Shani Pradosh: शनि प्रदोष व्रत आज, जानिए क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, शनिदेव भी बरसाते हैं कृपा
By विनीत कुमार | Published: March 7, 2020 08:53 AM2020-03-07T08:53:35+5:302020-03-07T08:53:35+5:30
Shani Pradosh: फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत आज सुबह 9.28 के बाद शुरू हो रही है। इसलिए आज ही प्रदोष व्रत किया जा रहा है।
Shani Pradosh: आज प्रदोष व्रत है। हर माह के त्रयोदशी को भगवान शिव को समर्पित किया जाने वाले इस व्रत का महत्व बहुत विशेष है। यह मार्च का पहला और इस साल फाल्गुन माह का दूसरा प्रदोष व्रत भी है। चूकी आज शनिवार है, इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत भी कहा जाता है।
हिंदी कैलेंडर के अनुसार हर माह की त्रयोदशी को पड़ने वाले प्रदोष व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है। त्रयोदशी का दिन भगवान शिव को बहुत प्रिय है। त्रयोदशी के अगले दिन यानी चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि का व्रत भी पड़ता है। चतुर्दशी की तिथि को ही भगवान शिव का विवाह हुआ था।
Shani Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और महत्व
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत आज सुबह 9.28 के बाद शुरू हो रही है। इस तिथि का समापन 8 मार्च को सुबह 6.31 बजे खत्म होगा और फिर चतुर्दशी की शुरुआत होगी। जैसा कि नाम से पता चलता है, प्रदोष व्रत की मुख्य पूजा शाम को ही की जाती है। प्रदोष काल की पूजा का शुभ मुहूर्त 7 मार्च की शाम 6.46 बजे से रात 9.11 बजे तक का है।
Shani Pradosh: शनिदेव की भी बरसेगी कृपा
शनि प्रदोष को शनिदेव की कृपा पाने के लिए भी बहुत कल्याणकारी है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी कष्ट दूर होते हैं। खासकर जिन लोगों पर शनि की ढैया, साढ़ेसाती चल रही है उन्हें ये व्रत जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से शनिदेव से मिल रहे कष्टों से मुक्ति मिलती है।
Shani Pradosh puja vidhi: शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि
शनि प्रदोष पर सुबह भगवान शंकर, पार्वती और नंदी जी को पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, अक्षत (चावल), फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची अर्पित करें।
इस व्रत में सुबह की ही तरह शाम को भी भगवान शिव और माता पार्वती की ऐसे ही विधिवत पूजा करें। शनिदेव की कृपा पाने के लिए इस दिन बूंदी के लड्डू काली गाय को खिलाएं। साथ ही शनि प्रदोष के दिन कम से कम एक माला शनि मंत्र का जाप करना चाहिए। हनुमान जी की भी पूजा जरूर करें। इस दिन पीपल को जल देने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
प्रदोष व्रत के दिन साधक को तड़के उठना चाहिए और स्नान आदि के बाद ही पूजा की तैयारी शुरू करें। काला तिल, तेल, उड़द आदि का भी पूजा में इस्तेमाल करें। ये शनिदेव को पसंद है। इस दिन शनि स्रोत का भी पाठ करें।