आज शनि अमावस्या, शाम को घर लौटते समय किसी भी हाल में कर लें ये उपाय, मिलेगा शनि की क्रूर दृष्टि से छुटकारा
By गुलनीत कौर | Published: May 4, 2019 09:46 AM2019-05-04T09:46:24+5:302019-05-04T09:46:24+5:30
वैशाख मास की अमावस्या तिथि पर सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व है। किन्तु पवित्र नदी ना मिले तो जल में गंगा जल भरकर ही स्नान कर लें। इसके तत्पश्चात सूर्य देव को अर्घ्य देना भी शुभ माना जाता है। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है परिवार में सुख-शांति आती है।
Shani Amavasya 2019: हिन्दू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। इस समय वैशाख मास चल रहा है और आज यानी 4 मई 2019 को वैशाख मास की अमावस्या तिथि है। शनिवार के दिन अमावस्या तिथि से यह 'शनि अमावस्या' कहलाती है। हिन्दू धर्म में वैसे भी वैशाख मास की अमावस्या तिथि को महत्वपूर्ण माना जाता है और शनिवार के दिन इसके आ जाने से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार वैशाख माह से ही त्रेता युग की शुरुआत हुई थी। इस महीने में पवित्र नदियों में स्नान करना, दान-पुण्य करना, सुख शांति प्राप्ति के उपाय करना शुभ माना जाता है। इस महीने में गरीबों को जरूरत की चीजें दान करने से कुंडली दोष और आर्थिक संकट हानि से भी छुटकारा मिलता है।
वैशाख मास की अमावस्या तिथि पर सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व है। किन्तु पवित्र नदी ना मिले तो जल में गंगा जल भरकर ही स्नान कर लें। इसके तत्पश्चात सूर्य देव को अर्घ्य देना भी शुभ माना जाता है। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है परिवार में सुख-शांति आती है।
चूंकि आज वैशाख मास की अमावस्या तिथि पर शनि अमावस्या भी है तो इसदिन शनिदेव को प्रसन्न करने के विशेष उपाय किए जाने चाहिए। इन्हें करने से शनि की धिया, साढ़ेसाती, शनि के क्कुंडली दोष, काल सर्प दोष आदि से मुक्ति मिलती है। इसदिन दिनभर में शनि बीज मंत्र की 2 से 3 माला जाप करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं।
शनि बीज मंत्र: ॐ शं शनैश्चराय नमः
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शनि अमावस्या की शाम करें ये उपाय:
हर शनिवार शनि मंदिर जाकर शनिदेव के सामने दीया जलाना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और जीवन में आ रही रुकावटों को कम करते अहिं। यही उपाय आप शनि अमावस्या के दिन करेंगे तो कई गुना अधिक लाभ होगा। शनि अमावस्या को सूरज ढलने के बाद शनि मंदिर जाएं। शनि देव पर तेल अर्पित करें। उनके सामने सरसों के तेल का दीया जलाएं और पुष्प भी अर्पित करें।