शनि जयंती 2019: 3 जून को मनाया जाएगा शनि देव का जन्मोत्सव, कृपा पाने के लिए जान लें शक्तिशाली मंत्र, उपाय
By गुलनीत कौर | Published: May 24, 2019 11:07 AM2019-05-24T11:07:29+5:302019-05-24T11:07:29+5:30
कर्मफल दाता शनि देव के जन्मोत्सव को शनि जयंती के नाम से जाना जाता है। 3 जून को मनाई जाने वाली शनि जयंती पर लोग भगवान शनि को प्रसन्न करने के उपाय करते हैं। इस दिन अमावस्या होने से व्रत भी किया जाता है।
ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को शनि देव के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों में इसे 'शनि जयंती' के नाम से जानते हैं। इस वर्ष 3 जून 2019, दिन सोमवार को शनि जयंती का पर्व है। सोमवार के दिन अमावस्या तिथि आने से इस दिन सोमवती अमावस्या भी मनाई जाएगी। साथ ही यह दिन वट सावित्री व्रत का ही है। इस तरह से 3 जून का दिन इस बार हिन्दुओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
शनि जयंती तिथि, महत्व (Shani Jayanti 2019 Date, time, significance, vrat, puja)
कर्मफल दाता शनि देव के जन्मोत्सव को शनि जयंती के नाम से जाना जाता है। 3 जून को मनाई जाने वाली शनि जयंती पर लोग भगवान शनि को प्रसन्न करने के उपाय करते हैं। इस दिन अमावस्या होने से व्रत भी किया जाता है। शनि मंदिरों में भारी भीड़ देखने को मिलती है। जिन लोगों की कुंडली में शनि संबंधी दोष चल रहा हो उन्हें इस दिन व्रत, पूजा-पाठ, शास्त्रीय उपाय आदि अवश्य ही करने चाहिए। ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और कुंडली में शनि दोषों को शांत करते हैं।
शनि जयंती पर करें ये काम (Remedies to do on Shani Jayanti):
- पीपल के पेड़ के नीचे शनिदेव की मूर्ति के पास तेल चढ़ाएं
- चीटियों को काला तिल और गुड़ खिलाएं
- चमड़े के जूते चप्पल गरीबों में दान करें
- पीपल के पेड़ में केसर, चन्दन, फूल आदि अपिर्त करके तेल का दीपक जलाएं
- यदि नीलम धारण किया हुआ है तो इसे शनि जयंती पर उतार दें
शनि जयंती पर करें इन मंत्रों का जाप (Shani Jayanti Mantra):
1. सूर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्षः शिवप्रियः
मंदचार प्रसन्नात्मा पीड़ां हरतु में शनिः
2. नीलांजन समाभासं रवि पुत्रां यमाग्रजं।
छाया मार्तण्डसंभूतं तं नामामि शनैश्चरम्।।प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
3. ओम शं शनैश्चराय नमः।
4. ओम शं शनैश्चराय नमः।
ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिया।
कण्टकी कलही चाथ तुरंगी महिषी अजा।।
शं शनैश्चराय नमः।
5. ओम शं शनैश्चराय नमः।
कोणस्थ पिंगलो बभ्रु कृष्णौ रौद्रान्तको यमः।
सौरि शनैश्चरा मंद पिप्पलादेन संस्थितः।।
ओम शं शनैश्चराय नमः।