Sharad Purnima 2019: शरद पूर्णिमा के दिन इस एक मंत्र से मना लें मां लक्ष्मी को, छप्पर फाड़ कर बरसेगा पैसा
By मेघना वर्मा | Published: October 12, 2019 10:42 AM2019-10-12T10:42:49+5:302019-10-12T15:00:57+5:30
Sharad Purnima Puja Vidhi, Mantra in Hindi: शरद पूर्णिमा के दिन सुबह में इष्ट देव का पूजन करना चाहिए। इस दिन इन्द्र और महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी के दीपक जलाकर उसकी गन्ध पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए।
शरद पूर्णिमा का हिन्दू शास्त्र में सबसे अधिक महत्व दिया गया है। प्राचीन काल से ही शरद पूर्णिमा का त्योहार लोग पूरी विधि-विधान से मनाते चले आ रहे हैं। अश्विन मास की पूर्णिमा को पड़ने वाली इस शरद पूर्णिमा की अलग-अलग मान्यताएं हैं। माना जाता है कि इसी दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसीलिए शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी को मनाने से आपके पास कभी पैसों की तंगी नहीं होगी।
सिर्फ यही नहीं मान्यता ये भी है कि इस दिन आकाश से अमृत की वर्षा होती है। इसी शरद पूर्णिमा पर कुछ आसान से उपाय करके आप यश और धन्य-धान्य का आशीर्वाद भी पा सकते हैं। इस बार शरद पूर्णिमा 13 अक्टूबर को पड़ रही है। इसे अश्विन पूर्णिमा भी कहा जाता है।
करवा चौथ Special: यहाँ देखें इस साल के बेस्ट मेहंदी के 10 खूबसूरत डिजाइन
आज हम आपको यहां कुछ ऐसे ही मंत्र बताने जा रहे हैं जिससे आप मां लक्ष्मी को प्रसन्न कर सकते हैं। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी अपने वाहन, उल्लू पर सवार होकर जमीन पर आती हैं। इसीलिए शरद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी जी की उपासना भी की जाती है। इस दिन लक्ष्मी जी की विशेष कृपा भी उनके भक्तों पर बरसती है।
शरद पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी को मनाने का मंत्र 'ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः' का जाप कर सकते हैं। भागवत महापुराण की मानें तो आपका भाग्य, सौभाग्य बन जाए तो शरद पूनम पर चमकीले, श्वेत और सुंदर चंद्र देव को इस मंत्र से पूजें। चांदी के बर्तन में दूध और मिश्री का भोग लगाकर इस मंत्र का रात भर जप करें।
शरद पूर्णिमा की व्रत विधि
शरद पूर्णिमा के दिन सुबह में इष्ट देव का पूजन करना चाहिए। इस दिन इन्द्र और महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी के दीपक जलाकर उसकी गन्ध पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए। ब्राह्माणों को खीर खिलाकर या भोजन कराना भी शुभ माना जाता है। लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए इस व्रत को विशेष रुप से किया जाता है। रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करना चाहिए। मंदिर में खीर आदि दान करने का विधि-विधान है।