तिला एकादशी व्रत

HighlightsShattila Ekadashi: षट्तिला एकादशी व्रत करने से साधक को मिलता है मोक्षषट्तिला एकादशी के दिन तिल का महत्व भी बेहद विशेष है, सभी पापों का नाश होता है

आज माघ मास की पहली एकादशी है। माघ में कृष्ण पक्ष में पड़ने वाले इस एकादशी को षट्तिला एकादशी व्रत भी कहते हैं। एकादशी का व्रत दरअसल भगवान विष्णु को ही समर्पित है और हर महीने में ये दो बार आता है। एक एकादशी व्रत किसी भी हिंदी माह के कृष्ण पक्ष तो दूसरा शुक्ल पक्ष में पड़ता है।

इस तरह हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार एक साल में 24 एकादशी के व्रत पड़ते हैं। इसमें से कुछ एकादशी का महत्व बेहद विशेष है। इसी में से एक षट्तिला एकादशी भी है जो आज है। इस दिन तिल का महत्व विशेष है और तिल के पूजन सहित दान के 6 प्रयोग के कारण ही इसे षट्तिला एकादशी व्रत कहा गया।

पद्म पुराण के अनुसार षट्तिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने, उपवास करने और दान आदि करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत से सभी पापों का नाश होता है और साधक बैकुंठ धाम जाता है।

Shattila Ekadashi: षट्तिला एकादशी व्रत में पूजन का शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि की शुरुआत सोमवार तड़के 20 जनवरी को तड़के 2.51 बजे से हो चुकी है और ये अगले दिन यानी 21 तारीख को तड़के 2.05 बजे खत्म होगा। ऐसे में सोमवार को पूरे दिन भगवान विष्णु की पूजा का मुहूर्त शुभ है। वैसे जितनी सुबह आप पूजा-पाठ करते हैं, वो ज्यादा बेहतर रहेगा। वहीं, पूजा के बाद अगले दिन पारण का शुभ मुहूर्त सुबह 8 बजे से 9 बजे के बीच है।

Shattila Ekadashi: षट्तिला एकादशी पूजा विधि

एकादशी का व्रत निराहार रहकर किया जाता है। हालांकि जरूरत लगने पर आप फल आदि खा सकते हैं। बहरहाल, पूजा के दिन तड़के उठे और स्नान आदि कर भगवान विष्णु की पूजा करें। इस दिन विष्णु जी को तिल और उड़द मिश्रित खिचड़ी का भोग लगाना चाहिए। 

शाम के समय एक बार फिर भगवान विष्णु की पूजा करें और तुलसी के सामने घी के दीपक जलाएं। अगले दिन पारण से पहले अपनी क्षमता के अनुसार दान अवश्य करें और जरूरतमंदों को भोजन भी कराएं। ऐसी मान्यता है कि माघ के महीने में जितना तिल का दान करेंगे, उससे उतने हजार साल तक स्वर्ग में रहने का अवसर मिलेगा। 

षट्तिला एकादशी के दिन पूजन के दौरान विष्णु सहस्नाम का पाठ जरूर करें। आप पूजन के लिए भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर भी स्थापित कर सकते हैं।

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