Navratri 2021: आज मां कालरात्रि का दिन, जानें पूजा विधि, मंत्र कथा और आरती

By रुस्तम राणा | Published: October 12, 2021 07:25 AM2021-10-12T07:25:53+5:302021-10-12T07:28:18+5:30

आज सप्तमी तिथि है और इस दिन मां दुर्गा के सातवें रूप मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि पूजा करने से भय से मुक्ति मिलती है। इनकी आराधना से शनिदेव भी शांत होते हैं।

Shardiya Navratri 2021 maa kalratri puja vidhi mantra katha aarti | Navratri 2021: आज मां कालरात्रि का दिन, जानें पूजा विधि, मंत्र कथा और आरती

मां कालरात्रि

Highlightsरक्तबीज का संहार करने के लिए दुर्गा मां ने मां कालरात्रि का रूप धारण कियामां के कृष्ण वर्ण के कारण ही इन्हें कालरात्रि कहा जाता है

शारदीय नवरात्रि पर्व अपने समापन की ओर बढ़ रहा है। आज सप्तमी तिथि है और इस दिन मां दुर्गा के सातवें रूप मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि पूजा करने से भय  से मुक्ति मिलती है। इनकी आराधना से शनिदेव भी शांत होते हैं। मां कालरात्रि मां दुर्गा का रौद्र रूप हैं। मां अपने दुष्टों का संहार करती हैं। मां कालरात्रि का रंग रात्रि के समान काला है। कृष्ण वर्ण के कारण ही इन्हें कालरात्रि कहा जाता है। इनकी 4 भुजाएं हैं। उनके एक हाथ में खड्ग, दूसरे में लौह शस्त्र, तीसरा हाथ वरमुद्रा में और चौथा हाथ अभय मुद्रा में हैं। मां कालरात्रि का वाहन गर्दभ है। कहते हैं रक्तबीज नामक राक्षस का संहार करने के लिए दुर्गा मां ने मां कालरात्रि का रूप धारण किया था।     

मां कालरात्रि की पूजा विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर व्रत और पूजा का संकल्प लें। मां को गंगाजल से स्नान करा कर स्थापित करें। मां को मिष्ठान, पंच मेवा, पांच प्रकार के फल,अक्षत, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ नैवेद्य आदि का अर्पण करें। मंत्र सहित मां की आराधना करें, उनकी कथा पढ़ें और अंत में आरती करें। आरती के बाद सभी में प्रसाद वितरित कर स्‍वयं भी ग्रहण करें।

मां कालरात्रि को प्रसन्न करने का मंत्र

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम: 
ॐ कालरात्र्यै नम:

मां कालरात्रि की कथा

कहा जाता है कि रक्तबीज नामक राक्षस का देवताओं में आतंक था। रक्तबीज दानव की विशेषता यह थी कि जब उसके खून की बूंद धरती पर गिरती थी तो बिलकुल उसके जैसा दानव बन जाता था। रक्तबीज के आतंक से बचने के लिए देवता भगवान शिव के पास पहुंचे। शिवजी जानते थे कि इस दानव का अंत माता पार्वती कर सकती हैं। शिव जी ने माता से अनुरोध किया। इसके बाद मां पार्वती ने स्वंय शक्ति संधान किया। इस तेज ने मां कालरात्रि को उत्पन्न किया। जब मां कालरात्रि ने रक्तबीज का संहार किया तो उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को मां स्वयं पी गई। इस प्रकार से मां ने रक्तबीज जैसे आतातायी राक्षस का वध किया।

मां कालरात्रि की आरती

कालरात्रि जय जय महाकाली।
काल के मुंह से बचाने वाली।।
दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा।
महा चंडी तेरा अवतारा।।
पृथ्वी और आकाश पर सारा।
महाकाली है तेरा पसारा।।
खंडा खप्पर रखने वाली।
दुष्टों का लहू चखने वाली।।
कलकत्ता स्थान तुम्हारा।
सब जगह देखूं तेरा नजारा।।
सभी देवता सब नर नारी।
गावे स्तुति सभी तुम्हारी।।
रक्तदंता और अन्नपूर्णा।
कृपा करे तो कोई भी दु:ख ना।।
ना कोई चिंता रहे ना बीमारी।
ना कोई गम ना संकट भारी।।
उस पर कभी कष्ट ना आवे।
महाकाली मां जिसे बचावे।।
तू भी 'भक्त' प्रेम से कह।
कालरात्रि मां तेरी जय।।

Web Title: Shardiya Navratri 2021 maa kalratri puja vidhi mantra katha aarti

पूजा पाठ से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे